बिना मांग पत्र के ही डिपो से उठाए बांस बल्ली, कोरोना FUND व बिल विवादास्पद हुआ, वनविभाग ने तहसीलदार को थमाया एक लाख 51 हजार का बिल
1 min read- कोरोना बैरिकेट्स का बाँस बना गले का फाँस?
- कोरोना बैरीकेटिँग महंगी पड़ी
- कोरोनाकाल- बैरिकेडिंग, बांस बल्ली की फाँस में अटके लाखों के बिल
- लाखों की बाँस बल्ली लापतागँज में ?
- किसकी लापरवाही ? धरती खा गयी आसमाँ निगल गया !
- तहसीलदार देवाँगन बोलेे- मैं सिर्फ COORDINATOR बिल PWD ही PAID करेगी !
- लाखों की बाँस बल्ली लापतागँज में किसकी लापरवाही?
कोरोना बैरिकैटिँग अंब बिल में ना अटक जाये?
क्या स्थानीय प्रशासन को कोरोना FUND मिला ही नही ?
- पिथौरा (महासमुँद), शिखादास
कोरोना से संबंधित सुरक्षा के लिए तहसीलदार देवाँगन ने वन काष्ठागार पिथौरा से लगातार बांस एवं बल्लियां मंगाकर उपयोग किया हैPWDके साथ। जबकि उसका विधिवत मांग पत्र जारी होना चाहिए था। बिना मांग पत्र के ही काष्ठागार से लाखों का बांस बल्ली लेते रहे। हड़बड़ी थी व है ही आपदा काल में पर कोरोना FUND से PAID तो जिम्मेदारी लेने वालों को तो करना ही पड़ेगा.
शायद जब वन विभाग ने तहसीलदार को RS-:1,51000 का बिल थमाया है। जब बिल प्राप्त हुआ तो प्रशासन के होश उड़ गए। अब पुराने तिथि में मांग पत्र बनाने की सुगबुगाहटें और योजना चल रही है.हर वाडॆ हरबस्ती गाँव शहर ने देखा बाँसबल्ली लगवाते तहसीलदार को बैरीकैट्स लगाते ।
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में यह स्थिति है कि अगर किसी के घर या मोहल्ले में कोई कोरोनावायरस की सुगबुगाहट भी होती थी तो तहसीलदार ट्रैक्टर में बांस बल्ली भरवाकर पहुंच जाते थे और सीधे घेराव शुरू कर देते थे अब जब उक्त बांस बल्ली की कीमत देने की बारी आई है तो वे पीडब्ल्यूडी विभाग पर जिम्मेदारी सौंपने के लिए तत्पर दिख रहे हैं। वनविभाग के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है ।
कोरोना काल का यह लाखों का बिल PWD व तहसीलदार के बीच कहीं कलह ना करवा दे ?
खैर जो भी हो PAID करना ही पड़ेगा नही तो FOREST पर आरोप लगेगा कि इतनी बाँस बल्ली है कहाँ? नीलामी प्रक्रिया मे अति व्यस्त होने के कारण रेँजर श्री बसन्त से विस्तृत चर्चा नही हो पायी पर उन्होंने बताया कि बिल दिया गया है ।
कोरोना बैरिकेट्स का बाँस बना गले का फाँस?
खुलासा कुछ ऐसे हुआ. कल जब पुनः बाँसबल्ली की माँग की गयी तब वन विभाग ने इँकार किया. कहा पहले paid करो माँग पत्रक दो -: तब माँग पत्र दिया गया तब बाँस बल्ली दी गयी . तहसीलदार श्रीमान देवाँगन ने कहा कि ^^ मैं सिर्फ COORDINATOR था। एक मागॆदशॆक सुपरविजन का काम किया हमने। PWD को हम सिर्फ निर्देशन देते है व दे बताते है कि कहाँ बैरिकेटिँग करनी है
फिर माँग पत्रक PWD ही बाँसबल्ली हेतु देगा व राशि भी PAD ही PAID करेगा । मैंने अगस्त अँतिम सप्ताह में ही पत्र PWDको दे दिया था कि वो वन विभाग को बाँस बिल्ली का भुगतान कर दें। PWD जिम्मेदार है वही भुगतान करेँगे ।
तहसीलदार देवाँगन ने बताया कि -RS-:1लाख 15ह जार 532/ का बिल वनविभाग ने उन्हें भेजा पर इसे PWD को PAID करने हेतु उन्होंने विगत माह ही निर्देशित कर दिया है. क्यों कि बाँसबल्ली बैरिकेटिँग हेतु वो सिर्फ COORDINATOR की भूमिका मे थे व है अंत: यह PAID करने की जिम्मेदारी PWDकी है । मांगपत्र भी PWD को देना था । लाखों रू की बाँसबल्लीयाँ कहाँ चली गयी के प्रश्न पर तहसीलदार ने इस प्रतिनिधि से कहा कि अति वृष्टि मे कुछ सड़ गयी कुछ तो चोरी हो गयी ( गोलमोल जवाब रहा.
खैर लाखो रुपए की बाँस बल्ली का गायब हो जाना स्थानीय प्रशासन के साथ PWDकी भी घोर लापरवाही का नतीजा हैं ?कौन हैं जिम्मेदार? कोरोना FUND के दुरुपयोग की एक बानगी । तहसीलदार से हमने बिल व PWDको दिये LATTER’S की COPY माँगी पर विभागीय मसला कह कर टाल गये ।