7 डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड
प्रकाश झा की रिपोर्ट
दिल्ली में कल हुई डीपीसी में छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक अधिकारियों को आईएएस अवार्ड करने पर कमेटी ने हरी झंडी दे दी। यूपीएससी की अनुशंसा के बाद भारत सरकार जल्द ही सातों राप्रसे अधिकारियों को आईएएस अवार्ड का आदेश जारी कर देगी।
बहुप्रतीक्षित डीपीसी में हिस्सा लेने मुख्य सचिव आरपी मंडल, एसीएस होम सुब्रत साहू और सामान्य प्रशासन विभाग के सिकरेट्री डाॅ0 कमलप्रीत सिंह दिल्ली गए थे।
राप्रसे से आईएएस बनने के लिए छत्तीसगढ़ में सात पद रिक्त थे। नियमानुसार एक पद के विरूद्ध तीन नाम याने 21 अधिकारियों की सूची यूपीएससी को भेजी गई थी।
इनमें उपर के तीन सीनियर अफसरों के नाम भी थे, जिनकी किन्हीं जांच प्रक्रिया के कारण डीपीसी नहीं हो पाई थी। इनमें आरके एक्का 99 बैच, संतोष देवांगन 2000 बैच और हीना नेताम 2002 बैच शामिल थीं। इनके अलावा पीएससी के 2003 बैच के 13 अधिकारियों के नाम थे। इनमें से सात को आईएएस बनना था।
पीएससी के 2003 बैच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिला है। छत्तीसगढ हाईकोर्ट ने इनकी नियुक्ति रद्द करते हुए फिर से स्केलिंग करने कहा था। हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रभावित सभी अधिकारी सुप्रीम कोर्ट गए। वहां से वे स्टे पर हैं। हालांकि, स्टे के कारण प्रमोशन रोका नहीं जा सकता। फर्जी जाति मामले में फंसे डिप्टी कलेक्टर आनंद मसीह को हाल ही में आईएएस अवार्ड हुआ है। लेकिन, उनके मामले मे यूपीएससी और डीओपीटी में कोई शिकायत नहीं थी।
पीएससी के 2003 के खिलाफ वर्षा डोंगरे ने यूपीएससी के साथ ही डीओपीटी को पे्रजेंटेशन दिया है। बताते हैं, वर्षा यूपीएससी के चेयरमैन प्रदीप जोशी से भी मिल कर आ गई हैं। फिर, हाईकोर्ट ने जब नियुक्ति निरस्त की थी, उस समय प्रदीप जोशी ही छत्तीसगढ़ पीएससी के चेयरमैन थे। और, उनके निर्देश पर ही पीएससी के तत्कालीन सिकरेट्री ने हाईकोर्ट मे स्वीकार किया था कि पीएससी से चूक हुई है।
वही जोशी अब यूपीएससी में शीर्ष पद पर बैठे हैं। ऐसे में, सवाल उठ रहा है कि क्या पीएससी 2003 बैच को आईएएस बनाने हरी झंडी मिल गई होगी? कोई भी अधिकारी इस पर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। खबर सिर्फ यही है कि सात डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस अवार्ड के लिए हरी झंडी मिल गई है।