एमसीएल के लिए एक बकरी की कीमत बनी 2.68 करोड़
प्रतिबंधित क्षेत्र में बकरी टिपर के नीचे आई तो ग्रमीणों ने कामकाज कर काम रुकवाया
संबलपुर। कोयला खनन क्षेत्र एक प्रतिबंधित क्षेत्र होता है जिसमें केवल प्राधिकृत लोग एवं खदान कार्य से जुड़े संबंधित लोग ही जाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि खनन क्षेत्र में कोयले से लदी टिपर परिवहन कार्य करते समय बकरी का झुण्ड आ गया, उसमें से एक बकरी टिपर की चपेट में आ गई जिससे एक बकरी की मृत्यु हो गयी। इसे लेकर तालचेर के चतिया हर्टिंग गांव के स्थानीय लोगों ने एमसीएल के जगन्नाथ क्षेत्र के साइडिंग नम्बर 1 एवं 2 में कोयला परिवहन एवं रेलवे द्वारा प्रेषण कार्य को जबरन अवैध रूप से बंद करा दिया और क्षतिपूर्ति बाबद 60 हजार रूपये की मांग करने लगे।
सुबह 11 बजे से 2.30 बजे दोपहर बाद तक रेलवे साइडिंग से कोयला परिवहन व प्रेषण कार्य वाधित रहा, जिससे कोयला उत्पादन में भी नकरात्मक असर पड़ा। कंपनी को इतने समय तक कोयला परिवहन कार्य बन्द होने से लगभग रुपए 1।40 करोड़ नुकसान हुआ। रेलवे के मध्यम से कोयला प्रेषण न होने से 1.28 करोड रूपये नुकसान उठाना पडा। इस प्रकार ग्रामवासियों द्वारा एक बकरी की मृत्यु हो जाने पर खदान कार्य को बन्द करने से जहां एमसीएल को लगभग 2।68 करोड़ रूपये नुकसान हुआ, वहीं सरकारी खजाने को लगभग 46 लाख रूपये नुकसान उठाना पडा। ग्रामवासियों द्वारा अवरोध किये जाने से बिजली गृहों को भी इसका नुकसान सहना पड़ा, कयोंकि इस अवैध अवरोध से 4 रेक कोयला आपूर्ति बाधित हुई। खनन कार्य में ऐसे अवरोध पैदा कर बाधा डालना देश के 5 ट्रिलियन इकोनमी बनने की ओर अग्रसर कदमों को रोकना नहीं तो ओर क्या है? कंपनी ने इस संबंध में थाने में मामला दर्ज कराया ताकि इस प्रकार अवैध अवरोध पर अकुंश लगाया जा सके। वैसे भी खनन कार्यों में अवैध अवरोध पैदा कर देश के विकास में बाधा डालना कहां तक यथार्थ है।