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November 23, 2024

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डीएवी स्कूल बस में सुप्रीम कोर्ट निर्देश का खुलेआम उल्लंघन 

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Dav public school angul

स्कूल के ट्रांसपोर्ट कमेटी , प्रबंधन एवं प्रशासन मौन रहने के कारण क्या है ?

एनओसी के बिना  डीएवी स्कूल चलाते हुए विद्यार्थियों के कैरियर पर खिलवाड़ करने की जिम्मेदार कौन ? बुद्धिजीवी

अनुगुल । ओडिशा के औद्योगिक राजधानी कहां जाने वाले अनुगुल जिले स्थित तालचेर अंचल को कोयला नगरी कहा जाता है । अंचल के चारों ओर महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के कोयला खदान भरा हुआ है लिहाजा एमसीएल प्रबंधन की ओर से दयानंद एंग्लो वैदिक पब्लिक स्कूल आदि खोलने के लिए डीएवी प्रबंधन के साथ करारनामा क्या गया है, जिसके तहत एमसीएल स्पॉन्सर्ड डीएवी स्कूल खुला गया है , लेकिन कुछ दिनों से जगन्नाथ डीएवी पब्लिक स्कूल में शुल्क वृद्धि को लेकर अभिभावक परेशान नजर आ रहे हैं । साथ में स्कूल बस में विद्यार्थियों का आवाजाही को लेकर एमसीएल- नॉन एमसीएल द्यार्थियों तथा उनके अभिभावकों के बी च हमागहमी चल रही है । अभिभावकों का कहना है कि कुछ लोग निजी स्वार्थ हेतु बच्चों के बीच भेदभाव उत्पन्न कर रहे हैं जिसको लेकर वातावरण गरमाया हुआ है । शिक्षा में अंचल के सभी निवासियों का समान अधिकार रहना चाहिए । इस गहमागहमी के बीच देवलबेरा बस स्टॉप स्थान पर स्कूल बस ड्राइवर के लापरवाही के चलते एक दुर्घटना जानबूझकर होने वाला था, लेकिन बाल बाल एक छात्रा ( विद्यार्थी) दुर्घटना का शिकार होने से बच गई ।

 

Dav public school angul

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि विद्यार्थी बस के ऊपर चढ़ते समय अचानक ड्राइवर बस को चालू कर दिया जिसके चलते एक छात्रा बस से गिरते गिरते लोगों ने संभाल लिए थे । ड्राइवर का कहना है कि आज में नया आया था एवं हेल्पर बस चालू करने के लिए इशारा दे दिया था । इसी तरह  थर्मल डीएवी स्कूल का एक  बस  बिजली तार  चपेट  में  आते आते  बच गया था । अभी सवाल उठ रहा है कि स्कूल बस में इस तरह का गाड़ी चालक एवं हेल्पर को ड्यूटी देना कितनी जायज है ? कुछ अभिभावकों का कहना है कि ड्राइवर का व्यवहार अभिभावकों के प्रति सही नहीं है । इस बारे में लिंगराज एरिया  ई एंड एम के वरिष्ठ अधिकारी मधु साहब का कहना था कि हमारे विभाग की ओर से टेंडर एवं वर गडर दिया जाता है लेकिन बाकी सब पर्सनल विभाग देखता है, पर्सनल विभाग के अधिकारियों को पूछने पर उनका कहना था कि ई एंड एम  विभाग सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन अनुसरण करते हुए ठेकेदार संस्थाओं को वर्क ऑर्डर देना चाहिए । दोनों विभाग के अधिकारियों के बीच तालमेल नहीं रहते हुए सब अपने-अपने पल्ला झाड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं जिसे लेकर विद्यार्थी एवं अभिभावक परेशान हो रहे हैं । इस बारे में समाजसेवी तथा पत्रकार दिल्लीप कुमार चोपदार का कहना है कि डीएवी स्कूल पर ठेके में चलने वाले सभी स्कूल बस आदि में ठेकेदार द्वारा मान्यवर सुप्रीम कोर्ट , सीबीएसई , तथा सरकारी गाइडलाइन को खुलेआम अनदेखी क्या जा रहा है । सभी स्कूल बस में सही तरीके से फर्स्ट एड बॉक्स नहीं है।  स्कूल गाड़ी में लेडीज अटेंडेंट रहने की प्रावधान है लेकिन उसे भी अनदेखी क्या जा रहा है । बहुत सारे स्कूल गाड़ियों में ना बालक हेल्पर आदि रखा गया है जो कि कानून का खिलाफ है । सुप्रीम कोर्ट के निर्देश मुताबिक सभी स्कूल गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम , सीसीटीवी ( जिसमें 2 महीने का फुटेज रहना जरूरी है ), स्पीड गवर्नर लगवाना निश्चित कर दिया गया है । आग बुझाने के लिए  इमरजेंसी सिलेंडर  सही तरीके से मौजूद रखना चाहिए  लेकिन पता चला है कि  बस आदि मे नाम मात्र सिलिंडर कानून को झांसा देने के लिए रखा गया है  सभी सिलेंडर  तहकीकात करने पर पता चल जाएगा कि  जिसमें से  2 मिनट से ज्यादा  चलने वाला सिलेंडर किसी गाड़ी में भी नहीं है । गाइडलाइन मुताबिक  सभी स्कूल बस चालकों को  लाइट ब्लू  शॉर्ट रंग पेंट के साथ काला जूता पहनना जरूरी है एवं शॉर्ट मैं  स्पष्ट रूप से  ड्राइवर का नाम तथा ड्राइवर  लिखा जाना चाहिए  साथ में  गाड़ी के कर्मचारी  जो स्कूल  बस में आवाजाही करते हैं सभी का आई कार्ड होना जरूरी है । स्कूल प्रबंधन के पास  सभी ड्राइवर , हेल्पर एवं स्कूल बस नंबर आदि रिकॉर्ड रहना जरूरी है , लेकिन खुलेआम कानूनों का धज्जिया उड़ाया जा रहा है  एवं अपना मनमानी ढंग से गाड़ी की बिलिंग करते हुए पैसा भुगतान किया जा रहा है । इस बारे में  श्रमिक संगठन  भारतीय मजदूर संघ  के  वरिष्ठ नेता  श्री संजय माझी  का कहना था कि  स्कूल बस  में जीपीएस सिस्टम नहीं है  लेकिन  बस का किलोमीटर  कैसे जांच  करते हुए  बिलिंग होता है  इस पर  प्रबंधन तहकीकात  करना चाहिए । इस विषय पर स्कूल के ट्रांसपोर्ट कमेटी प्रबंधन एवं प्रशासन मौन बरतने का कारण क्या है ? इसे लेकर अभिभावकों ने आश्चर्यचकित हुए हैं l इस दिशा में हर साल करोड़ों की लागत राशि खर्च हो रहा है लिहाजा उनका मांग है कि सीबीओ  द्वारा जांच किया जाए । बुद्धिजीवियों का कहना है कि जगन्नाथ डीएवी पब्लिक स्कूल का एनओसी  नहीं है लेकिन स्कूल चल रही है साथ में सरकारी धन भी बेझिझक सैंक्शन हो रही है जोकि कानूनों का सख्त खिलाफ माना जाता है स्कूल की इस तरह रवैया आगे विद्यार्थियों के कैरियर के प्रति बहुत बुरा असर पड़ने वाला है जिसे जानते हुए भी स्कूल प्रबंधन विद्यार्थियों के कैरियर के प्रति खिलवाड़ कर रहा है । एनओसी के बारे में जब स्कूल के प्रिंसिपल श्री भोलानाथ महंत जी को पूछा गया तो उनका कहना था कि एनओसी के लिए प्रोसेसिंग चल रहा है । स्कूल में शुल्क वृद्धि एवं स्कूल गाड़ी के बारे में सूचना अधिकार कर्मी तथा वरिष्ठ पत्रकार सुसुश्री पात्र का कहना है कि एमसीएल द्वारा औद्योगिक सामाजिक उत्तरदायित्व (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत शिक्षा  एवं  शौचालय निर्माण आदि में  खर्च करते हुए अंचल के निवासियों का परेशानी को हल क्या जा सकता है।  जैसा कि हमें पता है कि कम्पनियाँ किसी उत्पाद को बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं। प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं और अपनी जेबें भरतीं हैं; लेकिन इस ख़राब प्रदूषण का नुकसान समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों को उठाना पड़ता है। क्योंकि इन कंपनियों की उत्पादक गतिविधियों के कारण ही उन्हें प्रदूषित हवा और पानी का उपयोग करना पड़ता है, लेकिन इन प्रभावित लोगों को कंपनियों की तरफ से किसी भी तरह का सीधे तौर पर मुआवजा नही दिया जाता है। इस कारण ही भारत सहित पूरे विश्व में कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया कि वे अपनी आमदनी का कुछ भाग उन लोगों के कल्याण पर भी करें जिनके कारण उन्हें असुविधा हुई है। इसे कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) कहा जाता है।  कंपनियों द्वारा समाज के निचले तबके के कल्याण को बढ़ावा देना कंपनियों और सरकार दोनों के लिए दोनों हाथों में लड्डू होने जैसा है। CSR में खर्च होने के जहाँ एक तरफ लोगों के कल्याण के लिए होने वाले खर्च से सरकर को कुछ राहत मिलती है वहीँ दूसरी तरफ लोगों की नजर में कंपनियों की इमेज भी एक अच्छी  की बनती है । शिक्षा का अधिकार से अंचल के निवासियों को वंचित नहीं करना चाहिए इसलिए एमसीएल प्रबंधन को अनुरोध है कि तालचेर टाउन एवं प्रभावित गांव से स्कूल गाड़ी विद्यार्थियों को मुहैया , ताकि विद्यार्थी सही रूप से आवाजाही करते हुए शिक्षा लाभ कर सके साथ में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के शुक्रगुजार बन कर  कंपनी की ओर से ज्यादा से ज्यादा भरोसा करने से आगे जमीन अधिग्रहण मैं भी कंपनी को ही फायदा मिलेगा साथ में अंचल के निवासियों का सामाजिक एवं वित्तीय विकास में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड का अहम भागीदारी रहेगा ।

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