वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधारने भुपेश सरकार की बड़ी उपलब्धी
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31 प्रकार के वनोपज खरीदने वाली भुपेश बघेल की पहली सरकार, वनमंडल गरियाबंद अंतर्गत 53 हजार 873 संग्रहकों को तेन्दुपत्ता का 18.68 करोड रूपये का बोनस वितरण
लाॅक डाउन के दौरान वनोपज संग्रहण ग्रामीण क्षेत्र के जरूरतमंदो के लिए रोजगार का प्रमुख साधन साबित हुआ
मैनपुर – गरियाबंद जिले के वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकांश आदिवासी सहित सभी ग्रामीणों का जीवन यापन वनोपज संग्रहण व विक्रय पर निर्भर है, और छत्तीसगढ प्रदेश के भुपेश बघेल सरकार गरीब किसान व आदिवासी के बेहतरी के लिए एक के बाद एक नई योजना बनाकर जंहा उनका भला करने का प्रयास कर रही है. वही वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों व ग्रामीणेां का आर्थिक स्थिति सुधारने व शोषण से बचाने वनोपज के क्षेत्र में जो कार्य भुपेश बघेल की सरकार ने किया वह सरकार की बडी उपलब्धी है.
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भुपेश बघेल की सरकार ने वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने का निर्णय लिया, और तो और पहले मात्र 7 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदे जाते थे. इसे बढाकर छत्तीसगढ के भुपेश बघेल सरकार ने 31 वनोपज कर दिया तो इस तरह देखा जाए तो बीते डेढ साल में ही सरकार ने 24 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य में करके सरकार ने यह बता दिया कि वनांचल जंगल क्षेत्र में निवासरत आदिवासियो के प्रति भुपेश बघेल जितनी संवेदनशील है इससे पहले की कोई भी सरकार इतनी संवदेनशील नही थी.
इससे पहले 24 वनोपज में साल, बीजा, हर्रा, ईमली, चिरौंजी, गुठली, महुआ बीज, कुसमी, लाख, रंगीनी लाख, कालमेघ, बेहडा, नागर मोथा, कुल्लु गोंद, पुवाड, बेल गुदा, शहद, फुल झाडु, महुआ फुल सुखा, जामून बीज सुखा, कौज बीज , धवई फुल सखा, करंज बीज, बायबडिंग, आवला बीज, सहित फुल ईमली बीज, रहित, गिलोय, व भेलवा की खरीदी की जा रही थी अब वन तुलसी, वन जींरा, ईमली बीज, बेहडा कचरिया, हर्रा कचेरिया, नीम बीज की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर होगी. इससे वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी से आदिवासियों व वनांचल में रहने वाले ग्रामीणो को मेहनत से एकत्र की गई वनोपज का सहित मूल्य तो मिलेगा ही इससे उनको हर साल वनोपज से पहले ही ज्यादा आय होगी. इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी उनके हाथ में पहले से ज्यादा नगदी पैसा आऐगा, उनकी जीवन स्तर सुधरेगा और पहले से ज्यादा रोजगार मिलेगा.
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पहले जीन वनोपज को बिचौलिऐ सस्ते में खरीद लेते थे अब नही खरीद पाऐंगे वनांचल क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों व ग्रामीणों का आर्थिक सुधारने व शोषण से बचाने जो काम भुपेश बघेल की सरकार ने किया है वह सरकार की बडी उपलब्धी है ।
त्यौहार से पहले तेन्दुपत्ता संग्रहको के खाते में पैसा आने से चेहरे खिल उठे
गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत तेन्दूपत्ता सीजन 2018 अंतर्गत बोनस राशि का भुगतान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 20 अगस्त राजीव गांधी जयंती के अवसर पर वनमण्डल के तेंदूपत्ता संग्राहकों के खाते में डी.बी.टी.के माध्यम से अंतरण कर बोनस कार्यक्रम शुभारंभ किया गया. नवाखाई पर्व के पहले व त्यौहार के सीजन में ग्रामीण क्षेत्र के संग्रहको के खाते में तेन्दुपत्ता बोनस राशि आने और पैसा का उन्हे भुगतान होने से संग्रहको के चेहरे खिल उठे और गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र में कई तेन्दुपत्ता संग्रहकों को भी इस बार तेन्दुपत्ता का बोनस राशि भारी भरकम मेहनत के अनुसार उन्हे प्राप्त हुआ है।
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गरियाबंद वनमण्डल के डीएफओ मंयक अग्रवाल ने बताया
गरियाबंद वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने बताया कि गरियाबंद वनमण्डल अंतर्गत कुल 70 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियां है. वर्ष 2018 में लाभ में रहे कुल 60 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के कुल 54 हजार 780 संग्राहको को राशि 18.89 करोड़ रूपये का भुगतान किया जाना है, 20 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री द्वारा छ.ग.राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा गरियाबंद वनमण्डल के 53873 संग्राहकों को राशि 18.64 करोड़ रूपये डी.बी.टी.के माध्यम से सीधे संग्राहकों के खाते में अंतरित किया जा चुका है. त्यौहार सीजन में सरकार के द्वारा ग्रामीणों को बोनस राशि वितरण करने से तेन्दूपत्ता संग्राहकों में काफी खुशी है ज्ञात हो कि इस वर्ष गरियाबंद वनमण्डल के अंतर्गत लघु वनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े संग्राहकों को तेन्दूपत्ता संग्रहण सीजन 2020 में 4 हजार प्रति मानक बोरा की दर से 23.37 करोड़ पारिश्रमिक राशि 67196 तेन्दूपत्ता संग्राहको को किया गया है. इसके अतिरिक्त फूल, इमली, नागरमोथा, हर्रा, बहेड़ा, सालबीज, अन्य प्रकार के लघु वनोपण का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया गया है, जिससे कुल 10103 संवाहको को राशि 4.50 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया. वनमण्डलाधिकारी मंयक अग्रवाल ने बताया अभी आने वाले समय लघु वनोपज संग्रहण से जुड़े वनांचल के संग्रहकों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने हेतु वन विभाग प्रतिबद्ध है, भविष्य में इससे अधिक लाभ संग्राहको को होगा।