संसद के अनुमोदन के बिना 17 अतिपिछड़ों जातियाँ बन जाएँगी त्रिशंकु- लौटनराम निषाद
1 min readसंविधान के अनुच्छेद-341 में संशोधन व फेरबदल का अधिकार क्षेत्र में निहित
लखनऊ। 17 अतिपछड़ी जातियों के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र के समबन्ध में एक याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है, सो जारी किए गए प्रमाणपत्र मा.उच्च न्यायालय के अन्तिम आदेश के आधीन होंगे। यह निश्चित है कि न्यायालय अपने अंतिम फैसले में निर्णय देगा कि संविधान के अनुच्छेद-341 में संशोधन व फेरबदल का अधिकार क्षेत्र में निहित है।
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व आरक्षण मामले के जानकार लौटनराम निषाद ने कहा है कि संसद से मंजूरी नहीं मिला तो ये 17 अतिपिछड़ी जातियाँ त्रिशंकु बन जाएंगी यानी न घर की रहेगी न घाट की। आपकी जानकारी के लिए बता दें, शासन ने 29/3/2017 को जो आदेश मा.उच्च न्यायालय ने दिया था, उसी के आधार पर सुसंगत तरीके से प्रमाणपत्र जारी करने के लिए आवश्यक कार्यवाही के आदेश दिए हैं।
निषाद ने कहा कि 17 अतिपछड़ी जातियों को अधिक प्रसन्नता दिखाने की आवश्यकता नहीं है, प्रमाणपत्र जारी हो भी गए,तो इन प्रमाणपत्रों की वैधता पर अन्तिम आदेश मा.उच्च न्यायालय के आदेश से ही होगा, जैसा कि पहले भी हुआ है। हो सकता है कि कोर्ट का फैसला अपने हक में आए,तो भी क्या विश्वास है कि विरोधी याचिका कर्ता मा.सुप्रीम कोर्ट में नहीं जाएगा।इसीलिए यह प्रसन्नता व्यक्त करने का समय नहीं है। समय है आपस मे बैठ कर कोर्ट सम्बन्धी व्यवधानों को दूर करने का और आगे की कार्यवाही से निपटने के लिए रणनीति बनाने का, सो अधिक खुशी न मनाइये और नयी रणनीति बनाने पर अमल कीजिए।
उन्होंने इस पोलिटिकल स्टंट के झांसे में न आकर धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार पर दबाव बनाए कि केंद्र सरकार से अनुमोदन कराये ताकि संविधान सम्मत तरीके से इन जातियों को न्याय मिल सके।यदि केंद्र सरकार ने संसद से अनुमोदन नहीं कराया तो इन जातियों के सामने ” ढाक के तीन पात” वाली स्थिति बन जाएगी।
- ओबीसी को कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका व निजी क्षेत्रों में समानुपातिक आरक्षण कोटा की मांग
- लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ ओ ओबीसी एसोसिएशन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरक्षण को निष्प्रभावी व खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि आरएसएस के इशारे पर मोदी सरकार सरकारी उपक्रमों,प्रतिष्ठानों,अधिष्ठानों व संस्थानों का निजीकरण कर आरक्षण को खत्म करने की साज़िश कर रही है।दोनों संगठनों ने दारुलशफा ए-ब्लॉक से गाँधी प्रतिमा जीपीओ पार्क तक मोर्चा निकालकर धरना दिया।एससी, एसटी की भाँति ओबीसी को कार्यपालिका, विधायिका के साथ-2 न्यायपालिका, पदोन्नति व निजी क्षेत्रों में समानुपातिक आरक्षण कोटा की मांग उठाया है।
संयोजक चौ.लौटनराम निषाद ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आरक्षण को येन-केन-प्रकारेण खत्म व निष्प्रभावी करने में जुटी हैं।धरना सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस तरह बिल्ली को दूध व लकड़बग्घा को मेमना की रखवाली देने से उनकी सुरक्षा सम्भव नहीं है,उसी तरह आरक्षण की विरोधी आरएसएस की राजनीतिक सन्तति भाजपा से सामाजिक न्याय व आरक्षण का संरक्षण असम्भव है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी अपने को पिछड़ी अतिपछड़ी जाति का बताते हैं,पर इनके 5 वर्ष के शासनकाल में पिछड़ावर्ग आरक्षण लगभग निष्प्रभावी बना दिया गया।उन्होंने ओबीसी को भी क्रीमीलेयर की बाध्यता से मुक्त करने की मांग किया है।साथ ही बैकलॉग के माध्यम से ओबीसी कोटे पूरा करने,ओबीसी को सभी स्तरों पर जनसँख्यानुपात में आरक्षण देने,संविदा व आउटसोर्सिंग माध्यम द्वारा नियुक्तियों में आरक्षित वर्ग को समानुपातिक आरक्षण कोटा देने,राष्ट्रीय व राज्य विधि सेवा आयोग के माध्यम से यूपीएससी, पीएससी की प्रतियोगी परीक्षा पैटर्न पर न्यायाधीशों का चयन करने तथा 1994 का ओएमआर बहाल करउच्च मेरिटधारी अभ्यर्थियों का अनारक्षित में समायोजन करने की मांग की।
राष्ट्रीय निषाद संघ के उपाध्यक्ष रमेशचंद्र निषाद ने 26 जुलाई को सामाजिक न्याय दिवस का अवकाश घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि इसी तिथि को छत्रपति शाहू जी महाराज ने कोल्हापुर रियासत में शूद्र वर्ग की जातियों को 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये थे।उन्होंने द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार को निषाद पुत्र महान धनुर्धर वीर एकलव्य का अपमान बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार वीर एकलव्य पुरस्कार घोषित करे,अन्यथा द्रोणाचार्य व अर्जुन पुरस्कार बन्द करे।
रामकेश बिन्द ने फिशरमैन विजन डाक्यूमेंट्स के संकल्पों को पूरा करने,राष्ट्रीय मछुआरा आयोग का गठन व राष्ट्रीय मात्स्यिकीय विकास बोर्ड(एनएफडीवी) का अध्यक्ष की परम्परागत मछुआरा को बनाने व एनएफडीवी का कार्यालय हैदराबाद की जगह दिल्ली में बनाने की मांग की।धरना सभा को आशुतोष वर्मा,जितेन्द्र कन्नौजिया, राहुल निषाद, चन्दन साहनी,सुनील पाल, मनीष गुप्ता,दिलीप शर्मा,लोकपति विश्वकर्मा, निरंजन राजभर,राधेश्याम चौहान,द्वारिका रायकवार, जुबेर अंसारी,मोहनलाल निषाद, आकाश प्रजापति,हरेन्द्रसिंह यादव,पुष्पेन्द्र यादव,राम अवध पाल,विकास लोधी आदि ने सम्बोधित किया।