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November 20, 2024

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अंग्रेजी के विरोध करने के बजाय हिंदी का प्रांतीय भाषाओं से समन्वय बने: दाहिमा

Hindi should be coordinated with the provincial languages

पंचायत महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़े पर हिंदी दिवस समारोह व कविसम्मेलन का आयोजन
राउरकेला। पंचायत महाविद्यालय, बरगढ़, ओडिशा में हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में 20 सितम्बर 2019 को भव्यता सहित हिंदी दिवस समारोह व कविसम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि थे सुप्रसिद्ध कवि, पत्रकार डॉ. सुशील दाहिमा ‘अभय’,मुख्यवक्ता – डॉ. सनत पाल, हिंदी विभागाध्यक्ष, जी।एम। विश्वविद्यालय, सम्मानित अतिथि – डॉ. ज्योति मिश्रा, हिंदी प्राध्यापिका व जनाब जमील अख़्तर खान,मैनेजर सीएसआर एसीसी लिमिटेड और सभापतित्व किया प्राचार्या डॉ.  कमलप्रभा कपानी ने श्री दाहिमाजी की कविताओं ने खूब वाहवाही बटोरी, डॉ. राधाकृष्ण विश्वकर्मा, बरगढ़ ने कार्यक्रम का संचालन किया।

Hindi should be coordinated with the provincial languages

इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ.  दाहिमा जी ने कहा कि हंदी को चाहिए कि वह अंग्रेजी का विरोध करने के स्थान पर,प्रांतीय भाषाओं से अपना समन्वय व सहयोग स्थापित करें। इसका सर्वोत्तम साधन है प्रांतीय साहित्य को हिंदी में और हिंदी साहित्य को प्रांतीय भाषा में अनुवाद किया जाए। हिंदी का विरोध न तो जनता में है न साहित्य से जुड़े लोगों में।यह विरोध कुछ राजनीतिक नेताओं का शगल बन चुका है। इसी राजनीतिक विरोध के चलते हिंदी राष्ट्रभाषा बनने के स्थान पर राजभाषा भर बनी हुई है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने विगत 7 दशकों में हिंदी और प्रांतीय भाषाओं में समन्वय स्थापित करने का ऐतिहासिक कार्य किया है। वाह पीढ़ी जो कभी स्कूलों में थी। आज जवान है और हिंदी का ज्ञान है उसे।जब कश्मीर से असंभव मानी गई धाराएं हट सकती हैं,तो हिंदी भी राष्ट्रभाषा बन सकती है।बस,संकल्प और इच्छाशक्ति चाहिए।”

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