छत्तीसगढ़ के किसान सरकारी बाधाओं को तोड़ पहुंचे सिंधु बार्डर
1 min read- पलवल के पास हाइवे पर रोके गये थे छत्तीसगढ़ के किसान
- मुख्य मंच से कहा हम छत्तीसगढ़ से किसान मजदूर एकता का पैगाम लाये हैं।
काले कानून की वापसी की मांग को लेकर 7 जनवरी को रायपुर से रवाना हुए 200 किसानों का जत्था दिल्ली के निकट पलवल बार्डर पर 8 जनवरी के की देर रात पहुंची थी जहां हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों के काफिले को रोक लिया गया था। जहाँ किसानों ने हाइवे पर ही 9 तारीख को रैली निकाल धरना प्रदर्शन किया जिसमे छत्तीसगढ़ के साथ साथ महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश के किसान सम्मिलित रहे। धरना प्रदर्शन पश्चात किसानों ने अपने सूझ बूझ से सिन्धु बार्डर की ओर रात में रवाना हुए जो रात 2 बजे सिंधु बार्डर पहुंचे।
सिंधु बार्डर पर मुख्य मंच से आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ के किसान दिल्ली सीमाओं पर हो रहे देशव्यापी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता कायम करने पैगाम लाये हैं।
जिस तरह से मोदी सरकार और उनकी गोदी मीडिया किसान आंदोलन को बदनाम करने बार बार इसे हरियाणा व पंजाब के किसानों का आंदोलन बताने का प्रयास कर रहे हैं वह इस मंच से सुन ले कि यह आंदोलन देश के तमाम अमन पसंद एवं लोकतंत्र प्रेमी नागरिकों का आंदोलन बन चुका है। अभी सैकड़ों की संख्या में छत्तीसगढ़ से किसान आये हैं जो 26 जनवरी के आते आते हजारों की संख्या में तब्दील होगी।
सिंधु बार्डर पहुँचने के पहले दिन ही छत्तीसगढ़ से दिल्ली गए 200 किसानों के जत्थे का नेतृत्व कर रहे तेजराम विद्रोही, दलबीर सिंह, गजेंद्र कोसले, नवाब गिलानी, ज्ञानी बलजिंदर सिंह, अमरीक सिंह, सुखविंदर सिंह सिद्धू, दलबीर सिंह, सुखदेव सोनू सिद्धू, के नेतृत्व में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड उत्तरप्रदेश, उड़ीसा के किसानों के साथ मिलकर औरंगाबाद- मितरौल टोल प्लाजा को फ्री किया गया।