पूर्व पालिकाध्यक्ष व पार्षद के खिलाफ चुनावी मामला कोर्ट में खारिज
खरियार रोड । वर्ष 2013 में हुए स्थानीय नगरपालिका के चुनाव में वार्ड नंबर 11 व वार्ड नंबर 5 के तब के उम्मीदवारों द्वारा नामाकंन के समय दिए गए ओबीसी जातिगत प्रमाणपत्र को चुनौती देते हुए उनके चुनाव को रद्द करने की मांग को लेकर नुआपाड़ा जिला व सेशन कोर्ट में दायर चुनावी मामला कोर्ट ने खारिज कर दिया। नगरपालिका के चुनाव 22 नवंबर 2013 को हुए थे जिसमें वार्ड नंबर 11 को ओबीसी महिला के रिजर्व रखा गया था। इस चुनाव में सुनिता जैन, रितू मदनकर व वनिता चंद्राकर द्वारा नामांकन किया गया था। चुनाव में सुनिता जैन विजयी रहीं थीं तथा पालिकाध्यक्ष भी बनीं। वनिता चंद्राकर द्वारा सुनिता जैन का चुनाव व रितू मदनकर का नामांकन रद्द करने की मांग करते वाद दायर किया गया था जिसमें आरोप था कि उक्त दोनों प्रत्याशी ओबीसी श्रेणी में नहीं आते तथा दोनों ने तहसिलदार को गुमराह करते हुए ओबीसी (एसइबीसी) प्रमाणपत्र हासिल किया है तथा तहसिलदार ने भी बिना जांच पड़ताल के दोनों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी कर दिया था। इसी को आधार बना कर याचिकाकर्ता द्वारा नामांकन के समय ही आपत्ति दर्ज करवाई गई थी जिसे स्वीकार नहीं किया गया था।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि प्रतिवादियों की जाति निर्धारित करने के लिए उनकी पैतृक पृष्ठभूमि की जांच किए बिना प्रमाणपत्र जारी कर दिया। यदि समय पर उनकी आपत्ति दर्ज कर ली गई होती तो दोनों के नामांकन अवैध हो सकते थे तथा याचिकाकर्ता विजयी घोषित हो सकती थी। इसी आधार पर अदालत में वाद प्रस्तुत किया गया था। प्रतिवादियों की ओर से तर्क दिया गया कि तहसिलदार जैसे सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र के आधार पर उन्होने ओबीसी कोटे की सीट पर चुनाव लड़ा था। इसके अलावा यह तर्क भी दिया गया कि चूंकि प्रदेश सरकार द्वारा जातिगत मामलों की जांच के लिए अलग से प्रदेश स्तरीय स्वतंत्र कमेटी बनाई गई है इसलिए ये मामला जिला अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। सभी पक्षों द्वारा प्रस्तुत तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने 2013 में हुए उक्त चुनाव को रद्द करने की मांग को खारिज करते हुए मामले को डिसमिस कर दिया। इसी तरह का मामला वार्ड नंबर 5 के चुनाव को लेकर दिनेश चंद्राकर द्वारा तब के प्रत्याशी शेखर जैन व नितेश गोयल के खिलाफ याचिका लगाई गई थी। कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया। दिनेश चंद्राकर व वनिता चंद्राकर ने कहा कि वे इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। ज्ञातव्य है कि नगरपालिका का कायर्काल पिछले वर्ष अक्टुबर 2018 में ही समाप्त हो गया है।