केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान के कर-कमलों से ‘रामायण प्रसंगों पर हलधर के काव्य एवं युगीन विमर्श’ पुस्तक का विमोचन
1 min read- सुसुश्री पात्र, अंगुल
तालचेर । भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के तालचेर कोयलांचल में महानदी कोलफील्ड लिमिटेड की केंद्रीय विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान प्रख्यात संबलपुरी कोसली कवि पद्मश्री डॉ. हलधर नाग के राम-काव्यों का दिनेश कुमार माली द्वारा अनुसर्जित एवं विमर्शित पुस्तक ‘रामायण प्रसंगों पर हलधर के काव्य एवं युगीन विमर्श’ का उनके कर कमलों द्वारा विमोचन किया गया । इस अवसर पर महानदी कोलफील्ड के कार्मिक निदेशक श्री केशवराव, तालचेर कोयलांचल के सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों में श्री पी.बी.रेड्डी, श्री अशोक कुमार धल, श्री मुरारी मिश्रा, श्री अरूण कुमार स्वर्णकार एवं श्री के. के. राहुल; अंगुल के जिलापाल श्री सिद्धार्थ शंकर राय, तालचेर के उप जिलापाल श्री विश्व मोहन रथ समेत शताधिक साहित्यिकार,अधिकारी, श्रमिक संघों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
पद्मश्री हलधर नाग के काव्यों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में गवेषक दिनेश कुमार माली का अवदान अतुलनीय है- ऐसा वरिष्ठ संबलपुरी साहित्यकार लक्ष्मी नारायण पाणिग्राही जी का मत है। कोरोना काल में श्री माली ने हलधर के अनेक काव्य-कविताओं का हिंदी में अनुवाद किया, और साथ ही साथ उन पर आलोचनात्मक आलेखों की पुस्तक का संपादन किया। यही नहीं, इग्नू जैसी प्रसिद्ध केंद्रीय विश्वविद्यालय में लोक-साहित्य के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु किए गए उनके अनथक प्रयास अभिनंदनीय है।
इस अवधि के दौरान दिल्ली के पांडुलिपि प्रकाशन से उनके प्रयास से तीन पुस्तकें प्रकाशित होकर हिंदी साहित्य और आलोचना जगत को भी सुसमृद्ध कर रही है। यही वजह है कि आज संबलपुरी साहित्य और हलधर नाग राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हिंदी पाठकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं। भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, कुलपति प्रोफेसर गुरमीत सिंह जी, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. जयशंकर बाबू और दिनेश माली जी के वक्तव्यों समेत इस पुस्तक में हिंदी और अंग्रेजी भाषा में 28 आलेख शामिल है। दिनेश कुमार माली की पुस्तक ‘ रामायण प्रसंगों पर हलधर के काव्य एवं युगीन विमर्श’ में अछिया, तारा- मंदोदरी, महासती उर्मिला और तुलसीदास के जीवन चरित्र पर आधारित खंड-काव्य ‘रसिया कवि’ का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
इसके अतिरिक्त, गवेषक श्री माली की पुस्तक के द्वितीय भाग में इन चारों काव्यों पर चार अमूल्य आलेख प्रस्तुत किए हैं। जिसमें हलधरीय काव्यों का हिंदी के प्रसिद्ध कवियों और साहित्यकारों में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, हनुमान प्रसाद पोद्दार, रघुराज सिंह, डॉ.भगवती प्रसाद सिंह के काव्यों साथ तुलना की गई हैं। आनंद रामायण,वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण के अतिरिक्त भारत की सभी आदृत्त रामायणों के प्रसंग भी जोड़े गए हैं। इस पुस्तक की भूमिका डॉ जयशंकर बाबू, ब्लर्ब श्री अनिल दास और उपसंहार श्री लक्ष्मी नारायण पाणिग्राही जी ने लिखा है।श्री दिनेश कुमार माली की ये तीन पुस्तकों का उपहार उनकी संस्कृतिप्राणता का परिचय देता है, केवल धन्यवाद देकर उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संबलपुरी साहित्य के इतिहास में उनका यह योगदान अवश्य ही यथोचित स्थान प्राप्त करेगा। इस पुस्तक के विमोचन से संबलपुरी और ओड़िया भाषा के साहित्यकारों में हर्ष का माहौल है।