Recent Posts

October 17, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

कोरोना का नया स्टेन टेस्ट भी नहीं आता पकड़ में, अधिक गंभीरता बरतने की जरूरत: डाॅ महावीर प्रसाद अग्रवाल

1 min read
  • रामकृष्ण ध्रुव गरियाबंद

गरियाबंद- कोरोना महामारी अब बहुत ही विकराल रूप ले चुकी हैं. पहली लहर से भी खतरनाक साबित हो रही है ये दूसरी लहर . इस बार इसका असर बड़े बुजुर्ग के साथ साथ बच्चों मे भी काफ़ी देखने को मिल रहा हैं. कोरोना के इसी विकराल परिस्थिति को देखते सभी को सतर्क रहने और भयभीत ना होने की जरूरत है।

नया स्ट्रेन टेस्ट से नहीं आ रहा सामने

अबकी बार जो कोरोना वायरस के स्ट्रेन देखने मे आ रहे हैं. वो RT-PCR रैपिड एंटीजन व ट्रूनॉट से भी पकड़ मे नही आ रहे हैं. जिससे लोगों में ये भ्रान्ति रहती हैं की उन्हे कोरोना नही हैं. जिससे प्रभावित मरीज ज्यादा हालात खराब होने के बाद देर से अस्पताल पहुच रहे हैं. इसी कारण से ज्यादा मृत्यु देखने में मिल रही हैं. और ये हालात सरकार और आम जनता के लिए भी मुसीबत बनी हुई है. नतीज़न अचानक कोरोना मरीजों के बाढ़ सी आने से संसाधन मे कमी के साथ -साथ बहुत स्वास्थ्य कर्मी भी इससे प्रभावित हुये हैं।

कोरोना जांच नेगटिव आने पर कुछ दिनों बाद पुनः जांच कराएं

देखने में आ रहा है कि कोई व्यक्ति किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क मे आता है या उसे कोरोना के लक्षण आ रहा है तो वें हड़बड़ी में अपना एंटीजन या आरटीपीसीआर टेस्ट करवा लेते हैं और जब टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है तो लोग निश्चित हो जाते हैं, जबकि ऐसी परिस्थिति में लोगों को चाहिए कि वे कुछ दिन इंतजार करें. संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद या संक्रमण होने में कम से कम 5 से 7 दिन लगता है. यह भी ध्यान रखें कि संक्रमण के लक्षण आने के बाद तुरंत बिना चिकित्सक की राय लिए सिटी स्कैन करवाने की न सोचें क्योंकि यहां भी रिपोर्ट में कुछ भी नहीं आयेगा. संक्रमित के संपर्क में आने के बाद या संक्रमण के तुरंत बाद आये निगेटिव जांच आने पर पूरी तरह आश्वस्त हो जाना उचित नहीं है. पुनः अपना जांच करवाना सही होगा.

इन लक्षणों के आने पर चिकित्सक से परामर्श लें

  1. कोरोना संक्रमित होने से मरीजो के मुख्यतः फेफड़ों मे संक्रमण होने की वजह से उनकी काम करने की क्षमता मे कमी आती है. जिसके कारण उनका आक्सीजन लेवल मे गिरावट देखा जाता है. यदि मरीज का ऑक्सीजन लेवल नियमित समय के अंतराल मे जांच करने पर, 92 से 94% से कम बताये तो तुरंत किसी चिकित्सक या नजदीकी अस्पताल जाकर सलाह ले.
  2. दिल की धड़कन यदि अनियमित या 120-130 से अधिक हो.
  3. बुखार लगातार तीन दिन से दवाई लेने के बाद भी कम ना हो.
  4. शरीर में अत्यधिक थकान महसूस हो या हरारत सी लगे, यह लक्षण 2-3 दिनों से अधिक होने पर.
  5. 6 मिनट वाक् टेस्ट – छः मिनट चलने के बाद यदि आक्सीजन 4-5% प्रतिशत से ज्यादा कम हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे।

6.बच्चों के लिये जो भी लक्षण आपको असामान्य लगे या आँख का लाल होना; भूख मे कमी; अचानक चिढ़-चिढ़ाना ;ज्यादा सोना; दस्त होना; पहले से सुस्त रहना या खेलने मे कमी आना तब एक बार जरूर अपने चिकित्सक से संपर्क करे।

कोरोना मरीजों को इसका ध्यान रखना है
1.होम आइसोलेट मरीजो को नियमित रूप से अपना आक्सीजन धड़कन व तापमान का रिकॉर्ड नियमित अपने चिकित्सक को भेजना चाहिये.

  1. शुगर ,ब्लड प्रेशर, थाइरॉइड, कैंसर या किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को अपनी नियमित जांच कराकर परामर्श लेना है. उन्हे अतरिक्त सावधानी बरतनी है.
  2. बताए हुए दवाइयों का नियमित उपयोग करना है.
  3. मरीजो को स्वांस संबधित व्यायाम चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिये.
  4. धूम्रपान एवं नशे का परहेज़ रखना चाहिए.
  5. किसी भी भारी काम से बचना चाहिये जिसमे शरीर को थकान हो.
  6. नियमतः 7-8 घंटो की नींद लेना जरूरी है जो कि इम्यूनिटी बड़ाने मे सहायक होती है.सुबह की धूप में कम से कम 15 मिनट बैठें.
  7. गरिष्ठ भोजन से बचें, प्रोटिन युक्त भोजन एवं भरपूर पानी पीना चाहिए.
  8. संभव हो तो मेडिटेशन करें, पसंदीदा गाने सुनें, फ़िल्म देखें, कुल मिलाकर बीमारी का भय मन में न आने दें और खूब हंसे , खूब खुश रहें.

कोरोना मरीजों इससे बचाना चाहिए

  1. ये देखने में आ रहा है कि मरीज अपने मर्जी अनुसार कहीं से भी सुन या पढ़ कर दिग्भ्रमित हो जाते हैं और बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाइयों का उपयोग अपनी इम्यूनिटी बड़ाने के लिये करते हैं, जो की उनके लिये घातक सिद्ध होती हैं. इम्यूनिटी एक नियमित प्रकिया हैं जो किसी भी मरीज को दो तीन दिनों में नही मिलती।
  2. मरीजों को आइसक्रीम या किसी भी प्रकार के ठंडा पेय पदार्थ से बचना है . इसके सेवन से वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं. ठंडी हवाओं और ठंडे पानी से स्नान से भी बचें।
  3. चिकित्सक के बिना परामर्श के बिना किसी भी स्टेरॉयड एंटी-बायोटिक या एंटी-वायरल दवा के उपयोग से बचे।
  4. कोई भी मेडिसिन या इंजेक्शन अभी तक कोरोना के इलाज में पूर्णतः कारागर साबित नहीं हुई है इसलिए किसी प्रकार के गलतफहमी मे मत रहें. और ना ही अपने स्थिर मरीजो के लिए Remdesivir या Toclizumab इंजेक्शन के लिए डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मचारी पर दबाब डाले. इससे दवाइयों की कालाबाजारी को बड़ावा मिल रहा है।

सोशल मीडिया के नेगटिव या ज्यादा कोरोना वाले समाचार ना सुने या ना देखे

सोशल मीडिया में प्रचारित किसी भी बातों को सच ना माने या ना अपनाये… क्योंकि सभी वायरल पोस्ट सही हो ये जरूरी नही है. सोशल मीडिया के ऐसे पोस्ट इसके कुछ निगेटीव वीडियो या फोटो ज्यादा से ज्यादा वायरल कर जन-मानस में भय पैदा कर रहा है. और ज्यादा कोरोना वाले समाचार ना सुने या ना देखे क्यूंकि इससे मे अवसाद का अहसास होता है।

यह सही है कि भारत मे कोरोना मरीजो का रिकवरी रेट 95% से अधिक है.इसलिए हम सभी को इससे डरना नहीं है, ना ही भयभीत होना है.

बचाव के उपायों का कड़ाई से पालन करें

इस संकट के समय में आम नागरिकों को खुद ही अपनी सुरक्षा के लिये सजग रहना होगा.इस वक्त मास्क ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है. सैनिटाइजर का समय- समय पर इस्तेमाल करें व अपने हाथों को साफ रखें. भीड़ – भाड़ वाली जगह जाने से बचें, जब तक आवश्यक ना हो तो घर से बाहर ना निकले. साथ – साथ दूसरों को भी प्रेरित करें और शासन के बताये अनुसार नियमों का पालन करे.

वैक्सनेशन आवश्यक रूप से करवाये

वैक्सीनेशन आवश्यक रूप से करवाये और दुसरो को भी प्रेरित करे। जिन लोगो ने कोरोना वैक्सीन लगवायी है उनमे कोरोना का संक्रमण बहुत ही कम या ना के बराबर दिखा है और हुआ भी है तो वो जानलेवा साबित नही हुआ है। आजकल वैक्सीन के बारे मे अनपढ़ या नासमझ शरारती लोगों द्वारा अफवाह फैलाया जा रहा है जो बिल्कुल गलत है इसे नकराते हुये सभी को वैक्सीन लगवाने मे आगे आना है और समाज मे अन्य लोगो को भी आगे लाना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *