उगते सूरज को अर्घ्य देकर शहर के प्रवासी पूर्वांचलियों ने मनाई छठ
कांटाबांजी। कांटाबांजी के बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश के प्रवासी निवासियों ने उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर चार दिवसीय छठ व्रत का समापन किया। छठ व्रती महिलाएं और श्रद्धालु प्रात: सूर्योदय से पूर्व ही शहर के बगुमुंडा रोड़ स्थित छोटे तालाब पर बनाये गए अस्थायी छठ घाट पर पूजा अचर्ना हेतु इकट्ठे हो गए थे। इससे पूर्व शनिवार शाम को डूबते सूरज की पूजा अचर्ना की गई। चार दिनों के इस पर्व में छठ व्रती 36 घंटे का कठिन उपवास रखते हैं। पर्व के दौरान मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। मान्यता है कि छठी मइया की पूजा करने से बच्चों पर विशेष कृपा होती है।
इसलिए भी इस व्रत की बड़ी अहमियत है। छठ पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूरज की भी वंदना की जाती है तथा जल अर्पित किया जाता है। प्रकृति की वंदना का पर्व छठ यूं तो भारत के गंगा किनारे पूर्वांचली इलाकों में ही मनाया जाता था लेकिन संस्कृतियों के मिश्रण तथा सोशल मीडिया में इन परम्पराओं की महिमा के विस्तार के कारण छठ अब महापर्व बन चुका है। इसीलिए छठ घाट पर सभी समुदायों के श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं की भीड़ उमड़ी।छठ घाट पर प।जितेंद्र पाठक, अरुण पाठक, कृष्णा सिंग, सुनील मिश्रा, गोपाल पाठक, अनिल पाठक, सत्येंद्र मिश्रा, नवल मिश्रा, शंकर पाठक, कृष्णा सिंग, सुरजीत सिंग, श्याम वैद्य, सन्तोष पाठक, अरविंद जायसवाल, बुलु पाठक, शंकर गुप्ता, कमल गुप्ता, प्यारे लाल जांगड़ा, मृणाल मिश्रा, बनारसी जायसवाल, दिनेश जायसवाल, महेंद्र जायसवाल, दीपक ठाकुर, अमित पाठक और अन्य श्रद्धालु विशेष रूप से उपस्थित थे। शहर से सटे क़ुर्ली गांव में ब्रजमोहन जायसवाल परिवार ने भी बड़े ही धूमधाम से इस त्यौहार को मनाया एवँ पूजा अचर्ना की एवँ अर्घ्य दिया। पूर्व पार्षद प्यारेलाल जांगड़ा ने प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी पूरे जोशोखरोश से श्रद्धालुओं के लिए अल्पाहार एवँ चाय की व्यवस्था की।