पिथौरा के ग्राम पंचायत जंघोरा में 30 लाख रूपये का भ्रष्टाचार, तीन लाख बीस हजार सचिव ने अपने नाम से किया आहरण
1 min read- शिखा दास, पिथौरा महासमुँद (छग)
- कागजों पर कर दिया गया विकास कार्य
- जंघोरा के पूर्व सरपंच सचिव के खिलाफ राशि गबन की शिकायत मामले में 1 साल बाद भी नहीं हुई कार्यवाही
महासमुंद जिले के पिथौरा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जंघोरा में पूर्व सरपंच सचिव के द्वारा भारी भ्रष्टाचार के जाने का मामला प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत जंघोरा के पूर्व सरपंच एवं सचिव के साथ मिलकर 14वें वित्त, मूलभूत योजना, शौचालय निर्माण के तहत व अन्य शासन के विभिन्न कल्याणकारी योजना की राशि का भारी भ्रष्टाचार किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता भूषण साहू ने कलेक्टर महासमुन्द से शिकायत कर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
ग्राम पंचायत जंघोरा के पूर्व सरपंच समेलाल पटेल के कार्यकाल में स्वयं अपने नाम से तथा सचिव सुशीला पटेल एवं सरपंच समेलाल पटेल के भाई गौतम पटेल के नाम पर पंचायत राज अधिनियम में बने नियमो को ताक में रखकर फर्जी बिल व्हाउचर तथा अनियमित पंचायत प्रस्ताव तैयार कर भारी भरकम शासकीय धनराशि 30 लाख रूपये को भुगतान कर गोल माल किया गया है।
सरपंच समेलाल पटेल के नाम पर 15 लाख रूपये भुगतान किया गया है जिसमें श्रध्दांजली योजना , सामाग्री क्रय ,सी सी रोड निर्माण, यहां तक की चपरासी के मानदेय की राशि को भी पूर्व सरपंच समेलाल पटेल को भुगतान किया गया है। इसी तरह पूर्व सरपंच समेलाल पटेल के भाई गौतम पटेल को भी गली सफाई, सी सी रोड निर्माण, मूरूम कार्य, शौचालय निर्माण, सी .एम कार्यक्रम, गली मरम्मत एवं अन्य कार्य हेतू 12 लाख रूपये भूगतान किया गया है।
- आखिरकार पँचायतराज.अधिनियम की धज्जियाँ बेखौफ कैसे उड़ा लेते है कुछ सरपंच सचिव ?
- क्या जनपदीय अफसरशाही का सँरक्षण जिम्मेदार या कार्यवाई के नाम पर सिर्फ कागजी जाँच समितियों की खानापूर्ति ?
- महासमुंद के पिथौरा जनपद ग्राम पँचायत जँघोरा का मामला, स्तब्धकारी
केंद्र राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओ की लाखों रू की राशियों को डकारने वाले तत्कालीन सरपंच व वर्तमान सचिव पर 1 वर्ष पूर्व की गई शिकायत पर आज तक क्यों नहीं हुई कार्य वाई अनेकों प्रश्नचिन्ह.?
CEO प्रदीप प्रधान ने कहा कि आज 28 /12/ को जब उनसे इस प्रतिनिधि ने कार्यवाई की जानकारी हेतु सवाल की जाँच समिति ने अभी तक कोई रपट नहीं सौंपा है। मौखिक बताये है कि पूर्व पँचायत निरीक्षक मधुकर व करारोपण अधिकारी ठाकुर 2 लोगों की। जांच कमेटी है। शनिवार 26/12/ को मधुकर को जांच प्रतिवेदन जल्दी देने पत्र लिखा हुं। पत्रक की copy नहीं दे पाऊँगा !
इसी तरह सचिव सुशीला पटेल को सी सी रोड निर्माण के नाम से 3 लाख 20 हजार रूपये भुगतान किया गया है। ग्राम पंचायत जंघोरा में पूर्व सरपंच समय लाल पटेल के कार्यकाल में स्वयं अपने नाम से तथा सचिव सुशीला पटेल एवं सरपंच के भाई गौतम पटेल को सारे नियमों को ताक में रखकर कुल 30 लाख रूपये भुगतान किया गया है जबकि ग्रामीणों के बताए अनुसार इनका कोई भी फार्म संचालित नहीं है और नहीं ही इनके द्वारा पंचायत में कोई कार्य किया गया है फिर भी सामग्री क्रय निर्माण कार्य के नाम पर इनके नाम से लाखों रुपए भुगतान कर शासकीय धनराशि को यूं ही हड़प ली गई है।
आखिरकार पँचायतराज.अधिनियम की धज्जियाँ बेखौफ कैसे उड़ा लेते है कुछ सरपंच सचिव ?
क्या जनपदीय अफसरशाही का सँरक्षण जिम्मेदार या कार्यवाई के नाम पर सिर्फ कागजी जाँच समितियों.. की खानापूर्ति ?
इस मामले में 1 वर्ष तक जांच ना होने देने की कोशिश किसकी थी व है ? फिर मधुकर के संरक्षण व कार्य काल मे अनेक सहित यह भ्रष्टाचार भी इन्ही सीईओ व उनकी नाक के नीचे ही हुई । तो सवाल ही नहीं उठता निष्पक्ष जाँचने का !
सुत्रो की माने तो MR.THAKUR & MR MADHUKAR COMPANY . दोनों ही CEO MR..PRADHAN के अतिप्रिय है तो अपनी साख ही बचायेंगे। नाक थोड़ी ना कटने देगें ?
जो तत्कालीन कलेक्टर से लेकर अब तक 30 लाख घोटाले की फाईलों को दबाकर बैठे है वो खाक जाँच करें गे करवायेंगे और हास्यास्पद पहलू सीईओ का यह कि बाहर से जाँच कमेटी क्यों नहीं 30 लाख गबन मामले में अपने चहेते सिर्फ 2 लोगों की जांच कमेटी ?
यानी दाल मे काला नहीं है। पुरी दाल ही काली है काली कमाई के इन सौदागरों के कारनामे ही अकेले काफी है माननीय भुपेशबघेल सरकार को बदनाम करने के लिए ।
(मधुकर अभी जिला पँचायत में अटैच किए गए है। सीईओ ने गोलमोल जवाब के साथ यह भी कहा)