प्रसूति को लादकर उफनते नाले को पार का पहुंचाया अस्पताल
जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
गांव तक सड़क नहीं होने से बढ़ी परेशानी
वणइ। गुरुंडिया ब्लाक के एक गांव की एक महिला क ो प्रसव पीड़ा होने के बाद उसे खाट व स्टेÑचर की मदद से अस्पताल लाना जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। संबंधित महिला को े अस्पताल ले जाने के दौरान ही नवजात शिशु का सिर बाहर निकल जाने तथा गांव तक सड़क मार्ग नही होने के कारण उस गांव में एम्बुलेंस नही जा सकता था। इसलिये बारिश होने के दौरान भी जंगल के रास्ते पैदल ही उफनती दो नालों क ो पार होकर दो घंटे की कड़ी मस्कत करने बाद कुछ लोगों ने उस गर्भवती महिला को अस्पताल पहुचाया गया। सुरक्षित मातृत्व तथा शिशु मृत्यू दर को रोकने के लिए दोनों राज्य तथा केंद्र सरकार के बहुआयामी योजना पेश किया गया है। और उस पर करोड़ों रूपये खर्च भी किया जा रहा है। पर इस दृश्य को देखने के बाद अपनी आंखों में विश्वास नही होता, लेकिल सुंदरगढ़ जिला के गुरूंडिया ब्लाक में स्थित कई ऐसे गांव हैं, जहां के लोग कई बार इस तरह के परिस्थितियों का सामना करते हैं।
इसी तरह का एक और मामला इसी ब्लाक के सोल गांव पंचायत के बाबाडोर में देखने को मिला। नुआपाली से करीब दो किलोमीटर की दूर गुरूवार को बस्ती के धनंजय पुजारी के पति ममता को सुबह पांच बदे प्रसव की पीड़ा होने लगा। धनंजय दौलता हुआ नुआपाली के आशाकर्मी तथा महिला स्वास्थकर्मियों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद आशाकर्मी तुरंत एम्बुसेंस को सूचना दिया। पर एम्बुलेंस नुआपाली तक ही पहुंचने की बात कही। क्योंकि बाबाडोरा बस्ती जाने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं था। इसलिये किसी भी हालत में गर्भवती महिला को नुआपाली तक उठाके लाने की जरूरत होने लगा था। ऐसी हालत में नवजात शिशु का सिर बाहर निकलना शुरू हो गया।जिसके बाद कोई उपाय नहीं सुझने पर परिवार के अन्य लोगों ने उसकी गर्भवाती पत्नी को दूसरे रास्ते से ले जाने के लिए फैसला लिया गया, जिसके लिए धनंजय को नुआपाली तथा तालडीह गांव के युवकों का मद्द की जरूरत पड़ा। करीब 15 युवकों की मद्द लेना पड़ा। गर्भपीड़ा शुरू होककर तीन घंटे बीत गये, जोकि सुबह साढ़े आठ बजे नुआपाली स्वास्थ केंद्र से एक स्टेÑचर के जरिए उस पीड़ित महिला को पहले जंगल पार कराया। रास्ते में दो नाला था। सोल नाला तथा बाबाडोरा नाला जोकि बारिश के कारण नाले में पानी उफनती दिखया पड़ रहा था, जिसके बाद उस महिला को स्टेÑचर में लदकर सभी युवकों ने अपने सिर में स्टेÑचर को ढोया और नाला पार किया। साथ ही स्वास्थकर्मी ममता सेनापति भी थी। दो घंटे जंगल के रास्ते पार होने के बाद करीब साढे 11 बजे प्रसव आस्पताल पहुंचा, जिसके बाद सही इलाज मिलने के बाद महिला को सुरक्षित हाल मेंं प्रसव कराया गया, जिसके बाद लोगों ने महिला स्वस्थकर्मी के कर्तव्यनिष्ठा तथा यह दो गांव के युवकों का स्थानीय लोगों ने प्रशंसा किया जा रहा है।