एक्सक्लूसिव… डीजिटल इंडिया के शोर मे गुम हो गई सुविधाएं
1 min read- पालक – छात्र परेशानियों से तँग आकर कह रहे… नहीं लेना स्कालरशिप
- शिखादास, पिथौरा महासमुंद
पिथौरा। नगर की स्कूली बच्ची ने आवश्यक प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय के दर्जनों चक्कर लगाने और मिलने वाली छात्रवृत्ति से अधिक खर्च के कारण स्कूल के प्राचार्य को लिखा। हमें छात्रवृति नहीं चाहिए। क्षेत्र के पालकों एवम किसानों को आय, निवास एवम जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है, जेब पर मार सो अलग ,इसके बाद भी प्रमाण पत्र समय पर बन भी नहीं पा रहा। कभी अफसर नहीं , तो कभी सर्वर डाउन और बिजली का आना जाना तो चलता ही रहता है । हमारे प्रतिनिधि ने ग्रामीणों की शिकायत पर तहसील कार्यालय और लोकसेवा केंद्र की पड़ताल की । प्रमाण पत्र बनवाने आये लोगों से बात भी की |पड़ताल से पता चला कि आय, निवास एवम जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पालकों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।जिले के पिथौरा राजस्व विभाग द्वारा छात्रों एवम किसानों द्वारा बनवाये जाने वाले आय, निवास एवम जाति प्रमाण पत्र बनाने में चल रही भर्राशाही, अत्यधिक देरी , और खर्च के कारण छात्र-पालक स्कॉलरशिप (छात्रवृति )लेने से भी साफ इंकार करने लगे हैं । अनुमान लगा लें कितने परेशान रहे होंगे छात्र -पालक ।
पालकों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, स्थानीय तहसील कार्यालय में एक प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर 300 से 1000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। वहीँ इस प्रतिनिधि को एक स्कूल के प्राचार्य ने इस सम्बन्ध में छात्र-पालक पालक का लिखा पत्र भी दिखाया। जिसमें छात्र-पालक ने लिखा है -हमें छात्रवृति नहीं चाहिए। इस सम्बंध में जब तहसीलदार का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तब पता चला कि यहां विगत पखवाड़े भर से तहसीलदार नहीं है। वहीं अनुविभागीय अधिकारी ने इस प्रतिनिषि का मोबाइल ही रिसीव नहीं किया। न ही मैसेज का जवाब दिया |
तहसील कार्यालय में प्रमाण पत्र के लिए जद्दोजहद में हितग्राही टूटने लगे हैं | भर्राशाही, अत्यधिक देरी और खर्च से उनका सब्र टूट रहा है| पर कई इसलिए चुप रहते हैं कि प्रमाणपत्र किसी तरह मिल जाये कहीं अपने बच्चे का अहित न हो |
इधर तहसीलदार के मातहत कर्मियों ने बताया कि विगत पखवाड़े भर पूर्व यहां पदस्थ एक नायब तहसीलदार आर के दीवान के पदोन्नति में अन्यंत्र जाने के बाद श्री नेताम तहसीलदार को प्रभार सौंपा गया था परन्तु उनके कभी-कभार ही बैठने के कारण प्रमाण पत्रों का काम पेंडिंग होने लगा है।इसका फायदा स्थानीय कुछ दलाल उठाने लगे और खास लोगो के प्रमाण पत्र तो आसानी से बनने लगे परन्तु आम लोगो के लिए प्रमाण पत्र बनवाना किसी बड़ी फतह जैसा हो गया है।
इस प्रतिनिधि को भी ग्राम पाटनदादर की एक छात्रा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी रायपुर के एक स्कूल में पढ़ रही है जिसके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र की जरुरत है परन्तु तहसील कार्यालय में ऑफिस-ऑफिस का खेल चल रहा है। कभी लोक सेवा केंद्र से भुइयां फिर भुइयां से लोकसेवा केंद्र ,4 माह से यह खेल जारी है परन्तु अब तक काम बना नहीं।इस पूरे मामले में चूक-गलती किसकी है इसे समझने की आवस्यकता है| पालक ने बताया की उनकी बड़ी बेटी का प्रमाण पत्र बन गया पर अब इसका इस तरह अटका या अटकाया जा रहा है कि पालक अब अपना सिर फोड़ ले।
इस सम्बंध में भुइयां प्रभारी गोविंद पटेल ने बताया कि उनके पास लोक सेवा केंद्र से अधूरे दस्तावेज भेजे गए हैं । इधर लोक सेवा केंद्र से पता लगाने पर केंद्र प्रभारी ने अपनी खामी छिपाने के लिए नेट को ही दोषी ठहरा दिया। प्रभारी के अनुसार उन्होंने हितग्राही छात्रा के समस्त दस्तावेज भुइयां में भेजे है परन्तु भुइयां पहुंचते-पहुंचते अधूरे कैसे हो गए। इस पर उन्होंने नेट स्लो की बात कही।
एसडीएम मोबाइल रिसीव नहीं करते
उक्त मामले में मजबूर परेशान हितग्राहियों के सम्बंध में जानकारी देने मोबाइल पर बात करने का प्रयास किया परन्तु उन्होंने काल रिसीव नहीं किया। इसके बाद मेसेज भेज कर भी मामले के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया परन्तु इसका भी जवाब उन्होंने नहीं दिया।
(एक प्रमाणपत्र की आपबीती अगले अंक में )