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December 28, 2024

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इनुमुला सत्यनारायण को आईआईटी (आईएसएम) धनबाद से डॉक्टरेट की उपाधि मिली

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गोदावरी घाटी कोलफील्ड की खुली कोयला खदानों में स्टेबिलिटी एनलाइसिस एवं पिट स्लोप की डिजाइन” विषय पर

इनुमुला सत्यनारायण, उप निदेशक (एसओएमए), डीजीएमएस को “गोदावरी घाटी कोलफील्ड की खुली कोयला खदानों में स्टेबिलिटी एनलाइसिस एवं पिट स्लोप की डिजाइन” विषय पर आईआईटी (आईएसएम) धनबाद से डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है । उन्होंने एक बहुत ही सरल और आसानी से समझ में आने वाले अनुभवजन्य विश्लेषणात्मक, संख्यात्मक एवं सांख्यिकीय के संयुक्त प्रयोग वाले नए दृष्टिकोण से किसी भी भारतीय खदान में पिट स्लोप की स्टेबिलिटी एनलाइसिस एवं पिट स्लोप के विश्लेषण के लिए नया फॉर्मूला विकसित किया है।

सत्यनारायण का जन्म 14 जून 1979 को तेलंगाना राज्य के गाँव मल्लाराम मंडल मंथनी पेद्दापल्ली जिले में हुआ था । बचपन में वे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए सब्जियाँ और पावरोटी बेचते थे। कई बार उन्हें और उनका परिवार भोजन की कमी के कारण भूखा रहना पड़ता था। वर्ष 1990 में उन्होंने अपनी छोटी बहन को खो दिया, जो उनकी गुरु और प्रेरणा-स्रोत थी, उस समय से, जब वे 6 वीं कक्षा में  थे।  

वर्ष 1991 से प्रसिद्ध सिंगरेनी स्कूल में प्रवेश पाने से उनकी अकादमिक उत्कृष्टता की शुरूआत होती है । गोदावरीखनी पेद्दापल्ली जिले में आठवीं से दसवीं तक की कक्षा में अव्वल रहे। फिर उन्हें कोठागुडम की प्रतिष्ठित गवर्नमेंट कॉलेज पॉलिटेक्निक में दाखिला मिल गया। राज्य में प्रथम रैंक के साथ डिप्लोमा पूरा करने के बाद खनन आभियांत्रिकी में प्रवेश मिला, वहाँ भी उन्होंने प्रथम स्थान रखा।उनके पिता एससीसीएल में फिटर के रूप में काम कर रहे थे, जो कैंसर रोगी थे और उनका वर्ष 1998 में उस्मानिया के सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन कराया गया और जब इनुमुला ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लिया, उस समय उनकी नौकरी छूट गई । इसलिए उन्हें विख्यात हरीथा पारिस्थितिक संस्थान और जूनियर कॉलेज में अंशकालिक व्याख्याता के रूप में काम करना पड़ा, ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। बाद में गवर्नमेंट कॉलेज, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजिनयरिंग से ( जिसे पहले कोठागुडम स्कूल ऑफ माइंस कहा जाता था) से वर्ष 2002 में स्नातक की डिग्री प्राप्त हुई।

  • स्नातक होने के तुरंत बाद , उन्होंने उच्च अध्ययन के लिए गहरी दिलचस्पी ली और गेट- 2002 उतीर्ण कर आईआईटी, खड़गपुर से एम॰टेक (खनन इंजीनियरिंग) पूरी की।2003 में अपने में बैच (खनन) अव्वल रहे और कॉलेज स्तर पर 5 वीं रैंक रही। उनका एसजीपीए था 10 में से 9.43। इस वजह से प्रसिद्ध स्टटगर्ट विश्वविद्यालय, जर्मनी की एक परियोजना में उनका चयन हो गया। उसी समय SCCL द्वारा खनन स्नातक प्रशिक्षु के चयन के लिए आयोजित कठिन परीक्षा और साक्षात्कार में 4 वां स्थान प्राप्त हुआ।

अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने सन 2003 में प्रतिष्ठित एससीसीएल में खनन स्नातक प्रशिक्षु के रूप में जॉइन कर लिया और जर्मनी में उस प्रोजेक्ट के उत्कृष्ट अवसर को छोड़ दिया। एससीसीएल में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जीडीके-3 इंक्लाइन,जीडीके-3 इंक्लाइन और प्रोजेक्ट प्लानिंग विभाग में उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कीं । वे यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजिनयरिंग के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य बने, जहाँ से उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

अपने दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति से उन्होंने अकादमिक और व्यावसायिक दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। जीडीके नंबर 3 इंकलाइन में खनन स्नातक प्रशिक्षु के रूप में एनआईआरएम के साथ मिलकर जलाराम वागु में बिना किसी व्यवधान से स्टोविंग पैनल सफल किया, जो एससीसीएल के इतिहास में अपनी तरह का पहला प्रयास था। एससीसीएल प्रबंधन ने उन्हें और उनकी टीम को अपनी कड़ी मेहनत, अथक प्रयासों और इतिहास में नाम दर्ज कराने के लिए उपहार प्रदान किए।

उनके स्ट्राटा कंट्रोल, पिट स्लोप फेलियर एवं उत्पादन और उत्पादकता में सुधार, फिनिट एलीमेंट एनलाइसिस,कंटीन्यूस माइनर टेक्नोलोजी आदि के विषयों पर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में मूल्यवान बीस तकनीकी आलेख भी प्रकाशित हुए।उन आलेखों में उन्होंने जो अनुभव साझा किए, वे अनुकरणीय हैं और हमारे उद्योग के लिए मार्गदर्शक भी। उन्होंने कंपनी के सतत विकास के लिए बहुत सारे आइडिया दिए और वहां उन्हें “बेस्ट आइडिया सिंगरेनी ” पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया ।

प्रबंधन ने उनके कौशल और क्षमताओं को ठीक से पहचान कर योजना-परियोजना विभाग में असाइनमेंट दिया। यहाँ उन्होंने एक परियोजना के सीम की गुणवत्ता के जल्दी से जांच हेतु एक खाका, विजन-2032 के दस्तावेज, कोल्लूर रेत खनन परियोजना और जेके-5 ओसीपी की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट,शाफ्ट-सिंकिंग की परियोजना रिपोर्ट , पोनी कन्वेयर पर अध्ययन रिपोर्ट और जेके-5 ओसीपी के माइनिंग प्लान तैयार किए।वे प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट, फिजिबिलिटी रिपोर्ट, माइनिंग प्लान, विस्फोटकों और डेटोनेटरों का तकनीकी मूल्यांकन, नोट फाइलों एवं संशोधित लागत एस्टिमेट की प्रस्तुति और निपटान आदि कार्यों में सक्रियता से जुड़े हुए थे।बाद में सन 2014 में खान सुरक्षा महानिदेशालय,धनबाद में नियुक्त हो गए ।यहाँ सत्यनारायण ने डिजिटल डीजीएमएस, “डीजीएमएस एट ए ग्लेन्स” पुस्तिका, गेमा और सीपीपी पोर्टल द्वारा ई-खरीद का कार्यान्वयन, भुवन पोर्टल में सभी डीजीएमएस कार्यालयों का जियोटैगिंग आदि करने में अहम भूमिका अदा की है।

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