राष्ट्रीय निषाद संघ 26 से आरक्षण के लिए शुरू करेगा आन्दोलन – लौटन राम
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“राज्य सरकार मझवार, तुरैहा, गोंड को करे परिभाषित, दिलाये केन्द्र से मंजूरी”
लखनऊ । uttar pardesh news- राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने यहां जारी अपने बयान में बताया कि संगठन 1992 से ही निषाद/मछुआ समुदाय की मल्लाह,केवट,मांझी,धीवर, धीमर, गोड़िया,तुरहा, रैकवार,कहार, बिन्द आदि जातियों को क्षेत्रीयता समाप्त कर व 2006 से अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, तुरैहा, गोड़ को परिभाषित कर उनकी पर्यायवाची/समनामी जातियों को चमार या जाटव, धोबी, भोई, वाल्मीकि आदि की भांति निर्बाध रूप से जाति प्रमाण पत्र जारी करने व परम्परागत पुश्तैनी पेशा बहाली के लिए आंदोलन करता आ रहा है।
संघ 2003 से लगातार तथाकथित 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण की मांग को लेकर जिला मुख्यालय, विधानसभा व जन्तर-मन्तर पर धरना प्रदर्शन करता आ रहा है। 17 अतिपिछड़ी जातियों में 13 उपजातियां निषाद/मछुआ समुदाय की हैं, जिनकी आबादी 12.91 प्रतिशत है। 10 मार्च 2004 को मुलायम सिंह यादव की सरकार ने निषाद/मछुआ समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोडिया आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने बाबत केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा। आर.जी.आई. ने एससी में शामिल करने का औचित्य व इस जातियों का मानव शास्त्रीय/नृजातीय अध्ययन रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन से मांगा। उ0प्र0 सरकार ने उ0प्र0 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान से 12 जिलों में गहन सर्वेक्षण करवाकर 403 पृष्ठ की इथनोग्राफिकल सर्वे रिपोर्ट औचित्य सहित केन्द्र सरकार को 31 दिसम्बर 2004 को भेजा।
निषाद ने बताया कि एक बार फिर आर.जी.आई. ने 08 बिन्दुओं का जवाब उ0प्र0 शासन से मांगा, तो राज्य सरकार ने शोध संस्थान व समाज कल्याण विभाग अनुभाग- 2 से 16 मई 2005 को जवाब भेजा। पर एक जाति विशेष के दलित नेताओं के दबाव में आर.जी.आई. अड़ंगेबाजी व सवाल-जवाब करता रहा। 10 अक्टूबर 2005 को मुलायम सिंह यादव की सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना जारी करा दिये। 20 दिसम्बर 2005 को बसपा समर्थित डाॅ0 बी.आर. अम्बेडकर ग्रन्थालय एवं जनकल्याण समिति गोरखपुर ने याचिका योजित कर स्टे करा दिया। 30 मई 2007 को मायावती ने पहली ही कैबिनेट की बैठक में इन 17 अतिपिछड़ी जातियों के प्रस्ताव को वापस मंगाकर निरस्त करने का निर्णय लिया और 06 जून 2007 को मंगाकर निरस्त कर दिया। जिसके विरोध में राष्ट्रीय निषाद संघ ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। मायावती ने 04 अप्रैल 2008 को प्रधानमंत्री के नाम अर्द्ध शासकीय पत्र भेजकर 17 अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण कोटा बढ़ाते हुए अनुसूचित जाति में शामिल करने का अनुरोध किया।
- निषाद ने आगे बताया कि 22 फरवरी,2013 को अखिलेश यादव की सरकार ने केन्द्र सरकार को एक बार फिर प्रस्ताव भेजा, जिसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलौद ने 24 मार्च, 2014 को निरस्त कर दिया। सपा सरकार ने मझवार का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 21 दिसम्बर व 17 अतिपिछडी जातियों को एससी में परिभाषित करने के लिए 22दिसम्बर,2016 को शासनादेश जारी कराया। एक बार फिर बसपा के समर्थित संगठन डॉ. बी. आर.अम्बेडकर ग्रन्थालय एवं जनकल्याण समिति गोरखपुर ने मा.उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर 24 जनवरी 2017 को स्टे करा दिया। राष्ट्रीय निषाद संघ के पक्षकार अधिवक्ता सुनील कुमार तिवारी की पैरवी पर 29 मार्च, 2017 को स्टे वैकेट हो गया। उन्होने मझवार, तुरैहा, गोड को परिभाषित कर इनकी पर्यायवाची जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए राज्य सरकार से विधि सम्मत अधिसूचना जारी करने एवं केन्द्र से मंजूरी दिलाने के लिए 26 जुलाई 2019 से लखनऊ से आन्दोलन शुरू करने की घोषणा किया है। निषाद ने बताया कि 26 जुलाई,1902 को छत्रपति शाहू जी महाराज जी ने कोल्हापुर रियासत में हिन्दू शुद्र जातियों को प्रतिनिधित्व हेतु 50% आरक्षण की व्यवस्था किये,जिसे सामाजिक न्याय दिवस के रूप में जाना जाता है।इसी दिन मोर्चा निकाल कर जीपीओ पार्क में धरना दिया जाएगा,इसके बाद जिले- जिले राष्ट्रीय निषाद संघ धरना प्रदर्शन करेगा।