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October 18, 2024

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किसान परिवार में जन्मी लिलिमा मिंज ने 150 अंतरराष्ट्रीय मैच का आंकड़ा छुआ

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Minj touched the figure of 150 international matches

ओड़िशा सरकार से राज्य में प्रोफेशनल क्लब व दल बनाने की लिलिमा की वकालत
 बैंकाक में आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत ने कांस्य पदक जीता था
राउरकेला। 21 अगस्त, जापान की राजधानी टोक्यो के ओइ स्टेडियम में ओलिम्पिक टेस्ट हाकी प्रतियोगिता का फाइनल मैच खेलने हेतु  भारतीय महिला हॉकी दल मेजबान जापान के विरुद्ध मैदान में थी। यह मैच भारत के साथ दल की एक सदस्या के लिये भी खास था। वह अपने देश के लिए 150वीं बार अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने मैदान में उतरी थी। यह खिलाड़ी है ओड़िशा के सुंदरगढ़ जिले की आदिवासी बाला लिलिमा मिंज। हर खिलाड़ी कम से कम एक बार अपने देश की जर्सी पहनने का सपना देखता है। ऐसे में जिन खिलाड़ियों को बारंबार दुनियां की बड़ी प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है वह उन खिलाड़ियों की प्रतिभा, कौशल्य के साथ उनकी मानसिक दृढ़ता और जुझारूपन को भी दर्शाता है। मिडफील्डर के स्थान पर खेलने वाली 25 वर्षीय लिलिमा मिंज ने भी 150 का आंकड़ा छूकर एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल करने के साथ अपना नाम श्रेष्ठ महिला हाकी खिलाड़ियों की सूची में दर्ज करा लिया है। 2011 में अंडर -18 एशिया कप के लिये भारतीय दल में स्थान पाकर अपने अंतर्राष्ट्रीय हाकी कैरियर की शुरुआत करने वाली लिलिमा ने तबसे पीछे मुड़कर नहीं देखा। बैंकाक में आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत ने कांस्य पदक जीता था। जूनियर दल का हिस्सा बनने के बाद  2012 में उसे सीनियर दल में स्थान मिला उसके बाद से यह सिलसिला अनवरत जारी है। अब लिलिमा भारतीय दल का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। अपनी इस यात्रा के दौरान वह अब तक  2013 में जर्मनी के मोंचेंगलेडबेच में 7वीं जूनियर विश्व कप प्रतियोगिता (कांस्य पदक), 2014 ग्लासगो और 2018 गोल्डकॉस्ट (आॅस्ट्रेलिया) के राष्ट्रमंडल खेल, 2014 इंचियोन (कांस्य) और 2018 जकार्ता (रजत) के एशियन गेम्स,  2016 में रियो ओलंपिक खेल,  2018 में लंदन के विश्व कप हाकी चैंपियनशिप जैसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है।

Minj touched the figure of 150 international matches

2017 में लिलिमा 9वीं एशिया कप हाकी में स्वर्ण पदक जीतने वाली दल का भी हिस्सा रह चुकी है। सुंदरगढ़ जिले के राजगांगपुर प्रखंड के अंतर्गत बिहाबंध तानाटोली गांव के एक साधारण आदिवासी किसान परिवार में जन्मी लिलिमा मिंज ने कभी इन ऊंचाईयों को छूने की कल्पना तक नहीं की थी। घर में खेलों का भी कोई विशेष माहौल नहीं था। छह भाई बहनों में सबसे छोटी लिलिमा ने बचपन में कभी हाकी स्टिक को हाथ नहीं लगाया था, पर शारीरिक क्षमता के आधार पर पानपोष (राउरकेला) स्थित राज्य क्रीड़ा छात्रावास में 2005 में चयन होने के बाद उसका हाकी से जुड़ाव हुआ।वहीं प्रशिक्षण के दौरान हाकी के गुर सीखने की शुरुआत हुई। प्रारंभिक प्रशिक्षण सिल्वेस्टर टोपो से और बाद में अमूल्यनन्द बिहारी से प्राप्त कर लिलिमा सफलता की सीढ़ियों पर कदम बढ़ाने लगी। पहले छात्रावास दल फिर राज्य दल में लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वह 2011में जूनियर भारतीय दल में स्थान पाने में कामयाब हुई। जापान में ओलिंपिक टेस्ट प्रतियोगिता में भाग लेकर दो दिनों के लिये गांव आई लिलिमा मिंज ने बताया कि जापान की धरती पर जापानी दल को 2-1 से परास्त कर विजेता बनने से बेहद खुशी हुई,अत्यंत प्रसन्न लिलिमा ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करना है। हल्की पीड़ा भरे शब्दों में लिलिमा ने कहा  गत वर्ष जकार्ता एशियन गेम्स में अगर हम स्वर्ण पदक जीत जाते तो हम सीधे क्वालिफाई कर जाते, पर जापान से हमें अप्रत्याशित पराजय झेलनी पड़ी। अब हम जापान को दो बार उसकी धरती पर हरा चुके हैं। जकार्ता में हार का दु:ख है।हमारे क्वालीफाई मैच नवंबर महीने में भुबनेश्वर में होने हैं।दल के सभी खिलाड़ी  उत्साह और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। सबों का मनोबल भी ऊंचा है। हमारा लक्ष्य टोक्यो ओलिंपिक में खेलना है।अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने से वे अपने जीवन में क्या बदलाव महसूस करती हैं? इसके जवाब में लिलिमा कहती हैं कि हाकी की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने से उनके घर परिवार गांव सब पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। दल के साथ विश्व के अनेक देशों में जाने के साथ एक अच्छी नौकरी , पदक जीतने ओर पैसा व सम्मान मिला है। हाकी की वजह से सुंदरगढ़ जिले के सैकड़ों आदिवासी खिलाड़ियों को देश के विभिन्न संस्थानों में नौकरियां मिली हैं।अपने गांव में परिवर्तन का उल्लेख करते हुए लिलिमा बताती हैं कि उनके अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने से उनके गांव में लड़कियां अब हाकी खेलने लगी हैं। उन्हें नये पंख मिले हैं, मैं जब भी गांव आती हूं तो बच्चों को हाकी खेलने के लिए उत्साहित करती हूं।भारतीय महिला हाकी दल में पिछले वर्षों में आई सोच के बारे में चर्चा करने पर पश्चिम रेलवे, मुंबई में कार्यरत लिलिमा कहती हैं कि दल में आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया है।

  • मैदान में उतरने में तनिक भी भय नहीं लगता

अब हमें किसी भी दल के विरुद्ध मैदान में उतरने में तनिक भी भय नहीं लगता। कुशलता, दमशक्ति, स्टेमिना किसी भी लिहाज से हम कमतर नहीं है।ओड़िशा में खेलों के संदर्भ में पूछे जाने पर मिंज कहती हैं कि पहले की तुलना में राज्य में खेल परिवेश बदला है।ओड़िशा में बड़े खेल आयोजन हो रहे हैं। पदक   जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकार बहुत अच्छी प्रोत्साहन राशि दे रही है। अब तो दूसरे राज्य की लड़कियां ओड़िशा की ओर से खेलने की इच्छा जाहिर करने लगीं है।यह सुनकर हमें खुशी होती है। पर मैं चाहूंगी कि सरकार राज्य में प्रोफेशनल क्लब या दल बनाये ताकि राज्य के खिलाड़ी राज्य में ही रहने को इच्छुक हों।

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