बेटियों के प्रति बदलनी होगी सोच, बेटियां बोझ नहीं अभिमान है : सौम्य रंजीता
- बिलासपुर से प्रकाश झा
सौम्य एक नई उड़ान की संस्थापिका सौम्य रंजीता जी किशोरी बालिकाओं और महिलाओं को कर रही हैं जागरुक, उन्होंने बताया अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 2012 से मनाया जा रहा है| इसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और उन्हें उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना, ताकि दुनिया भर में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का वे सामना कर सकें और अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें|
साथ ही दुनिया भर में लड़कियों के प्रति होने वाली लैंगिक असामानताओं को खत्म करने के बारे में जागरूकता फैलाना भी है.आज ज्यादातर लड़कियां स्कूल जाने लगी हैं, पढ़ाई पूरी कर रही हैं. अपने कैरियर पर फोकस कर रही हैं. अब उनको कम उम्र में शादी करने के लिए भी फोर्स नहीं किया जा रहा है।
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि किसी भी देश को सफल बनाने के लिए बालिकाओं का भी कदम से कदम मिलाकर चलना आवश्यक है|सौम्य रंजीता जी के द्वारा कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान 9000 से अधिक सैनेटरी नेपकिन (पैड) का वितरण किया तथा महिलाओं को मासिकधर्म के समय होने वाली परेशानियों से बचने के उपाय के बारे जानकारी दिया गए, साथ ही साथ महिलाओ को आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण दिया।
छोटे बच्चों को अच्छे तथा बुरे स्पर्श के बारे में और सोशियल डिस्टेनसींग की जानकारी दिया तथा आत्मरक्षा के गुण सिखाये गए। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान श्रमिकों, भिक्षा से जीवन – यापन करने वाले लोगों को निःशुल्क सेनेटरी पैड, मास्क ,सेनेटाइजर,चरण पादुका,वस्त्रदान, अन्ना दान,नाश्ता ,भोजन इत्यादि अनेक कार्य निरंतर किये जा रहे है।