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December 25, 2024

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तंगहाली में गुजरा रंगमंच का निराला देशभर में बढ़ाया मान

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स्मृति शेष…मनीष दत्त ‘दादा’

महज 12 वर्ष की उम्र से शुरू हुआ रंगमंच का सफर 79 वर्ष की उम्र तक वह मुकाम बदस्तूर जारी रखा। बिलासपुर के बंगाली परिवार में जन्मे मनीष दत्त को लालबहादुर स्कूल में पढ़ाई के दौरान जयदेव नाटक में अभिनय का मौका मिला था। 79 के रहे मनीष दत्त देशभर के रंगकर्मियों में दादा के नाम से पहचाने जाते रहे थे। उन्होंने हिंदी व दूसरी भाषाओं के करीब दो हजार साहित्यिक गीतों और कविताओं को स्वरबद्ध किया है।
वर्ष 1987 में रिकॉर्ड किया गया अमरबेला वर्तमान समय मे भी आकाशवाणी पर बजता है। महान कवयित्री महादेवी वर्मा की सलाह पर उन्होंने काव्य भारती संस्था बनाई। दो कमरों का कच्चा मकान, टूटी-फूटी कुछ कुर्सियां, किनारे पर रखा टेबल पंखा, एक टेबल पर सलीके से सजे अखबार, कुछ किताबें, अंदर के कमरे में एक हिलता-डुलता दीवान, खप्पर से कमरे में झांकता धूप का टुकड़ा…।यहां रंगमंच के निराला यानी वरिष्ठ रंगकर्मी मनीष दत्त रहते थे। मिट्टी की दीवारों पर टंगे प्रमाण-पत्र बताते हैं कि यह कोई उम्दा शख्सियत है। लोग मनीष दत्त दादा के नाम से पहचानते रहे हैं। बिलासपुर में पीडब्ल्यूडी इंजीनियर सलिल कुमार दत्त के यहां 10 मई 1940 को जन्में मनीष दत्त का असली नाम सुनील दत्त था।
पिता ने अच्छी पढ़ाई के लिए तब के शहर के सबसे नामी लालबहादुर शास्त्री स्कूल में दाखिला करवाया। 12 साल की उम्र में जयदेव नाटक में अभिनय का मौका मिला। इसके बाद चढ़ा रंगमंच का जुनून उनके जीवन के अंतिम समय तक रहा। 16 साल की उम्र में उन्होंने संकल्प लिया कि हिंदी गीतों-कविताओं को स्वरबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाएंगे। बकौल दादा, बंगाल में गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर, नजरूल इस्लाम, डीएल राय सहित अन्य रचनाकारों को वहां के लोग गर्व के साथ गाते हैं। इसी सोच के साथ हिंदी रचनाओं को स्वरबद्ध करने की शुरुआत की। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भी ली थी।
1978 में की थी काव्य भारती की स्थापना, सैकड़ों मंचन किए
मनीष दत्त ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फणीश्वर नाथ रेणु, महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों से मुलाकात की। 1960 में नाट्य भारती संस्था की स्थापना कर नाटकों के साथ गीतों-कविताओं पर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान निराला के अपरा, नये पत्ते, अणिमा, बेला आदि पर नृत्य-संगीत रूपक प्रस्तुत किए। संस्था से जुड़े कलाकारों ने प्रसाद, पंत, जायसी, महादेवी, निराला सहित सैकड़ों साहित्यकारों की रचनाएं प्रस्तुत कीं। महादेवी वर्मा के कहने पर जनवरी 1978 में काव्य भारती की स्थापना की। संस्था को 1979 में खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली। तब से लेकर आज तक हजारों कलाकार संस्था से जुड़े और नृत्य-संगीत की शिक्षा ली।

साल में एक मंचन होता था तनवीर का

रंगमंच के जाने-माने नाम हबीब तनवीर दादा के बुलावे पर कई बार बिलासपुर आ चुके हैं। सामान्य, लेकिन प्रभावी मंचों पर हबीब और उनकी टीम ने कई नाटकों का मंचन किया। यहां देवकीनंदन दीक्षित भवन, रेलवे इंस्टीट्यूट में मंचन के अलावा हबीब, दादा के साथ 90 के दशक में बैमा-नगोई जैसे गांवों तक गए।

दो हजार गीतों का अस्तित्व खतरे में..

मनीष दत्त ने हिंदी और अन्य भाषाओं के 2000 से ज्यादा गीत स्वरबद्ध किये। सैकड़ों नाटकों और संगीत रूपकों का मंचन किया। उनका पूरा काम असुरक्षित रहा। सालों पहले स्वरबद्ध किए गए गीत तकनीकी रूप से सुरक्षित नहीं रहे। दादा की अंत समय तक यही चिंता रही कि उनके जीवनकाल में ही फिर से स्तरीय रिकॉर्डिंग होत,अफसोस ये हो न सका।
आज के वर्तमान बदले परिवेश में सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए फूंके जाते हैं। बॉलीवुड के कलाकारोंं को राज्योत्सव के मंच पर महज कुछ मिनट गुजारने के लिए करोड़ों रुपए दिए जाते हैं। ऐसे में संस्कृति विभाग को देश के रंगमंच पर छत्तीसगढ़ और शहर का नाम बढ़ाने वाले मनीष दत्त या उनकी कृतियों पर सोचने की शायद किसी को फुर्सत नही रही। मनीष दत्त सम्मान समारोह एवं काव्य संगीत स्पर्धा 2 फरवरी 2020 को हुआ था प्रियदर्शिनी हाल में काव्य भारती परिवार की ओर से 2 फरवरी को मनीष दत्त सम्मान समारोह एवं संगीत प्रतियोगिता आयोजित किया गया था। काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त के शिष्य, जाने-माने बॉलीवुड संगीतकार अर्नब चटर्जी ने खास इसी कार्यक्रम के लिए बिलासपुर पहुंच रूपरेखा बनाई थी । बता दें मनीष दत्त ने देश के महान कवियों की 2000 रचनाओं को संगीतबद्ध किया है और उनके सैकड़ों शिष्यों ने देश-विदेश मेंअच्छा मुकाम हासिल किया है। दत्त को बहुत पहले ही पद्मश्री और पद्म विभूषण जैसा सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। इसलिए बिलासपुर में यह कार्यक्रम आयोजित कर दादा के शिष्यों ने उनके सम्मान में कार्यक्रम किया । 2 फरवरी2020 के पूर्व पहला मनीष दत्त सम्मान समारोह वर्ष 2016 मे रखा गया था। जिसमें संगीतकार विनोद श्रीवास्तव एवं कवि डॉ. विजय सिन्हा सम्मानित किए गए थे । यह दूसरा आयोजन है, इस बार डॉ. सपना चक्रवर्ती, डॉ. सुप्रिया भारतीयन, डॉ. आयना घोष चटर्जी, अखिलेश पांडे, सविता कुछवाहा एवं चन्दना चौधरी को सम्मानित किया गया था। सम्मान समारोह का आयोजन शाम 6 बजे इंदिरा विहार स्थित प्रियदर्शनी हाल में रखा गया था। इससे पूर्व यहीं पर दोपहर 2 बजे से काव्य भारती संगीत प्रतियोगिता होगी। जिसमें प्रतिभागी, काव्य भारती द्वारा ही तैयार किए गए संगीत पर आधारित गीतों की प्रस्तुति दिया गया था।काव्य भारती विद्यापीठ की स्थापना का भी मनीष दत्त के शिष्यों ने फैसला लिया है। इस दिशा में एक मसौदा तैयार कर राज्य शासन को सौंपे जाने का निर्णय किया गया है ताकि बिलासपुर के किसी विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना हो सके। मनीष दत्त सम्मान समारोह में हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश नूर दीन तिगाला, प्रियदर्शनी कला मंदिर के अध्यक्ष एके सक्सेना, महापौर रामशरण यादव, जन स्वास्थ्य सहयोग केंद्र, गनियारी के चिकित्सकगण विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल हुए थे।

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