ओसीएल के लांजिबेरना खदान में अंचल के ग्रामीणों ने बंद कराया काम
चार दिनों से उत्पादन बंद, युनिट वन में उत्पादन ठप, सीमेंट उत्पादन हुआ प्रभावित
राजगांगपुर। लाॉजिबेरना स्थित ओसीएल ( डालमिया सीमेंट) खदान मे पिछले चार दिनों से चल रहे विवाद का कोई हल अब तक नहीं निकल पाया है। जहां सलियामेटा गांव के ग्रामीणों ने खदान का पूरा काम बंद करा रखा है, जिससे एक ओर वहां काम कर रहे छह सौ कर्मचारियों सहित उनका परिवार प्रभावित हो रहा है, वहीं खदान के कामों मे परोक्ष रूप से जुड़े सैकड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। दूसरी ओर खदान में उत्पादन ठप्प होने के कारण सीमेंट उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिल रही है लाइन वन में तो काम पूरी तरह बंद है। वहीं दूसरे यूनिट मे काम न के बराबर हो रहा है, जिसका असर लॉजिबेरना सहित राजगांगपुर स्थित प्लांट पर भी पड़ रहा है। पिछले चार दिनों से डालमिया भारत प्रबंधन ग्रामीणोंं की मान मुनव्वल मे लगा है, लेकिन ग्रामीणों के अड़ियल रुख के कारण कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है। ग्रामीणों ने बातचीत के सभी रास्ते बंद कर रखा है। ओसीएल प्रबंधन के बार बार अनुरोध का भी आंदोलनकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा है। लॉजिबेर्ना खदान के प्रमुख सरोज कुमार राउत ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रबंधन उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार है जिसके लिए साथ बैठकर बातचीत करने की आवश्यकता है। बातचीत के जरिए मसले का समाधान निकाला जा सकता है।
नहीं खदान बंद करने के अलावा कोई मार्ग नहीं बचता, लेकिन ग्रामीणों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। ग्रामीणों ने खदान सहित वहां के दफ्तर तक में ताला जड़ दिया और तो और वहां से पानी की सप्लाई भी बंद कर दी, जिसका असर खदान के कर्मचारियों पर पड़ रहा उनके परिवार जन एक एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। मामले की गंभीरता के देखते हुए राजगांगपुरह तहसीलदार रीना नायक ने भी ग्रामीणों को बातचीत का प्रस्ताव दिया, लेकिन हुआ वही ढाक के तीन पात। यहां तक की मसले को सुलझाने की चेष्टा करने के उद्देश्य से सुंदरगढ़ उप जिलापाल ने ग्रीमीणों को लिखित आमंत्रण दिया ग्रामीणों ने उसकी भी अनदेखी कर दी और तो और सुंदरगढ़ जिलापाल निखिल पवन कल्याण के बातचीत के आमंत्रण को भी ठुकरा दिया। ग्रामिणों का यह हठ उद्योग के लिए हितकर नही है कहीं ऐसा न हो की कोई रास्ता न पाकर कंपनी प्रबंधन मजबूरन सत्तर साल से चल रहे प्लांट को बंद करने का निर्णय लेले। अगर ऐसा होता है तो पूरे क्षेत्र के लिए बहुत दुर्भाग्य पूर्ण होगा। हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा और क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ जाएगी, जिससे प्लांट से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जुड़े हजारों लोगों के घर का चूल्हा बंद हो जाएगा। अभी कुछ दिनों पहले ही राजगॉगपुर स्थित हरी मशीन उद्योग के बंद हो जाने का परिणाम वहां काम कर रहे सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी नौकरी गवां कर देखा है, जिसके चलते कितने लोग बेरोजगार हो गए कितनों के घर का चूल्हा बंद हो गया। इसलिए डालिया सीमेंट सहित स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन से अनुरोध कर समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की है। अगर इस समस्या का शीघ्र एवं समुचित समाधान नही होता है तो क्षेत्र का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। वहीं यह बात समझ से परे है की आखिरी आंदोलनकारियों की मांग क्या है? वह बात करने से भाग क्यों रहे हैं? आखिरकार ग्रामीण किससे बात करना चाह रहे हैं? इस मसले के पीछे कहीं कोई और साजिश तो नहीं, लेकिन जो भी हो समस्या का शीघ्र समाधान ही क्षेत्र के लोगों के लिए हितकर होगा।