मण्डल आयोग के प्रतिकूल हो रही ओबीसी की नियुक्तियां : लौटनराम निषाद
1 min read- “राज्य सरकारें वंचितों के समुचित प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण कोटा बढ़ाने को स्वतंत्र”
- लखनऊ।
केन्द्र सरकार की नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में देश के पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के लिए गठित मण्डल आयोग की अनुशंसाओें पर प्रो.राजेन्द्र वर्मा की अध्यक्षता में एक चर्चा-परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्यवक्ता लौटनराम निषाद(पूर्व प्रदेश अध्यक्ष-समाजवादी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ) ने कहा कि मण्डल आयोग की सिफारिशें अगर समग्रता के साथ लागू की गई होतीं तो आज भारत में हाशिये पर रहने वाले पिछड़े वर्ग के लोग समाज की मुख्यधारा में अपना स्थान बना लेते। उन्होंने कहा कि सात अगस्त, 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने आयोग की अनुशंसाओं को स्वीकार करने की घोषणा संसद में की थी, जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि अभी विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों खासकर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में मण्डल आयोग के प्रतिकूल नियुक्तियां की जा रही हैं तथा छात्र-छात्राओं को भी नामांकन से वंचित किया जा रहा है।इसके लिए पिछड़े वर्ग के लोगों को एकजुट होकर आवाज उठानी पडे़गी।
निषाद ने कहा कि मण्डल की अनुशंसाएं भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आजादी के बाद तक देश के समाजवादियों का एक प्रमुख नारा रहा है। यही कारण है कि देश के प्रख्यात समाजवादी चिंतक व नेता डॉ. राममनोहर लोहिया ने उस वक्त कहा था कि “संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़े पावें सौ में साठ।” परन्तु मण्डल आयोग की अनुशंसा के आधार पर देश की पिछड़ी जातियों को मात्र 27 प्रतिशत ही आरक्षण आधे-अधूरे मन से दिया गया। इस तरह जनसंख्या के अनुसार आरक्षण नहीं मिलता है तो देश बहुसंख्यक पिछड़ों को एकजुुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा।उन्होंने सेन्सस-2021 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने की मांग को लेकर आंदोलन आवश्यक है।
कहा कि राज्य सरकारें अपने राज्य में पुष्ट जनसंख्या के आँकड़े के आधार पर जितने प्रतिशत चाहें,आरक्षण कोटा दे सकती हैं। सोशलिस्ट फैक्टर के मुख्य सम्पादक फ्रैंक हुज़ूर ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों के लिए जातिवार जनगणना जरूरी है।सेन्सस-2011 में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराने का वादा कांग्रेस सरकार ने किया था,पर बाद में कन्नी काट गयी।कांग्रेस का अनुसरण करते हुए भाजपा सरकार भी सेन्सस-2021 में जातिगत जनगणना से दूर हटती दिख रही है। प्रो.छबिलाल अम्बेडकर ने सभी स्तरों पर ओबीसी, एससी, एसटी के समानुपातिक प्रतिनिधित्व व हिस्सेदारी की बात की। प्रो.आकाश यादव ने निजीकरण को आरक्षण को खत्म व निष्प्रभावी करने की साजिश बताया। परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे प्रो.राजेन्द्र वर्मा ने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम एक असंवैधानिक व अनोखी परम्परा है।राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग द्वारा उच्च व उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन होना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक महेंद्र कुमार यादव, डॉ. राकेश कुमार,डॉ. राजेश यादव, रंजीत यादव, डॉ. अभिषेक यादव,प्रो.आशुतोष चौधरी, डॉ. आकाश यादव, मोहम्मद नूर आदि ने भी सम्बोधित किया।