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November 20, 2024

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छत्तीसगढ़ में 82 प्रतिशत आरक्षण पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Court seeks reply on 82 percent reservation in Chhattisgarh

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य की सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा तोड़कर उसे बढ़ाकर 82 प्रतिशत तक करने वाले अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। वेदप्रकाश ंिसह ठाकुर और आदित्य तिवारी द्वारा अलग-अलग दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश पी आर रामचंद्र मेनन और न्यायाधीश पी पी साहू ने शुक्रवार को सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि 10 दिन बाद मामले की सुनवाई होगी। याचिका में राज्य सरकार द्वारा चार सितंबर को जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसका शीर्षक है- ‘‘छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) (संशोधन) आध्यादेश, 2019.’’ इसके तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को संशोधित करने की बात कही गई है।

Court seeks reply on 82 percent reservation in Chhattisgarh
ठाकुर के वकील अनीश तिवारी ने कहा कि अध्यादेश में अनुसूचित जाति के कोटा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जनजातियों के लिए कोटा में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ये 32 प्रतिशत पर यथावत है। अध्यादेश में आर्थिक रूप से गरीब तबकों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव भी किया गया है, जिसके बाद राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 82 प्रतिशत हो गया है। अनीश तिवारी ने 1993 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में दिए उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘‘नए अध्यादेश के तहत आरक्षण 82 प्रतिशत हो गया है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इसे 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस मामले में उपस्थित हुए महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को किसी तरह की राहत नहीं दी है और राज्य सरकार को जवाब देने के लिए वक्त दिया है।

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