चंद्रा मौर्या टाकिज के सामने 63 दुकानें अवैध !
1 min read- निगम भिलाई को 75 करोड़ रुपए का नुकसान: बीजेपी पार्षद
- चार व्यक्तियों के नाम से 1996,97 और 98 में भूखंड पट्टा आवंटित किया गया था
- नियम के अनुसार सभी को 2002 तक निर्माण कर लेना था
- नियम विरूद्ध 2013 में श्रीमती अर्चना देवी जैन पति महावीर जैन को बेच दिया गया महापौर देवेन्द्र यादव ने भाजपा पार्षदों के निशाने पर
- भिलाईनगर/दुर्ग/रायपुर
भिलाईनगर स्थित मौर्या टाकिज से सामने फिर से बवाल का जिन बाहर निकल आया है। यह मामला है आवंटिक भू-खंडों पर पट्टा को लेकर… जिन्हे चार व्यक्तियों में वर्ष 1996, 1997 और 1998 में आवंटि किया गया था। यह नियम भी था कि आवंटित तिथि से 2 वर्ष के अंदर या अधिकतम 4 वर्ष में निर्माण कर लेना है, नहीं तो पट्टा निरस्त कर विशेष शुल्क सेवा शुल्क एवं अन्य देय राशि की कटौती कर शेष राशि वापस किये जाने का प्रावधान है।
विशेष बात यह है कि यह पट्टा की जमीन को बेच नहीं सकते लेकिन नियम विरूद्ध 2013 में श्रीमती अर्चना देवी जैन पति महावीर जैन को बेच दिया गया। और 2014 में एमआईसी ने प्रकिया को गलत मानते हुए निरस्त भी कर दिया था, लेकिन जब इन पर कार्रवाई होती प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई। अब बीजेपी के पार्षद आरोप लगा रहे हैं कि महापौर देवेन्द्र यादव ने नियम विरूद्ध काम कर सभी दुकानों को बनाया है।
जी हां यह मामला 1996 का है। विजय गुप्ता, श्रीमती शशी गुप्ता, यशबीर बंसल और समीर बंसल माता मीरा बंसल के के नाम से पट्टा आवंटित की गई थी। 2002 से पहले निर्माण कर लेना था।
महापौर यादव नियम विरूद्ध कर रहे काम
इस मामले को लेकर भाजपा के पार्षद जोन अध्यक्ष भोजराज सिन्हा ने कहा कि महापौर के शासनकाल में मौर्या टाकिज के पास जो दूकानें बनी है वह अवैध है। महापौर ने नियम विरूध दूकानें बनवाई है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
नगर निगम को 75 करोड़ का नुकसान
आज के तारिख में बनाई गई कुल अवैध 63 दुकानों से भिलाई निगम को करीब 75 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। एमआईसी ने 2014 में अधिकारियों को दोषी पाया था। इस मामले में एमआईसी ने यह निर्णय लिया कि आवंटन प्रकिया गलत है। दोषी अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्यवाही की जाए, जबकि विशेष बात यह है कि निर्णय लेने वाले आज जो एमआईसी है उस समय भी येही थे। यही कारण है कि मामला जस की तस है। इससे भिलाई निगम को 75 करोड़ रुपए का नुकसान सहना पड़ा।
सामान्य सभा से क्यों भाग रहे महापौर
एमआईसी ने 2014 में प्रकरण को निरस्त कर दिया है। उसके बाद 63 दूकानें बन कर तैयार हो गई है। इस प्रकरण को निरस्त कराकर फिर से निगम के कब्जे में लेने के लिए बीजेपी पार्षद बार-बार सामान्य सभा की मांग कर रहे हैं। इस मामले को लेकर निगम में खिंचातानी शुरू हो गई है। यदि सामान्य सभा होती है तो भाजपा पार्षदों की संख्या ज्याद है|शायद यहीं मामला भी हो सकता है कि सामान्य सभा न बुलाई जाए।
बन रही है आंदोलन की रणनीति
इस मामले को कोर्ट तक घसीटने के लिए अब विरोधी यानी बीजेपी पार्षद आंदोलन करने के मूड में है। पार्षदों ने कहा कि यदि सामान्य सभा नहीं बुलाई गई तो निगम के सामने ही आंदोलन शुरू होगा जिसकी जिम्मेदारी महौपार यादव की होगी।
यह मेरी नौकरी का सवाल- निगम सचिव
भाजपा पार्षदों ने नगर निगम सचिव से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि इस विषय पर सामान्य सभा नहीं कर सकते| सचिव महोदय ने बात को टाल दी| उन्होंने कहा कि भाई मैं नहीं कर सकता यह मेरी नौकरी का सवाल है|
इस विषय पर महापौर देवेंद्र यादव से जब बात करने के लिए फोन मिलाया गया फोन रिसीव नहीं हुआ|