बदहाली – ओडिशा के ग्रामों की बिजली चमक हमारे गांव से देता है दिखाई, लेकिन हम लोग रात के अंधेरे से लड़ने जलाते हैं मिट्टी तेल की चिमनी
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- ओडिशा सीमा से लगे गरियाबंद जिले के दर्जनों ग्रामों की है यहां स्थित विधायक और सांसद के नाम भी नहीं जानते ग्रामीण
- सरकारी योजनाओं का हाल बेहाल, 20 वर्षो से अब तक इन गांव में न तो विधायक पहुंचे और न ही सांसद
- छत्तीसगढ़ के इन गांवों में सड़क, बिजली, पुल, पुलिया, पेयजल, शिक्षा जैसे बुनियादी समस्याए महज एक किलोमीटर उस पर ओडिसा सीमा में चकाचक सड़क और बिजली की चकाचौंध रौशनी
- सन् 1996 में विधायक ओंकार शाह के बाद आज तक नहीं पहुंचे कोई भी विधायक, सांसद
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के अधिकांश हिस्सा ओडिसा सीमा से लगा हुआ है। ग्राम पंचायत साहेबिनकछार के अंतिम ग्राम कोदोमाली,भुतबेडा, कुचेंगा ग्राम पंचायत के अंतिम ग्राम जैसे महुआनाला, टांगापानी ओडिसा सीमा से लगा हुआ है। इन ग्रामों में आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं का आभाव देखने को मिल रहा है। सरकारी योजनाओं का हाल बेहाल है। हमारे मैनपुर क्षेत्र के ओडिसा सीमा से लगे इन ग्रामों में अब तक बिजली की रौशनी नहीं पहुंची है, जिसके कारण ग्रामीण रात के अंधेरे में आज भी लकड़ी के अलाव जलाकर अंधेरा से लड़ते नजर आते हैं। सड़क का हाल बेहाल है। ठीक हमारे छत्तीसगढ़ सीमा से एक किलोमीटर दुर ओडिसा के प्रथम गांव विनयपुर, टीमनपुर जैसे ग्रामो में चकाचौंध कर देने वाली बिजली की रौशनी और बेहतर सड़क दिखाई देती है। हमारे क्षेत्र के अंतिम ग्रामो से ओडिसा के ग्रामों का बिजली रात में चमकते नजर आता है, जिसका मलाल इस क्षेत्र के रहनवासियो आदिवासियो को लंबे समय से है। सबसे बडी उपेक्षा की बात यह है कि जनता के मतो से चुने हुए जनप्रतिनिधि विधायक, सांसद भी पिछले 20 वर्षो से इन ग्रामो में नही पहुंचे है। हमारे मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के ओडिसा सीमा से लगे ग्रामों के अधिकांश ग्रामों के लोग को वर्तमान सांसद विधायक तक के नाम याद नहीं है।
तहसील मुख्यालय मैनपुर से 40 से 45 किलोमीटर दुर वनांचल में बसे संवेदनशील ग्राम कोदोमाली महुआनाला, टांगापानी जैसे दर्जनों ग्रामों के सैकड़ों ग्रामीण आज भी मूलभूत सड़क, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली जैसे समस्याओं के लिए तरस रहे हैं और तो और छत्तीसगढ राज्य के निर्माण के 23 वर्षो के भीतर आज तक किसी भी पार्टी के विधायक, सांसद इस गांव में नहीं पहुंचे हैं। ग्राम पंचायत साहेबिनकछार के आश्रित ग्राम कोदोमाली की जनसंख्या लगभग 630 के आसपास है। यहां कुल मतदाता की संख्या 250 है, यहां के आदिवासी पिछडी विशेष जनजाति कमार भुंजिया लगभग 10 किलोमीटर चलकर हर पांच साल में सासंद और विधायक को वोट देने साहेबिनकछार तक पहुंचते हैं। इनके कीमती वोट से सांसद और विधायक बनने के बाद इनके चुने हुए जनप्रतिनिधि इन्हे भुल जाते हैं। इस बात की मलाल इस गांव के लोगो में देखने को मिलता है। इसी तरह महुआनाला, टांगापानी के ग्रामीण पैदल मिलो दुरी तय कर मतदान करने पहुंचते हैं।
- इन ग्रामों में पहुंचने के लिए सड़क पुल पुलिया का अभाव है
मैनपुर विकासखण्ड के इन ग्रामो में केन्द्र और राज्य सरकार के कई महत्वकांक्षी और जनउपयोगी योजनाओं का बुराहाल है। लोगों को योजनाओं का लाभ मिले यह सरकार की मंशा रहती है लेकिन यहा के लोगो को योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। सड़क, पुल, पुलिया का हाल बेहाल है। कई बार ग्रामीण सड़क, पुल, पुलिया निर्माण के लिए अंदोलन चक्काजाम तक कर चुके है लेकिन सिर्फ आश्वासन के शिवाय कुछ नहीं मिला।
- सौर उर्जा सिस्टम फेल, नहीं लगी बिजली
आजादी के 75 वर्षो बाद भी ग्राम कोदोमाली, महुआनाला, टांगापानी जैसे ग्रामों में अब तक बिजली नही लग पाई है और तो और गांव मे सौर उर्जा से संचालित होने वाले प्लेट लगाये गये हैं लेकिन इसकी बैटरी खराब होने के कारण शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक ही चल पाती है, उसके बाद पुरी रात ग्रामीणों को अंधेरे में गुजारना पड़ता है।
- स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं
ग्राम कोदोमाली एवं साहेबिनकछार क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा की हालत बेहद खराब है। यहा बारिश के दिनों में अचानक बीमार पडने या कोई घटना दुर्घटना की स्थिति में ग्रामीणों को भारी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। दर्जन भर नदी नाला को मिलो पैदल पार कर उन्हे नेशनल हाईवे तक लाना पड़ता है, तब कही जाकर वाहन की सुविधा मिल पाती है कई बार तो समय पर ईलाज नहीं मिलने से स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाने से ग्रामीणों को अकाल मृत्यू का सामना भी करना पड़ता है। इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी ईलाज के लिए दुसरे प्रदेश ओडिसा पर निर्भर रहते हैं और इस क्षेत्र में झोलाझाप डाॅक्टरों की बाढ़ है, जो ग्रामीणों को ईलाज ठेका के माध्यम से करते हैं।
- 1996 में विधायक ओकार शाह पहुंचे थे कोदोमाली
ग्रामीण, मंशाराम नेताम, सोधर सिंह, बालु सिंह, पदुलोचन नागेश, नमेश मरकाम व ग्रामीणो ने बताया कि छत्तीसगढ राज्य निर्माण के बाद अब तक अब तक कोई भी विधायक और सांसद साहेबिनकछार और कोदोमाली नहीं पहुंचे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पूर्व लगभग सन् 1996 में कांगे्रस के तत्कालीन विधायक ओकार शाह ग्राम कोदोमाली पहुंचे थे।
गांव मे बैठकर रखकर ग्रामीणों की समस्या को सुने थे। पूर्व विधायक ओकार शाह के पहुंचने के बाद साहेबिनकछार से कोदोमाली तक पगडंडी सड़क को कच्ची सड़क में तब्दील किया गया है। मुरम सड़क का निर्माण किया गया, लेकिन अब मुरम लगातार बारिश से धुल और यह सड़क कीचड और दलदल में तब्दील हो गया। गांव के ग्रामीणो ने बताया कि आखिरी बार पूर्व कांगे्रस के विधायक ओकार शाह को ही इस गांव में देखे है, उसके बाद से कोई विधायक, सांसद नहीं पहुंचे हैं। अधिकांश ग्रामीणों को वर्तमान विधायक और सांसद का नाम भी नहीं मालूम।
- क्या कहते हैं सरपंच
सरपंच कृष्णा बाई मरकाम, सुनिल कुमार, दीनांचद मरकाम ने बताया छत्तीसगढ राज्य निर्माण के बाद से कोई भी सांसद विधायक नहीं पहुंचे हैं। इन ग्रामों में पक्की सडक, पुल पुलिया स्वास्थ्य सुविधा, पेयजल उपस्वास्थ्य केन्द्र, बिजली, लगाने की मांग को लेकर कई बार आवेदन दे चुके हैं। अब तक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है।