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November 24, 2024

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सरायपाली- गर्भवती ने कोरंटाईन सेंटर में ही बच्चे को जन्म दिया

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महासमुँद (सरायपाली)- शिखादास
प्रसव की वेदना में कोरोना काल भारी

मानवता शमॆसार
मदद के लिए कोई आगे नही आया, कोरोना काल मे प्रसव पीड़ा भारी

मितानिन को भी रोका ग्रामीणो ने

जिले के दूरस्थ विकासखण्ड सरायपाली के ग्राम ककेंचुआ में एक गर्भवती महिला ने कोरेन्टटाईन सेंटर में ही बच्चे को जन्म दे दिया।बच्चे के जन्म के बाद प्रशासन ने उसे आनन फानन में पाटसेन्द्री स्वास्थ्य केंद्र में रखा गया है।ज्ञात हो कि उक्त महिला गुजरात से 24 मई को ही ग्राम लौटी थी जहां उसे 14 दिनों के लिए कोरेन्तीन किया गया था।
कोरोना वायरस की दहशत का असर इतना गहरा गया है कि लोग ना किसी की मजबूरी समझ रहे है और ना ही कोई मानवता का परिचय दे रहा है।इस दहशत में परिजन भी अपनो पर शक करते हुए उससे दूर भागते दिख रहे है।कुछ ऐसा ही वाकया जिले के सराईपाली विकासखण्ड के ग्राम ककेंचुआ में देखने मिला।बताया जाता है कि सोमवार को क्वारंटाइन सेंटर में रह रही ग्राम की ही एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई।इसके बाद विवाहिता के पति ने अपने मोबाइल से ग्रामीणों एवम अपने ग्राम में निवासी परिवार जनों से इसके लिए सहायता मांगीपरन्तु कोई भी सहायता के लिए आगे नही आया जिससे प्रसव पीड़ा से महिला बुरी तरह कराहती रही।

मितानिन को भी ग्रामीणों ने रोक

महिला जब प्रसव पीड़ा से कराह रहीं थी।तब ग्राम की मितानिन ने अपने कर्तव्य को समझते हुए महिला का प्रसव कराने जाने पर ग्रामीणों ने उसे यह कह कर रोक दिया कि यदि वह क्वारंटाइन सेंटर में गयी तो उसे भी 14 दिनों तक वही रहना पड़ेगा।इसके बाद वह नही गयी।प्रत्यक्ष दर्शी बताते है कि प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को उसके घर-परिवार की सहायता भी नही मिल पाई और न ही जरूरी चिकित्सा सुविधा ।

12 आते तक मा बनी महिला

ग्रामीणों के रवैये से परेशान महिला के पति ने ग्रामीणों की हरकत से परेशान होकर 112 को बुलाया ।परन्तु जब तक सरकारी एम्बुलेंस काकेनचुआं पहुंची तब तक मजदूर महिला मां बन चुकीं थीं।इसके बाद सराईपाली के खंड चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर जच्चे-बच्चे को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाटसेन्द्री में रखा गया है। जानकारी के मुताबिक ग्राम काकेनचुआं निवासी भागीरथी साहू और उनकी पत्नी दोनों गुजरात मजदूरी करने गए थे। 24 मई को ही काकेनचुआं वापस आए हैं। जहां नियमतः उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में स्कूल में रखा गया। भागीरथी ने बताया कि सोमवार को 12 बजे के बाद उनकी गर्भवती पत्नी को दर्द हुआ। पहले तो उन्होने सामान्य दर्द समझकर ध्यान नहीं दिया पर जब दर्द से बहुत अधिक कराहने लगीं तो घबरा गया। ग्रामीणों से सहयोग मांगा तो कोई भी सहयोग देने तैयार नहीं हुआ। यहां तक कि मितानिन को भी यह कहकर अंदर नहीं जाने दिया कि उन्हे भी 14 दिन क्वारंटाइन में रहना होगा। फोन से सरकारी सुविधा मांगने की कोशिश की गई पर कोई सुविधा नहीं मिली। जब तक सरकारी एम्बुलेंस पहुंची तब तक वह एक शिशु को जन्म दे चुकी थीं।

महिला तड़पती रही
प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि प्रसव के बाद भी उसे लेने पहुचे स्वास्थ्य कर्मी उसे छूने से भी डरते रहे।बमुश्किल एक कर्मी ने उसकी नाल काटी और उसे वहां से ले गए।

जच्चा बच्चा वार्ड नही फिर भी
ज्ञात हो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाटसेन्द्री में आइसोलेशन वार्ड नहीं है बावजूद जच्चा-बच्चा दोनों को पाटसेन्द्री के जनरल वार्ड में ही रखा गया है। जबकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्हे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या अन्य किसी सुविधायुक्त अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर में रखा जाना चाहिए।

इधर, मजदूर ने बताया कि पीएचसी पाटसेन्द्री में उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहाँ जच्चा-बच्चा को खतरा महसूस हो रहा है। इस अस्पताल से तो अच्छा गांव के ही क्वारंटाइन सेंटर ठीक है। मामले को लेकर कलेक्टर को भी जानकारी दी गई उन्होंने मजदूर की पीड़ा को समझते हुए इसके निराकरण की बात कही हैl

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