एमसीएल का सीएसआर सिर्फ फाइलों में दफन
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- एमसीएल का सीएसआर सिर्फ फाइलों में दफन
- दो सीएमडी के नियमों के बीच में फंसा है डॉक्टरों की नियुक्ति
- एक वर्ष बाद भी नियुक्ति अधर में
- संबंधित अधिकारी अपना पल्ला झाड़ते दिखे
ब्रजराजनगर. एमसीएल का सीएसआर (सामाजिक दायित्व एवं कल्याणकारी योजना विभाग) सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह गया है. पिछले कई वर्षों से सरकार द्वारा वैसे तो कई समाज कल्याण के नियम निकालें जा रहे हैं तथा कर्मचारी एवं लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल एवं अन्यान्य सुविधाओं के लिए डीएमएफ फंड जैसे कई योजनाओं को घोषणा तो की गई, मगर एमसीएल के अधिकारियों द्वारा इन सभी योजनाओं तथा सीएसआर की धज्जियां उड़ाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार कोल इंडिया द्वारा कई मजदूर यूनियनों की मांग के बाद 30 मार्च 2020 को जारी आदेश संख्या-सीआईएल/सी5ए (पीसी)/मेडिकल कंसल्टेंट/405 में दिया कि एमसीएल अपने स्तर पर डॉक्टरों की ठेका नियुक्ति दे सकता है. इसके करीब 4 महीने बाद 27 जुलाई को जारी अन्य एक आदेश संख्या-एमसीएल/एचक्यु/ईई/2020/मेडिकल कंसल्टेंट के तहत एमसीएल द्वारा डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए निविदा आह्वान किया गया था. वहीं इसके तीन महीने बाद 21 अक्टूबर को साक्षातकार के लिए डॉक्टरों को बुलाया गया।
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इस साक्षातकार में 22 डॉक्टरों की जगह पर करीब 10 से 12 डॉक्टर ही पहुंचे थे, जबकि 11 विशेषज्ञ एवं 11 एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए निविदा आह्वान किया गया था. मगर साक्षातकार में 2 विशेषज्ञ तथा 8 एमबीबीएस डॉक्टरों ने अपना आवेदन दिया था. परंतु आज करीब ढ़ाई से तीन महीने गुजर जाने के बाद भी एमसीएल के अधिकारियों द्वारा किसी भी डॉक्टर की नियुक्ति न तो की गई, और ना ही फाइल आगे बढ़ पाया। इस संदर्भ में ‘नवभारत’ को एमसीएल के एक अधिकारी द्वारा मिली गुप्त जानकारी के अनुसार एमसीएल के नियुक्ति विभाग द्वारा पूर्व सीएमडी भोलानाथ शुक्ला के सामने 31 अक्टूबर से पहले ही फाइल को क्लियर करवा लेना चाहिए था, क्योंकि पूर्व सीएमडी भोलनाथ शुक्ला 31 अक्टूबर को सेवानिवृत हो रहे थे, मगर एमसीएल के कुछ गैर-जिम्मेदार अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के कारण इस फाइल को भोलानाथ शुक्ला के सामने नहीं रखा. श्री शुक्ला के बाद नये सीएमडी जो कि एनसीएल के सीएमडी थे को एमसीएल में अतिरिक्त दायित्व दिया गया के पास यह फाइल गया तो उन्होंने पुराने नियमों को मानने से इंकार करते हुए अपने नियम अनुसार इस फाइल को सुधार करके लाने को कहा और इसी उधेड़बुन में यह डॉक्टरों की नियुक्ति वाली फाइल आज तक एमसीएल में धूला खा रही है, जबकि एमसीएल के तालचेर तथा ईब कोल फिल्ड में डॉक्टरों की भारी कमी देखी गई है।
सिर्फ ईब वैली एरिया की ही बात की जाए तो यहां पर सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, शिशु रोग विशेषज्ञ, चर्म रोग विशेषज्ञ, चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ का एक भी डॉक्टर नहीं है। इसकी वजह से छोटी सी छोटी बीमारी के लिए भी एमसीएल कर्मचारी तथा आस पास के इलाके को लोगों को शहर के बाहर अन्य अस्पतालों में जाना पड़ता है। वहीं ईब वैली एरिया में एमबीबीएस जैसे साधारण डॉक्टरों की भी भारी कमी है।
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इस संदर्भ में ‘नवभारत’ ने जीएम सीएसआर तथा जन संपर्क अधिकारी बी.साईराम से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि फाइल बहुत जल्द ही क्लियर हो जाएगा तथा हम जल्द ही डॉक्टरों की नियुक्ति कर लेंगे। जब उनसे पूछा गया कि आज करीब एक वर्ष बाद भी आपने किसी भी डॉक्टर को नियुक्ति पत्र नहीं दिया तो क्या एक वर्ष तक आपके पास डॉक्टर रुके रहेंगे? इस पर श्री साईराम ने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया में तो काफी समय लगता है, हमने तो बहुत जल्द ही 9/10 महीने में ही इसे क्लियर कर दिया।
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यहां गौर करने वाली बात है कि श्री साईराम इस कार्य के लिए शायद चार/पांच वर्ष का समय लेने वाले थे, क्योंकि उन्हें 10 महीने का समय भी जल्दी लग रहा है. इस बीच जानकारी मिली है कि साक्षातकार में आये ज्यादातर डॉक्टर नियुक्ति पत्र न मिलने तथा ढ़िल मूल रवैये की वजह से किसी और कंपनी में जॉयन कर चुके हैं। इस संदर्भ में ‘नवभारत’ ने एमसीएल के महाप्रबंधक लीगल एसके षडंगी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डीएफ के छुट्टी में रहने की वजह से हम यह फाइल क्लियर नहीं कर पाए हैं। बहुत जल्द ही यह फाइल क्लियर हो जाएगा. जब उनसे पूछा गया कि सभी डॉक्टर तो कहीं और ही जॉयन कर चुके हैं, ऐसे में उन्हें नियुक्ति कैसे दी जाएगी? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे मालूम नहीं है। मैं दो महीने पहले ही कुर्सी पर बैठा हूं. यह कहकर उन्होंने अपना पल्ला झाड लिया. इसी संदर्भ में एमसीएल के सीएमएस डॉ. बेहेरा से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया, परंतु उनका मोबाइल स्वीच आॅफ आया. इसके चलते उनसे बात नहीं हो पायी।
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इसी संदर्भ में ‘नवभारत’ द्वारा बरगढ़ लोकसभा सांसद सुरेश पूजारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस वक्त दिल्ली में हूं और मेरी आज ही कोयला मंत्री से कई विषयों पर बात हुई है, जिसमें कोल करिडर, जमीन धारकों की समस्या, डॉक्टर तथा स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा आदि शामिल है।
इसके अलावा आगामी 7 तारीख को कोयला मंत्री आ रहे हैं मैं उनसे विस्तार से इन सभी बातों पर चर्चा करके जो भी उचित कदम होगा वह उठाया जाएगा तथा लोगों की समस्या को दूर किया जाएगा। इसी संदर्भ में ‘द नव दुनिया’ ने ब्रजराजनगर के विधायक तथा एमसीएल मजदूर यूनियन एचएमएस के ईब कोल फिल्ड के महासचिव किशोर महांति से पूछा तो उन्होंने कहा कि एमसीएल सिर्फ बिल्डिंग ही बनवा रहे हैं तथा ठेकेदारों को पाल रहे हैं।
लखनपुर एरिया के बंधबाहाल में भी काफी बड़ा अस्पताल तो बना दिया गया है, मगर उसमें एक भी डॉक्टर नहीं है. वहीं ईब वैली एरिया के केन्द्रीय चिकित्सालय में भी डॉक्टरों की काफी कमी है. मशीनें या तो है नहीं, और जो है वह जंग खा रहे हैं. विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है. एमसीएल की कॉलोनी में साफ-सफाई बिल्कुल नहीं हो रहा है, जिसके चलते बीमारियां फैल रही है. छोटी छोटी बीमारियों के लिए भी कर्मचारी तथा लोग जब अस्पताल जाते हैं तो वहां डॉक्टर नहीं होते, जिससे उन्हें जिला सरकारी अस्पताल जाकर इलाज करवाना पड़ता है. एमसीएल को जिस जगह पैसे खर्च करना चाहिए वहां खर्च न करके फालतु जगह पर खर्च कर रहा है. यहां लोक कल्याण का कोई भी कार्य नहीं हो रहा है. अधिकारी सिर्फ फाइलों में सीएसआर को दिखा रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर यह बिल्कुल शून्य है।
अगर जल्द ही इन सबका निवारण नहीं किया गया तो एमसीएल एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे. श्री महांति ने कहा कि मैं जल्द से जल्द इस बारे में एक लिखित ज्ञापन एमसीएल को देने जा रहा हूं तथा उनसे सीएसआर के तहत काम करने की मांग करने जा रहा हूं। सीएसआर के तहत अगर एमसीएल अपने दायित्व का निर्वाह नहीं करता है तो आने वाले सत्र में विधानसभा में प्रश्न भी उठाऊंगा। इसी संदर्भ में ‘नवभारत’ ने एमसीएल के सबसे बड़े मजदूर यूनियन ओसीएमएस के उपाध्यक्ष बिजेश शर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे यूनियन द्वारा हर बार मीटिंग में यह मुद्दा उठाया जाता रहा है, मगर इन अधिकारियों के कानों में ज्यूं तक नहीं रेंगता। कई बार हमने आंदोलन भी किया है, मगर सिर्फ आश्वासन ही मिला है। इन अधिकारियों को उत्पादन संबंधित कोई काम रहता है तो वे बिना निविदा अथवा आपातकालीन निविदा के द्वारा काम करवा लेते हैं, लेकिन जब मजदूरों तथा स्थानीय लोगों की समस्या व जन कल्याण की बात आती है तो सारे नियम कानून उन्हें याद आने लगते हैं. ऐसे अधिकारी अपने निजी स्वार्थ एवं सुविधा अनुसार ही सीएसआर के कार्य को वाजिब कर रहे हैं। हम कोल इंडिया के उच्च अधिकारियों से मांग करते हैं कि ऐसे अधिकारियों पर अति शीघ्र उचित कार्रवाई करें तथा लोगों को उनका हक दें. अन्यथा आगामी समय में हमें फिर से आंदोलन करना पडेगा।
मालूम हो कि एमसीएल का सीएसआर सिर्फ कागजों में ही दिखायी देता है, जमीनी स्तर पर इसका दूर दूर तक कोई नाता नहीं है. एमसीएल द्वारा न तो शिक्षा पर, न स्वास्थ्य पर, न तो पेयजल पर या फिर अन्य किसी भी जन कल्याण कार्य में अपनी सहभागिता दिखायी जा रही है. कुछ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के कारण किसी भी तरह का कोई जन कल्याण न करके लोगों की जीवन तथा जीवनशैली के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जिसकी उच्च स्तरीय जांच तथा कार्रवाई की मांग स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही हैं।