उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के सर्प जाए जाते है – एम सुरज कुमार
1 min read10 वर्षो में 5 हजार से ज्यादा जहरीले सर्प को घरों से पकडकर सुरक्षित उनके रहवास में छोडने वाले एम सुरज कुमार ने किया पत्रकारों से चर्चा
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के सर्प जाए जाते है – एम सुरज कुमार
मैनपुर में विश्व सर्प दिवस पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष एम सुरज कुमार ने पत्रकारों को बताया
रामकृष्ण ध्रुव मैनपुर
मैनपुर – सांप प्रकृति के कुछ बेहद खूबसूरत और आवश्यक संरचना मे से एक है लेकिन इनसे जुड़ी किस्से- कहानियों के कारण सदियों से लोगों का इनसे डरना स्वाभाविक हो गया है, इसके विपरीत हमारे आसपास रहने वाले कई प्रजाति विषहीन होते हैं और उनसे मानव जीवन को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती , आज 16 जुलाई को पुरे विश्व में विश्व सर्प दिवस के नाम से जाना जाता है जिसका मुख्य उददेश्य लोगों में सांपों के प्रति अवधारणाओं को कम कर जागरुक करना है आइए आज इस अवसर पर सर्पों के बारे में कुछ अहम तथ्य हम जाने। पिछले लगभग 09 वर्षो से सर्प को लोगो के घरो से पकडकर जंगल तक सुरक्षित छोडने का कार्य करने वाली नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष एम सुरज कुमार ने आज मैनपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि पुरे छत्तीसगढ प्रदेश के चार अलग अलग जिलों गरियाबंद, दुर्ग, रायपुर, बीजापुर में हमारें नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी द्वारा पिछले 09 वर्षो से सर्प बचाने का कार्य कर रही है और इस कार्य में 24 घंटा लगभग 16-18 लोग लगे हुए है.
उन्होने आगे बताया सभी सर्प वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है, और इसकी जानकारी वन विभाग को देने के बाद सर्पो को पकडकर सुरक्षित रहवास में छोडा जाता है, हमारें संस्था द्वारा अभी तक लगभग 18 हजार सर्प पकडे जा चुके है, अध्यक्ष एम सुरज कुमार ने बताया उनके द्वारा अकेले लगभग 05 हजार से ज्यादा सर्प पकडे जा चुके है, और वर्ष 2012 से वे यह कार्य कर रहे है, वर्ष 2004 से संस्था का गठन किया गया है, और एक वर्ष पहले तक पुरे छत्तीसगढ प्रदेश मे 32 प्रजाति के सापं पाए जाते थे लेकिन पिछले एक वर्ष में और 06 प्रजाति के अतिरिक्त सर्प मिले है अब इनकी संख्या 38 हो गई है, मैनपुर क्षेत्र के उंदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में काफी दुर्लभ प्रजाति के सर्प पाए जाते है और मैनपुर क्षेत्र में भारी संख्या में सर्प पकडकर उन्हे बकायदा उनके रहवास तक सुरक्षित छोडा गया है, उन्होन आगे बताया ,भारत में पाए जाने वाले सभी सर्पों में सिर्फ 20 प्रतिशत ही विषैले हैं और 80 प्रतिशत विश्व हीन होते हैं।
और सांप किसान के सबसे अच्छे मित्र होते हैं, वे चूहों, मेंडक, कीट पतन्गे को खा कर उनकी संख्या को कम करते है और उनके द्वारा होने वाली बिमारियों को भी कम करते हैं, हाल मे अध्ययन मे पाया गया सर्प के विष से कई बिमारियों का भी इलाज हो सकता हैं, अगर हम छत्तीसगढ़ की बात करें छत्तीसगढ़ में कुछ 32 प्रजाति के साथ पाए जाते हैं और इनमें से तीन ही ऐसे होते हैं जिनसे मनुष्य को खतरा हो सकता है, वह हैं भारतीय नाग, सामान्य करैत एवं जुड़ा महामंडल। आज भारत मे एक अध्ययन के अनुसार 50000 से ज्यादा सर्प दंश से मौते होती हैं जिसका एक अहम कारण है अस्पताल देरी से पहुंचना, आज भी कई लोग सर्प दंश को झाड फूंक से इलाज कराने कोशिश करते हैं जो पीडित व्यक्ति के लिये खतरनाक साबित हो सकता हैं।
सर्प दंश की स्थिति मे प्राथमिक उपचार
- पीडित व्यक्ति को जितना हो सके शान्त रखें, उत्तेजित ना करें इससे रक्त की गती बढेगी और विष हृदय तक चला जायेगा।
- दंश के स्थान पर किसी प्रकार का काटना, विष चूसना, रस्सी गांठ बंधना आदी ना करें, इससे समस्या बढेगी कम नही होगी।
- पीडित व्यक्ति को किसी भी प्रकार के नशीली पदार्त या चीजों का सेवन ना कराये।
- झाडफूंक, बैगा, गुनिया से बचे।
प्राथमिक उपचार
हो सके तो दंश किये सर्प की पहचान करे या उसका फोटौ लेकर दूर हो जाये, बेंडेज या कपडे की चैडी पट्टी को दंश वाले स्थान से जितना हो सके भाग को लपेटे और तत्काल अस्पताल जाए, पोलीवलेंट एंटीवेनम राज्य मे पाये जाने वाले सभी विषैले सर्पों के दंश के प्रति कारगर हैं जिसे चिकित्सक की सलाह पर ही दिया जायेगा, विषहीन सर्प के काटने पर भी यदी असमंजस्य लगे तो अस्पताल मे एक दिन के लिये निगरानी मे रहें, इन्हे सुरक्षित दूरि से लम्बे लकडी के सहारे घर से बाहर करें, नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी एक गैर सरकारी संस्था है जो पिछ्ले 10 सालों से सर्प बचाव एवं पुनर्वास का कार्य कर रही हैं, संस्था के वन्यप्राणि बचाव दल रायपुर, दुर्ग, गरियाबंद और बीजापुर जिलों मे सक्रिय हैं।