बागी बलिया में महापंचायत में राकेश टिकैत ने भृगु बाबा की जय-जयकारे से खिंचीं पूर्वांचल में किसान आन्दोलन की रूपरेखा
सिकंदर पुर। बलिया जिले के सिकंदरपुर में किसान महापंचायत के आयोजन एक बहस छेड़ दी है। बहस ये कि क्या आजादी के आंदोलन में अग्रणी रहने वाला, लोकतंत्र के आजादी की लड़ाई का योद्धा देने वाला यह जिला क्या अब पूर्वांचल में किसान आंदोलन की भी धुरी बनेगा।
यह चर्चा इसलिए भी छिड़ी है कि राकेश टिकैत ने अपने संबोधन की शुरुआत भृगु बाबा की जय से की तो भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव बलिया के इतिहास की चर्चा करते हुए आजादी की लड़ाई और जेपी आंदोलन तक की चर्चा करना नहीं भूले।
कहा कि दोनों ने कई बार इस बात को दोहराया भी कि बलिया ने हर बार नेतृत्व किया है, इसलिए उन्होंने पूर्वांचल में बलिया में किसान महापंचायत करने का निर्णय लिया। इस बीच राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को हिदुत्व का रंग देने का प्रयास करते हुए अपने पूर्वजों को अयोध्या का निवासी बताया। कहा कि हमारे पूर्वज तो अयोध्या से थे, राम के वंशज थे। वो भी रघुवंशी थे हम भी रघुवंशी हैं।
अपने संबोधन में राकेश टिकैत ने कहा कि ये वो क्रांतिकारी धरती है, जहां से क्रांति की शुरुआत होती है। यही वह भूमि है जिसने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, मंगल पाण्डेय और जय प्रकाश नारायण जैसे बेटों को जन्म दिया। बलिया सिर्फ क्रांति ही नहीं बल्कि एक विचारधारा का नाम है।
- किसानों के आंदोलन को हिंदुत्व का तड़का देते हुए उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज भी अयोध्या के थे। ऐसे में वह भी भगवान राम के वंशज हुए। हालांकि इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि वे किसान हैं और जहां जाते हैं वहीं को हो जाते हैं।
भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने अपने संबोधन में बलिया के 1942 के आंदोलन और जेपी आंदोलन में बलिया की भूमिका तक की चर्चा करते हुए कहा कि आज फिर एक बार देश के किसानों को बलिया के बांकपन की जरूरत आन पड़ी है। बलिया से उठने वाली आंदोलन की चिंगारी ने हर बार देश में बड़ा बदलाव किया है।
मोदी ने भी उज्जवला योजना की शुरूआत के लिए बलिया को चुना था
बलिया जिले की धरती को प्रधान मंत्री मोदी भी अपने लिए भाग्यशाली मानते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल में अपनी महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना की शुरूआत के लिए बलिया की धरती को ही चुना था।
यही नहीं वर्ष 2014 और वर्ष 2019 दोनों ही आम चुनावों में उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं का समापन बलिया से ही किया। दोनों ही चुनाव में मतदान बलिया में अंतिम चरण में था और नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं को विराम दिया था।