हाईकोर्ट पुन: स्थापित करने के लिए बलांगीर में दो दिवसीय बंद
कोर्ट कचहरी, सरकारी कार्यालय, बीमा संस्थान संपूर्ण रूप बंद रहा
बलांंगीर। पश्चिम ओड़िशा का बलांगीर में हाईकोर्ट का पुन:स्थापित करने की मांग पर दो दिवसीय बंद किया जा रहा है। बलांगीर अधिवक्ता संंघ के आह्वान पर किये गये इस बंद में लोगों ने स्वं ही समर्थन दिया है। जिला के सभी सरकारी कार्यालय, कोर्ट कचहरी, बीमा संस्थान बंद है। बुधवार को सुबह 6 बजे से अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार त्रिपाठी, संचिव अमन नाग के नेतृत्व में सैकड़ों अधिवक्ताओं ने पिकेटिंग किया। इस बंद से स्कूल, कॉलेज, वाहनों की आवाजाही एवं दुकानबाजार को छोड़ दिया गया है। वाहनों की आवाजाही स्वाभााविक रही जबकि दुकान बाजार खुले हुए थे। सभाी सरकारी कार्यालय बंद किया गया। दिन को 10 बजे सिविल कोर्ट में जज जा रहे तभी अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया। गोर्ट के गेट पर ताला बंद कर के धरना पर बैठ गये। इस कारण सभाी जजों को वहां से लौटना पड़ा। अधिवक्ता संघ के साथ में बलांगीर के सैकड़ों संगठन भी इस धरना में शामिल थे।
बलांगीर अधिवक्ता संघ के अध्यक्षविक्रमानंद बहिदार, सचिव विष्णु प्रसाद केडिआ, एक्सन कमेटी के गोपालजी पाणिग्राही, युवा एक्शन कमेटी के अध्यक्ष विनोद कालसाए आदि के नेतृत्व में अधिकांश संगठनों के पदाधिकारी पिकेटिंग में शामिल थे। पिकेटिंंग के बाद कचहरी चौक पर जिलाधीश के कार्यालय के सामने एक धरना दिया गया। अधिवक्ता संंघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित इस धरना में शहर के अधिकांश बुद्धिजीवि, सामाजिक संगठन के पदाधिकारी शामिल होकर बलांगीर मेंं हाईकोर्ट पुन: स्थापित करने के पक्ष में तर्क4 वितर्क किया। बलांगीर अधिवक्ता संंघ की मांग यह है कि 1940 में तत्कालीन पाटना हाईकोर्ट स्थापित हुआ था एवं 39 गढ़जात मामला का संचालन हो रहा था। वर्ष 1948 में भाारत के साथ गढ़जात मिश्रण के बाद इस हाईकोर्ट को हटा दिया गया था। अब केन्द्र एवं प्रदेश सरकार पश्चिम ओड़िशा में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने की इच्छा जाहिर की है। जबकि इस हाईकोर्ट बेंंच को बलांंगीर में ही करने की मांग की जा रही है। पहले यशवंज सिंह कमिशन के क्राइटेरिया तथा बलांगीर का एतिहासिक जमीन, आवश्यक बुनियादी सुविधा के आधार पर बलांगीर में हाईकोर्ट स्थापित करने की मांंग की जा रही है। इससे पहले बलांगीर अधिवक्ता संघ के एक प्रतिनिधि दल ने ओड़िशा के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय कानून मंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन प्रदान कर चुके हैं। यहांंतक कि विगत 2018 सितंबर महीने से एक वर्ष से कोर्ट कचहरी का काम बंद कर आंदोलन मेंं जुटे हुए हैं। अनेक बार धरना, जनआंदोलन किया जा रहा है। पश्चिम ओड़िशा में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को पत्र भोजा चुके हैं। जबकि प्रदेश सरकार उपयुक्त स्थान का पहचान करने सहित हाईकोर्ट के लिए मत पेश करने के लिए सिफारिश कर रहे हैं। इस बीच पश्चिम ओड़िशा के मांग पड़ा हुआ है। ग्रमांचल के गरीब लोगों को डोर स्टेप में न्याय देने के लिए सरकार घोषणा कर रही है।वहीं पश्चिम ओड़िशा के गरीब लोग न्याय पाने से वंचित हो रहे हैं। इस धरना में वरिष्ठ अधिवक्ता जगन्नाथ आचार्य, गोपाल पाणिग्राही, वैष्णव मिश्र, अरविंदाक्ष पुजाहारी, भावानी शंकर शतपथी, रतन महारणा, अशोक राउत, रघुनंदन सिंह, वासुदेव बारिक, वासुदेव रथ, देवाशीष विश्वाल, विधुभाूषण त्रिपाठी, महेन्द्र बाग, रविनारायण बहिदार, सुभााष नंद, रश्मिरंजन पंडा, सुरेश पाठ, टेक्सबार के अध्यक्ष विश्वजीत नायक आदि के साथ सैकड़ों लोग शामिल थे। इसी प्रकार लिजा के टिटिलागढ़, पाटनागढ़, लोईसिंहा, कांटाबांजी अधिवक्ता संघ तथा 14 ब्लॉक कार्यालय एवंं तहसील कार्यालय को बंद किया गया।