इको ट्यूरिज्म के साथ एथनिक ट्यूरिज्म को विकसित करें : प्रो. (डॉ.) एलएस निगम
भिलाई. डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के (यूजीसी) नईदिल्ली के मानव विकास केंद्र द्वारा “इको ट्यूरिज्म का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, रोजगार एवं पर्यावरण” विषय पर आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में विषय विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित प्रो.(डॉ.) एल.एस. निगम, कुलपति, श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई ने अपने व्याख्यान में कहा कि पृथ्वी में मनुष्य के विकास से पहले जल जंगल और जमीन का विकास हो चूका था. मनुष्य विकास के चरण में अंतिम प्राणी था. प्रकृति का दोहन आधुनिक मनुष्य ने अपने हितों के लिया किया. परन्तु जिस पैमाने पर प्रकृति का दोहन किया गया उस पैमाने पर लौटाया नहीं गया, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन पैदा हुआ है.
कुलपति ने बताया कि इको ट्यूरिज्म में सबसे बड़ी बाधा पर्यटकों का इको फ्रेंडली न होना है जिसके कारण हमारे इको सिस्टम में बड़ी तेजी से बदलाव हो रहे हैं. इको ट्यूरिज्म तभी रोजगार का आधार बन पायेगा जब हम इको त्युइरिज्म क्षेत्र के स्थानीय मान्यताओं और वहाँ कि जनता को इको संगी के रूप में जोड़ पायें क्योंकि स्थानीय मान्यताओं एवं संस्कृति को ख़त्म कर हम इको ट्यूरिज्म को बढ़ावा नहीं दे पाएंगे अर्थात इको ट्यूरिज्म में एथनिक ट्यूरिज्म को शामिल करना अत्यंत आवश्यक है.