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December 23, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

पत्रकारिता साहित्य का ही एक अंग है : आशुतोष भारद्वाज

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Journalism is a part of literature: Ashutosh Bhardwaj

“पत्रकारिता साहित्य की एक विद्या” विषय पर विशेष व्याख्यान कार्यक्रम आयोजन किया गया

रायपुर. पहली बार है जब पत्रकारिता विषय को साहित्य की एक विधा के रूप में माना जा रहा है। पत्रकारिता को हमेशा से साहित्य से दोहम दर्जे का माना जाता रहा है। यह बातें प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार आशुतोष भारद्वाज ने कही। शुक्रवार को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा “पत्रकारिता साहित्य की एक विद्या” विषय पर विशेष व्याख्यान कार्यक्रम आयोजन किया गया। आशुतोष ने अपने व्याख्यान में कहा साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे को सींचते है, तराशते है, उत्कृष्ट साहित्य से ही गुजर कर आया पत्रकार कहीं बेहतर पत्रकारिता कर पाता है। अपनी खबरों को संवेदना और धार दे पाता है, उसी तरह पत्रकारिता की नदी में डुबकी लगाकर आया लेखक तर्क और तथ्य के प्रति कहीं अधिक सजग हो जाता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में पत्रकार और लेखक के अंर्तसंबंध पर भी बात रखी। कहा की अच्छा पत्रकार प्रश्न पूछता है, सत्ता और व्यवस्था पर प्रश्न खड़े करता है, लेकिन एक महान पत्रकार खुद अपने पर, अपनी निगाह पर भी प्रश्न करता है। जितने बड़े प्रश्न वह सत्ता से करता है उससे कहीं बड़े वह खुद अपने आप से करता है।
वह अपने को किसी अंतिम सत्य का वाहक नहीं समझता। वह अपनी दृष्टि, अपने शब्द को ले विनम्र हो जाता है, वह समझ जाता है कि जो वह आज लिख रहा है, हो सकता है कल कोई दूसरी खबर उसके लिखे को सुधार दें। कोई नया तथ्य समाने आ जाए जो उसके लिखे को संशोधित कर दे। इस क्षण जब पत्रकारिता निर्णाय नहीं सुनाती, अपने पर संदेह करने लगती है, साहित्य की विधा हो जाती है।


पत्रकारिता के छात्रों को कहा कि मेरी आप सभी से यही उम्मीद है कि आप कुछ सालों में बड़े अखबार, टी.वी चैनल जायेंगे। पत्रकार होने के अहंकार में मत रहिएगा। अपना माईक किसी के ऊपर मत थोपिएगा पूरी विनम्रता से स्वीकारिएगा कि आपसे परे की चीजें भी सत्य हो सकती है। आपका विपक्षी भी सही हो सकता है। अपने विपक्षी को सुनिए, उसे अपना विपक्ष मानने से बचिए उससे संवाद करिए। उससे प्रश्न करिए, लेकिन खुद अपने प्रश्न पर भी प्रश्न करिए। यही पत्रकारिता में साहित्य के प्रवेश का क्षण है और यह सच्ची पत्रकारिता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर ने कहा कि एक अच्छे पत्रकार को साहित्य से जुुड़ना आवश्यक है। पत्रकारिता छात्रों से कहा कि सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें जिसमें साहित्य के ब्लॉग को पढ़ने का समय निकाले। वहीं कार्यक्रम में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि भी दी गई। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभागाध्यक्ष डॉ.शाहिद अली ने किया। इस अवसर पर विश्विद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, अतिथि प्राध्यापक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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