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November 19, 2024

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योगी ने UP में 17 अति पिछड़ा वर्ग की जातियों को अनुसूचित में डाला, अब मोदी की बारी

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17 OBC Caste Added SC List In UP

निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ है ।
नई दिल्ली/ उत्तर प्रदेश । शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए प्रदेश की १७ अति पिछड़ा वर्ग की  जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में डाल दिया है। ये अति पिछड़ी जातियां – निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ है । इन जातियों को एससी की कैटेगरी में डालने का सीधा फायदा इनके लिए बढ़े आरक्षण के फायदे के तौर पर होगा। इसे सरकार का पिछड़ी जातियों को लुभाने के बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार क्या कर रही है यह देखना बाकि है।  mana जा रहा है की केंद्र यदि संसद में पास करा कर लागु कर देती है तो आने वाले चुनाव में यह भाजपा के लिए सबसे बड़ा हथियार होगा।

17 OBC Caste Added SC List In UP Narendar modi
योगी आदित्यनाथ सरकार काफी लंबे समय से इन 17 अन्य पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की लिस्ट में डालने का प्रयास कर रही थी। योगी सरकार का इन जातियों को एससी लिस्ट में डालने के पीछे तर्क ये है कि ये वो जातियां हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ी हुई हैं। अन्य पिछड़े वर्ग में रहने के बावजूद इनके जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ है। इससे पहले सपा और बसपा की सरकारों ने भी ऐसा करने का प्रयास किया था लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाए थे।
अब जब योगी सरकार ने 17 अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों को एससी लिस्ट में डाल दिया है तो उत्तर प्रदेश का सियासी पारा गरम हो सकता है। हालांकि अभी योग सरकार के इस फैसले पर बसपा और सपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन इतना तो तय हैं योगी सरकार का ये फैसला उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां और बढ़ाएगा। 2007 में मायावती सत्ता में आईं तो इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। लेकिन बाद में खुद पत्र लिखा। दिसंबर 2016 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कोशिश अखिलेश यादव ने भी की थी। उन्होंने 17 अतिपिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी भी दिलवा दी थी। केंद्र को नोटिफिकेशन भेजकर अधिसूचना जारी की गई। लेकिन इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। मामला केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में जाकर अटक गया।
योगी सरकार का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यूपी में कुछ दिनों बाद ही विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं। सरकार इस फैसले को उपचुनावों में जरूर भुनाना चाहेगी।
सपी औा बीएसपी पहले भी इस तरह की कोशिश करके इन जातियों को लुभाने का प्रयास कर चुकी है। 2005 में मुलायम सरकार ने इस बारे में एक आदेश जारी किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी तो प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया।

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