मां, बच्चे को पोषित करना सीखेंगे एमबीबीएस छात्र
कार्यशाला
• एमबीबीएस के आगामी सत्र में शामिल होगा एमआईवाईसीएन
• अलाइव एंड थ्राइव ने आयोजित की राज्यस्तरीय कार्यशाला
• कार्यशाला में 25 मेडिकल कालेज के डॉक्टर्स ने लिया हिस्सा
लखनऊ, 5 दिसंबर 2019
बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) की पढ़ाई में अब मां, नवजात और बाल पोषण (एमआईवाईसीएन) भी शामिल किया जाएगा। यह कहना है डॉ. एन.सी. प्रजापति, अतिरिक्त निदेशक, स्वास्थ्य एवं शिक्षा का। डॉ. प्रजापति गुरुवार को एक राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ़) की सहयोगी संस्था अलाइव एंड थ्राइव की ओर से आयोजित कार्यशाला में डॉ. प्रजापति ने बताया कि वर्ष दर वर्ष उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मानकों में सुधार दर्ज हो रहा है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। वहीं प्रदेश में बौनापन के शिकार बच्चों की संख्या पहले से घटी है। हालांकि नवजात शिशु मृत्यु दर अब भी चिंता का विषय है। इसी के मद्देनजर एमआईवाईसीएन को एमबीबीएस के आगामी सत्र में शामिल किया जा रहा है। इसकी पढ़ाई एमबीबीएस के तीसरे सत्र से शुरू की जाएगी। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की तरफ से औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
कार्यशाला के दौरान मां, नवजात एवं बाल पोषण की आवश्यकता पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। कई डॉक्टर्स ने इस संबंध में आने वाली चुनौतियों पर भी अपने अनुभव साझा किए। केजीएमयू की डॉ अंजू अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्यगत मुद्दों पर मेडिकल कॉलेजों को नेतृत्व करने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों पर अनुसंधान को और आगे बढ़ाना होगा। वहीं जीएसवीएम कानपुर मेडिकल कालेज के डॉ वाईके राव ने कहा कि बेहतर अनुसंधान, सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में विशेष मानक तैयार कर एमआईवाईसीएन के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा। इस मौके पर जीएम, बाल स्वास्थ्य डॉ वेद प्रकाश ने भी अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला में यूपी के करीब 25 मेडिकल कालेज के डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। इसमें कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, झाँसी, कन्नौज, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, जालौन, सहारनपुर, बांदा और बंदायू मेडिकल कालेज प्रमुख हैं। साथ ही एम्स गोरखपुर, बीएचयू, आरएमएलआई, केजीएमयू, ईरा, हिन्द और प्रसाद मेडिकल कालेज के डॉक्टर्स ने इस कार्यशाला में हिस्सा लिया।
इस अवसर पर अलाइव एंड थ्राइव के यूपी व बिहार के कार्यक्रम निदेशक प्रवीण कुमार शर्मा, वरिष्ठ तकनीकी सहायक डॉ शैलेश जगताप, डिप्टी डायरेक्टर डॉ राजीव अग्रवाल, वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबन्धक राजेंद्र प्रसाद, ट्रेनिंग कंसल्टेंट अंजलि दत्ता के साथ साथ मातृ शिशु एवं पोषण पर कार्य रही संस्थाओं यूपीटीएसयू, यूनिसेफ, वर्ल्ड बैंक, पिरामिल, सीआरएस, एनआई और सीफार के प्रतिनिधि थे।
800 चिकित्साकर्मी प्रशिक्षित
अलाइव एंड थ्राइव की कंट्री डायरेक्टर डॉ. सेवंती घोष ने बताया अलाइव एंड थ्राइव ने सरकार की मदद से अब तक प्रयागराज, गोरखपुर, कन्नौज और कानपुर मेडिकल कॉलेज में एमआईवाईसीएन सेवा की गुणवत्ता पर ध्यान दिया गया है। इनमें करीब 800 चिकित्साकर्मियों को एमआईवाईसीएन सेवा के सर्विस डिलीवरी प्रोटोकॉल एवं गुणवत्ता सुधार पर प्रशिक्षण दिया गया है। डॉ. घोष ने बेसलाइन सर्वे का जिक्र करते हुये बताया कि मेडिकल कॉलेज के 51 प्रतिशत हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट एवं टीचिंग फैकल्टी यह अनुभव करते हैं कि मेडिकल कॉलेज में शिशु एवं छोटे बच्चों के पोषण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। जबकि 61 प्रतिशत हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट एवं टीचिंग फैकल्टी मानते हैं कि मेडिकल कॉलेज में मातृ पोषण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। उन्होने बताया कि एमआईवाईसीएन सेवा पर अधिक ध्यान देने से बेहतर परिणाम सामने आएंगे।