एमसीएल प्रबंधक वीरेंद्र बोले – छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाती जिसका शिकार मैं हुआ
1 min readएमसीएल भरतपुर ओसीपी आपदा में आरोपी खान प्रबंधक सस्पेंड
डीजीएमएस भुवनेश्वर, रीजनल डायरेक्टर द्वारा दिए गए चार्जशीट को एमसीएल प्रबंधन द्वारा धज्जिया उड़ाया गया है
अंगुल। ओडिशा के अंगुल जिले अंतर्गत तालचेर स्थित भरतपुर कोयला खुली खदान में बीते मंगलवार रात के वक्त हुई दुर्घटना के चलते मिट्टी एवं कोयला के ढेर तले अनेक श्रमिक दबे होने की आशंका जताई जा रही है जिसमें से 9 घायल श्रमिकों को निदान के लिए अस्पताल में रखा गया है। चार लाशें एनडीआरएफ तथा बचाव दस्ते द्वारा निकाला गया है l भरतपुर आपदा में दोषी करार देते हुए महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रबंधन के सीएमडी द्वारा भरतपुर खान प्रबंधक वीरेंद्र कुमार सिंह को कार्य से सस्पेंड किया गया है, जिसकी सूचना प्रेस विज्ञप्ति के जरिए एमसीएल जनसंपर्क विभाग द्वारा दिया गया है l
इस संबंध में कोयला खान संबंधी जानकार तथा पत्रकार ” दिलीप कुमार चोपदार ” ने कहा कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड का कार्रवाई सही है, क्योंकि माइनिंग एक्ट 1952 के धारा 18 मुताबिक कोयला खान का ओनर एजेंट प्रबंधक को माना जाता है। लिहाजा सभी विषयों पर जायजा लेते हुए प्रबंधन द्वारा यह निर्णय शायद लिया गया है l सुनने में आया है कि खान प्रबंधक वीरेंद्र सिंह का मैनेजर होने का क्वालिफिकेशन निचले स्तर की होते हुए भी प्रबंधन द्वारा मैनेजर पदवी में रखा गया था। दूसरी तरफ उनसे दक्षता संपन्न तथा योग्यता संपन्न एवं कंपनी तथा भारत सरकार की करोड़ों रुपया खर्च करते हुए कई अफसरों को सुरक्षा संबंधी तालीम के लिए ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य विदेश में स्थित कोयला खदानों को भी भेजा गया था लेकिन तालीम महज एक दिखावा बनकर रह गया है, क्योंकि विदेश से लौटे अफसरों को कंपनी द्वारा अन्य काम पर नियोजित करते हुए बिना दक्षता संपन्न अफसरों को रखा गया है। इसका कारण क्या है ? शायद इसलिए कोयला खदान विषयों पर सही ज्ञान नहीं होने के कारण भी एक मुद्दा माना जाता है। यह दुर्घटना का गौरतलब है कि भरतपुर एरिया में बहुत सारे इलीगल कार्ज़ पहले से चल रही है l जिसका एक उदाहरण के बारे में सूचना दे रहा हूं की एमसीएल प्रबंधन का रवैया कितनी ढीली है l बता दें कि अगस्त 2018 में भरतपुर खुली खदान के अंदर बिजली की खंबे पर काम करते वक्त संत चरण बारीक नामक एक सक्स का जान गई थी। इस विषय को गंभीरता से लेते हुए खान सुरक्षा महानिदेशालय भुवनेश्वर के रीजनल डायरेक्टर द्वारा सभी अनुषंगिक रजिस्टर को जप्त किया गया था जिसमें से छानबीन करते वक्त पता चला कि संत चरण बारीक का वोकेशनल ट्रेनिंग सर्टिफिकेट नहीं होते हुए भी सुरक्षा व्यवस्था को ताक पर रखते हुए काम कराया गया था। लिहाजा यहां दुर्घटना हुई है साथ में प्रबंधन द्वारा फार्म B रजिस्टर में भी मरे हुए आदमी का डीटेल्स दर्ज नहीं करवाया गया था, जिसमें से साफ जाहिर हो गया है कि अवैध तरीके से काम किया जा रहा है। इसलिए डीजीएमएस भुवनेश्वर रीजयन के निदेशक की ओर से माइनिंग एक्ट 1966 रूल 06 एवं माइनिंग एक्ट 1955 के रूल 727 अंतर्गत मैनेजर के साथ अन्य अधिकारियों को भी चार्जशीट प्रदान किया गया था साथ में एक्सप्लेनेशन को नॉट सेटिस्फेक्ट्री बताते हुए महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड प्रबंधन को पत्र भेजा गया था कि इस विषय पर आरोपियों के विरुद्ध करवाई किया जाए, लेकिन अभी तक कानून की आड़ में उसे झांसा देते हुए कोई कार्रवाई नहीं हुई है अब तक उसे लटका के रखा गया है l (लेटर का फोटो कॉपी दिया गया है ) इसलिए लिए आज इतनी बड़ी दुर्घटना को जानबूझकर अंजाम दिया गया है, क्योंकि सिकल कंपनी में काम करने वाले 4 लाशें तो मिली है लेकिन उन सभी का भी फार्म ,B रजिस्टर फार्म D रजिस्टर वोकेशनल ट्रेनिंग सर्टिफिकेट आदि नहीं है तो फिर सवाल उठ रहा है कि खान के प्रबंधक एवं अन्य अधिकारी तथा आला अधिकारियों ने कैसे उन लोगों को काम कराने के लिए खान के अंदर दाखिला किए थे। केवल मैनेजर को नौकरी से सस्पेंड करते हुए एमसीएल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है. अन्य दोषी अधिकारियों को बचाव करने दांव पेंच खेल रहा है l
सस्पेंड के बाद प्रबंधक वीरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाते हैं जिसका शिकार में हुआ हूं। बाकी सब अफसर दूध के धुले हुए हैं l श्रमिक संगठन नेताओं का कहना है कि प्रबंधक वीरेंद्र सिंह नियमों को ताक पर रखते हुए एलपी ऑर्डर के जरिए लाखों रुपया अपने जेब में भरे थे l सुरक्षा संबंधी सामग्री खरीदने का झांसा देते हुए ठेकेदारों के साथ मिलीभगत का मुनाफा उठाते हुए लाखों रुपया हड़पने का योजना बनाकर काम भी किए थे लिहाजा एलपी के जरिए खरीद किए गए सामग्रियों का भी एमसीएल प्रबंधन एवं चीफ विजिलेंस अफसर द्वारा जांच होनी चाहिए l