सोमवार से भाठीगढ़ में चार दिवसीय देव दशहरा का शुभारंभ
देव दशहरा को लेकर भाठीगढ़ मे चल रही है जोरदार तैयारी
मैनपुर। क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात पैरी उद्गम स्थल भाठीगढ़ में ऐतिहासिक चार दिवसीय देव दशहरा का शुभारंभ नवरात्र के नवमी सोमवार से प्रारंभ होगी। भाठीगढ़ के चार दिवसीय देव दशहरा पर्व अपने आप मे एक अनूठा पर्व है, यहां दशहरा के अवसर पर क्षेत्र भर के देवी देवताओ की संवारी पहुंचती है और हजारो लोगो के उपस्थिति मे देवी देवताओं द्वारा रैनी मारए गढ़ चढ़ाई कर देव दशहरा संपन्न किया जाता है। इस संबंध मे भाठीगढ़ के वरिष्ठ नागरिक व पैरी विकास समिति के अध्यक्ष हेमंिसंग नेगीए रामेश्वर नेगी, नकछेड़ा राम धुर्वा, आशाराम यादव, जयराम चक्रधारी, भागीरथी, पूरोहित राजेन्द्र प्रसाद, हरिशचन्द्र नेगी, कुवंर सिंह धुर्वा, खेदू नेगी, नाथूराम धुर्वा ने बताया कि प्राचीन काल राजा रजवाडा समय से भाठीगढ़ में देव दशहरा का आयोजन किया जा रहा है और इस देव दशहरा में शामिल होने प्रदेश के कोने कोने से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है।
उन्होंने बताया कि नवरात्र के नवमी तिथि पर सभी ग्रामवासी झांकर बैगा पुजारी पहाड़ी पर स्थित मां बम्हनीन माता के दरबार पर पहुंचते है और विशेष पूजा अचर्ना के बाद यहां देवी देवताओ की सवारी निकाली जाती है। देवी देवताओं के अनुमति के पश्चात दशहरा पर्व प्रारंभ होता है और विजय दशमी के दिन सुबह से क्षेत्र भर के देवी देवताओं का डांग, डोली, बाना सांगा, खड़कए बाजे गाजे के साथ भाठीगढ़ पहुंचने लगती है जहां विशेष पूजा अचर्ना के पश्चात् देवी देवताओं की सवारी नेगी परिवार के घर पहुंचती है। यहां राजा रजवाड़े जमाने के तलवार, खड़क, हथियारों की पूजा के पश्चात देवी दंतेश्वरी माई के मंदिर मे विशेष पूजा अचर्ना किया जाता है। तब तक राजभर के देवी माता जिड़ारिन भी शाम ढलते ग्राम भाठीगढ़ गाजे बाजे के साथ पहुंचती है और सभी देवी देवताओं द्वारा जिड़ारिन माता का स्वागत के पश्चात गोपालपुर क्षेत्र से मां बस्तरीन, गादी माई एवं रणमौली खड़कदेव के साथ सभी देवी देवता आपस मे मिलते है। इस दौरान विशाल शोभा यात्रा देवी देवताओं की निकाली जाती है और क्षेत्र भर के सभी प्रमुख देवी देवताओं से आशीर्वाद लेने लोग उमड़ पड़ते है। पश्चात सभी देवी देवताओं द्वारा रैनी मार कर गढ़ चढ़ाई रस्म अदा करते हुए दशहरा पर्व मनाया जाता है और रात्रि विश्राम गजभारन मे किया जाता है। तीसरे दिन क्षेत्रभर के लोग पहुंचकर देवी देवताओं की पूजा अचर्ना करते हुए क्षेत्र में सुख शांति, समृध्दिए खुशहाली की कामना के साथ बकरा, मुर्गा की बलि दी जाती है और सभी देवताओं को पान सुपारी भेंटकर शाम तक विदाई दिया जाता है। चैथे दिन मां दंतेश्वरी, मां बम्हनीन, मां काला कुंवरए मां पाठ देवी की मंदिर मे पहुंचकर दशहरा पर्व हर्षोंल्लास के साथ संपन्न होने के बाद पालो उतार क्षमा याचना करते हुए यह देव दशहरा चार दिनों बाद संपन्न होता है। अपने आप मे एक अनूठा आदिवासी संस्कृति से जूड़ा यह देव दशहरा काफी ऐतिहासिक पर्व है और सदियों से यह परंपरा का निर्वाहन भाठीगढ में किया जा रहा है। देव दशहरा पर्व पर सभी धर्मए सप्रंदाय के लोग भाठीगढ़ पहुंचकर देवी देवताओं की पूजा अचर्ना व दर्शन लाभ आशिर्वाद लेते है। विजय दशमी पर्व के दिन भाठीगढ़ मे मेला लगता है और दूर दूर से व्यापारी गण व्यवसाय करने यहां पहुंचते है। मेला स्थल पर रामलीला का भी मंचन किया जाता है देवदशहरा पर्व परंपरा अनुसार धूमधाम से मनाने के लिये भाठीगढ़ मे जोरदार तैयारी कि जा रही है।