विश्वविद्यालयों को अपनी गुणवत्ता सिद्ध करने के लिए नैक मूल्यांकन जरूरी

- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन कराने जा रहा है। इसकी तैयारियों को लेकर मंगलवार को विश्वविद्यालय में नैक क्या, क्यों और कैसे विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उच्च शिक्षा विभाग के उपनिदेशक एवं नैक मूल्यांकन प्रभारी प्रोफेसर जी घनश्याम ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए नैक मूल्यांकन कराना आवश्यक है। नैक मूल्यांकन के उपरांत ही विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता साबित कर सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन के लिए स्थापित मापदंडों पर हमें खरा उतरना होता है। उन्होंने कहा कि संस्थाओं के लिए नैक में ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए वहां के पाठ्यक्रमों को गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। साथ ही उन पाठ्यक्रमों को पूर्ण करने के उपरांत विद्यार्थियों में रोजगार के मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।

प्रो. घनश्याम ने कहा कि हमारी शिक्षण व्यवस्था विद्यार्थी केंद्रित होना चाहिए। साथ ही विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर वह सारी व्यवस्थाएं की जाना चाहिए, जिससे कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने आईसीटी तकनीक पर जोर देते हुए कहा कि नैक मूल्यांकन में आईसीटी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। नैक मूल्यांकन की विशेषताओं को बताते हुए प्रो. जी. घनश्याम ने कहा कि विश्वविद्यालयों को शोध और नवाचार के केंद्र बनना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट उस विश्वविद्यालय का वर्चुअल परिसर होती है। इसलिए वेबसाइट पर विद्यार्थियों एवं विश्वविद्यालय की गुणवत्ता से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध कराई जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन एक चरणबद्ध प्रक्रिया है। इसके मूल्यांकन में जाने के लिए नैक पोर्टल पर पंजीयन कराया जाता है। इसके उपरांत दिए गए मूल्यांकन प्रपत्र में सभी जानकारियों को भरकर नैक पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाता है। इसके उपरांत नैक टीम विश्वविद्यालय का भ्रमण करती है। विश्वविद्यालय द्वारा भेजी गई जानकारियों का सत्यापन एवं परिसर में उपलब्ध सुविधाओं और बीते पांच वर्षों के विश्वविद्यालय के गुणवत्तापूर्ण प्रदर्शन को देखकर संस्थान की ग्रेडिंग की जाती है। प्रो. घनश्याम ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए नैक मूल्यांकन का कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2022 तक सभी संस्थानों को अपनी गुणवत्ता सिद्ध करने के लिए नैक मूल्यांकन कराया जाना आवश्यक है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन कराने जा रहा है। उन्होंने बताया कि नैक मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय में तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जनसंचार विभाग के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय स्तरीय नैक मूल्यांकन समिति के सदस्य डॉ. शाहिद अली ने कहा कि नैक मूल्यांकन किसी भी संस्था के लिए आवश्यक है। नैक मूल्यांकन के उपरांत ही वह संस्थान अपनी गुणवत्ता समाज के सामने लाने में सक्षम हो पाता है। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन नैक मूल्यांकन समिति के समन्वयक डॉ. राजेंद्र मोहंती ने किया। इस अवसर पर कबीर संचार शोध पीठ के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी, विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष मंडावी, पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक डॉ. नृपेंद्र शर्मा, सह प्राध्यापक श्री शैलेंद्र खंडेलवाल, उपकुलसचिव ऋषि दुबे, सहायक कुलसचिव सौरभ शर्मा सहित सभी शिक्षक अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।