योगी सरकार ने अतिपिछड़ों को दिया लॉलीपॉप
1 min readएससी के लाभ के लिए सही तरीका नहीं अपनाया
सरकार की मंशा ठीक तो केंद्र को संस्तुति कर दिलाये संसद से मंजूरी- लौटनराम निषाद
लखनऊ। मण्डल कमीशन के संदर्भ में 16 नवम्बर,1992 को आये निर्णय के बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति व अन्य पिछड़ावर्ग आरक्षण अधिनियम 1994 संख्या-4 धारा-13(भाग-1 व 2 ) संविधान प्रदत्त व्यवस्था के तहत लागू किये थे। उक्त के सम्बंध में राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि सरकार ने इसी अधिनियम की बात तो की, पर लागू करने में गलत तरीके अपनाया।उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जून को जो शासनादेश जारी कराया है, इससे इन अतिपिछड़ी-निषाद, मल्लाह,केवट,बिन्द, माँझी, मछुआ, धीवर, धीमर, रैकवार, तुरहा, गोड़िया, कहार, कश्यप, बाथम, भर, राजभर,कुम्हार, प्रजापति आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलने की बजाय ये जतियाँ पेंडुलम बन जाएंगी।
निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अधिनियम -1994 संख्या-4 धारा 13 भाग 1 यह कहती है कि प्रदेश सरकार अगर माननीय राजपाल से अनुरोध करे तो पिछड़ी जाति की सूची से किसी जाति को निकाला जा सकता हैं,वही धारा 13 भाग 2 यह इजाजत देता हैं कि इसी क्रम में प्रदेश सरकार के निवेदन पर उसी प्रदेश में राज्यपाल के अधिकार के तहत उस प्रदेश की अनुसूचिति जाति की लिस्ट में समान जाति को जोड़ा भी जा सकता है।लेकिन राज्य सरकार ने समान/समनामी/पर्यायवाची जाति यों को पूर्व से अनुसूचित जाति की सूची में शामिल जाति के साथ परिभाषित न कर शामिल किए जाने का शासनादेश जारी कराया है। सरकार का यह तरीका गलत व असंवैधानिक है।
निषाद ने कहा है कि राज्य सरकार की मंशा अतिपिछड़ी जतियाँ को सामाजिक न्याय देने की नहीं,झूठा लॉलीपॉप दिखाकर आरक्षण से वंचित करने की साज़िश है।इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजकर संसद से मंजूरी दिलाना जरूरी है।संसद में बिल पास होने पर संविधान के अनुच्छेद-341 में संशोधन हो जाएगा। किसी प्रदेश की संघीय अधिकार की स्वतंत्र धारा 13 के अंतर्गत यह इजाजत है कि प्रदेश सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में धारा 13 भाग 1के द्वारा पिछड़ी जाति से विलोपन व धारा 13 भाग 2 के द्वारा अनुसूचिति जाति की सूची में पूर्व से शामिल जाति की समनामी या उपजाति को उसके साथ सूचीबद्ध करने का निवेदन राज्यपाल से कर सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 अतिपिछड़ी जातियों के लिए ऐसा नहीं किया गया है।
निषाद ने बताया कि शासनादेश में स्पष्ट किया जाना चाहिए था कि मल्लाह,माँझी, केवट,बिन्द, मछुआ आदि मझवार की,गोड़िया, कहार, कश्यप, रैकवार, बाथम आदि गोंड़ की, धीमर,तुरहा, धीवर आदि तुरैहा की,भर,राजभर पासी की व कुम्हार, प्रजापति शिल्पकार की पर्यायवाची/समनामी/वंशानुगत नाम/उपजातियाँ हैं।धीवर, धीमर, गोड़िया मझवार/माँझी की ही समनामी व उपजातियां हैं। राज्य सरकार के इस शासनादेश से 17 अतिपिछड़ी जातियाँ ओबीसी आरक्षण से वंचित हो सामाजिक अन्याय की शिकार होंगी। उन्होंने राज्य सरकार से संशोधित शासनादेश जारी करने व केंद्र को विधिसम्मत संस्तुति/प्रस्ताव भेजने की मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने नियम का अनुपालन करते हुए संशोधित अधिसूचना जारी नहीं किया, तो जिला मुख्यालयों व विधानसभा पर धरना/प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने उपचुनाव में राजनीतिक लाभ उठाने व झूठी वाहवाही लूटने के लिए भ्रामक शासनादेश जारी कराया है। गंगोह,टूंडला(सु), हमीरपुर, जलालपुर, बलहा(सु), मानिकपुर, जैदपुर, इगलास,रामपुर में निषाद जतियाँ की निर्णायक संख्या है।