प्रकाश पर्व मनाने 80 सिखोंं का जत्था पंजाब के लिए रवाना
श्री गुरुनानक देव जी के तप स्थल पर सिखों का जत्था 12 नवंबर को मनायेंगे प्रकाशोत्सव
राउरकेला। ओड़िशा सिख प्रतिनिधि बोर्ड के बैनर तले शुक्रवार को उत्कल एक्स प्रेस से 80 सिखों का जत्था श्री गुरुनानक देव जी के तप स्थल पंजाब के सुल्तानपुर लोधी के लिए रवाना हुए। सभी श्रद्धालु श्री गुरुनानक देव जी के तप स्थल पर 12 नवंबर को प्रकाशोत्सव मना कर लौटेंगे। बड़ी संख्या में जत्था को स्टेशन पर छोड़ने शुभेच्छु गये। उत्कल एक्सप्रेस से शुक्रवार को उड़ीसा सिख प्रतिनिधि बोर्ड के बैनर तले सरदार गुरमीत सिंह, गुरदीप सिंह, गुरमेज सिंह, सतबीर सिंह, बलबीर सिंह बीरा, गुरिंदर सिंह दीपू की अुगवाई में राउरकेला से सुल्तानपुर लोधी पंजाब के लिए रवाना हुए।
यहां गुरु नानक देव जी के 150वें प्रकाश पर्व 12 नवंबर को मनायेंगे। उल्लेखनीय है कि श्री गुरुनानक देव जी अपने जीवन के लगभग 15 साल सुल्तानपुर लोधी में बिताए। माना जाता है कि यहीं गुरु जी को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने मूलमंत्र इक ओंकार का उच्चारण किया। यानी गुरु ग्रंथ साहिब की आधारशिला रखी। इसी ऐतिहासिक शहर से ही गुरु नानक देव जी ने विश्व कल्याण के लिए 1499 ईस्वी में पांच उदासियों (यात्राओं) की शुरुआत की। सुल्तानपुर लोधी के प्रमुख गुरुद्वारों पर, जिनका गुरुनानक देव के साथ गहरा नाता रहा है। पावन नगरी सुल्तानपुर लोधी में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब श्री गुरु नानक देव जी का भक्ति स्थल होने के कारण श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र रहा है। यह सिख धर्म में वही स्थान रखता है, जो बौद्ध धर्म में गया या मुस्लिम धर्म में मक्का को प्राप्त हैं। गुरु नानक साहिब रोजाना सुबह बेई नदी में स्नान कर प्रभु की भक्ति में लीन हो जाते थे। इस स्थान पर आज श्री भौरा साहिब बना है, जिसमें गुरु जी 14 साल 9 महीने 13 दिन तक रोजाना आकर भक्ति करते रहे। गुरुद्वारा बेर साहिब के दशर्नों के लिए आने वाला हर प्राणी भौरा साहिब के भी दर्शन करके जाता है। मान्यता है कि गुरु जी ने अपने भक्त खरबूजे शाह के निवेदन पर बेर के इस पौैधे को यहां लगाया था। 550 साल बाद भी यह हरीभरी है और अब काफी बड़े क्षेत्र में फैल गई है।