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October 17, 2024

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मैनपुर क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में 21 वीं सदी में भी मिट्टी तेल से जलने वाली लालटेन और गैस लााइट का किया जाता है उपयोग

  • नगर के हार्डवेयर दुकानो में एक वर्ष में आज भी 50 से 60 लालटेन की हो जाती है बिक्री
  • शेख हसन खान की विशेष रिपोर्ट

मैनपुर । आज 21 वीं सदी में शहरी क्षेत्र बडी तेजी से विकास कर रहा है और बडे बडे शहर बिजली की रौशनी से चकाचौंध नजर आ रही है। वही ग्रामीण क्षेत्र भी बिजली की रौशनी से चमक रहा है, लेकिन गरियाबंद जिला के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के दुरस्थ वनांचल के कई ग्रामो में आज भी विलुप्त हो चुकी लालटेन और गैस लाईट की रौशनी रात के अंधेरे से लड़ने लोग उपयोग कर रहे हैं, इसके पीछे मुख्य कारण आजादी के 75 वर्षो बाद भी मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के 50 से ज्यादा पाराटोला और गांव में आज तक बिजली नहीं लगी है। ऐसा नहीं कि इन ग्रामों में शासन द्वारा बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था न किया हो बिजली नहीं लगी है लेकिन क्रेडा विभाग द्वारा सौर उर्जा संचालित किया जा रहा है, लेकिन मैनपुर क्षेत्र के दुरस्थ वनांचल के कई ग्रामो में सौर उर्जा खराब पड़ा हुआ है। लंबे समय से ग्रामीण इसके सुधार की मांग करते थक चुके है। शिकायत के बाद हर बार विभाग द्वारा मरम्मत किया जाता है लेकिन आज भी कई ग्रामो में सौर उर्जा महज एक से दो घंटा ही चल पाती है। ऐसे में रात के अंधेरे से लडने के लिए और रात में रौशनी के लिए आज 21 वीं सदी में भी मैनपुर क्षेत्र के पहाड़ी और दुरस्थ जंगलो के भीतर बसे ग्रामो के लोग लालटेन के साथ केरोसीन से जलने वाले गैस लाईट का उपयोग करते है। ग्रामीण मनसाय सोरी, देवकी बाई सोरी, रमीन बाई नेताम, सुरजो बाई नागेश, बुधराम कमार, पालिशराम ने बताया कि उनके गांव जांगडा, बरगांव, पायलीखंण्ड क्षेत्र में आज भी बिजली नही लगी है और सौर उर्जा नाम मात्र का है, शाम को कुछ घंटे ही जल पाता है उसके बाद पूरा रात अंधेरा रहता है जिसके कारण ग्रामीण आज भी लालटेन का उपयोग करते है यही स्थिति मैनपुर पहाडी क्षेत्र आमामोरा, कुकराल, अमलोर, ताराझर, कुर्वापानी, भालू डिग्गी, बडेगोबरा क्षेत्र में भी बनी हुई है।

केरोसीन से जलने वाली गैस लाईट को शादी विवाह व अन्य समारोह में किराये पर ले जाते हैं

लालटेन की तरह ही केरोसीन से जलने वाले गैस लाईट भले ही बडे शहरों में अब म्युजियम में देखने को मिले लेकिन आपको यह जानकर बडा आश्चर्य होगा कि आज दुरस्थ वनांचल क्षेत्र में गैस लाईट को किराये में दिया जाता है। खासकर शादी विवाह, धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम के दौरान गैस लाईट की विशेष मांग रहती है हालांकि इसकी संख्या भी क्षेत्र में अब तेजी से घट रही है जिसके पीछे मुख्य कारण केरोसीन की बढती कीमत को बताई जाती है। चार माह पूर्व केरोसीन 100 रूपये लीटर के आसपास मिल रहा था हालांकि अभी इसकी कीमत कुछ कम होने की जानकारी मिली है।

  • क्या कहते हैं दुकानदार 

बुखारी हार्डवेयर के संचालक सरफराज मेमन ने बताया कि आज भी एक साल में 50 से 60 लालटेन हम लोग बिक्री करते है, उनके दुकान में लालटेन 250 रूपये से लेकर 400 रूपये तक कीमत के है। उन्होंने बताया कि अब केरोसीन से जलने वाले गैस लाईट क्षेत्र में कम हो गई है लेकिन उनके सामग्री जैसे, मेंथल, व कल पुर्जे की मांग बनी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रो में लोग आज भी गैस लाईट का उपयोग करते है।