पिथौरा- ग्राम पंचायत छिबर्रा सरपंच की तानाशाही चरम पर
- शिखा दास
वृद्ध आदिवासी के प्रधानमंत्री आवास में सरपंच ने जड़ दिया है ताला
अमानत में खयानत कर रहे सरपंच
कच्चे जर्जर मकान में रहने विवश है मायाराम
पिथौरा, महासमुंद । देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिहीनों, गरीबों को भी पक्के मकान देने के लिए चलाए जा रहे प्रधानमंत्री आवास योजना को पिथौरा तहसील के ग्राम पंचायत छिबर्रा के सरपंच द्वारा ठेंगा दिखाया जा रहा है। भूमिहीन गरीब आदिवासी मायाराम के नाम पर स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास को एक योजना के तहत सड़क किनारे बनाकर विगत एक वर्ष से ताला जड़ दिया है, जिससे आवास पाकर भी जर्जर मकान में दिन गुजारना पड़ रहा है।
वर्ष 2016.17 में ग्राम के 90 वर्षीय वृद्ध आदिवासी मायाराम पिता आत्माराम मिर्धा के नाम पर प्रधान मंत्री आवास स्वीकृत हुआ। घर मे और अन्य कोई भी सदस्य नही होने के कारण उक्त आवास को बनाने का कार्य ग्राम के सरपंच अक्तिराम साहू के द्वारा किया गया। आवास बनने के दौरान स्वीकृत राशि भी सरपंच को मिलते रहा। मायाराम के मुताबिक स्वीकृत पूरी राशि को बैंक में ही आहरण के दौरान सरपंच ले लेता था किंतु आवास बनने के एक वर्ष बीत गए हैं। सरपंच द्वारा जबरिया ताला लगा दिया गया है और कब्जा कर लिया गया है, जिसके कारण मुझे जर्जर कच्चे मकान में रहना पड़ रहा है। आसपास घासफूस का जंगल उग आया है, जिससे घर मे जहरीले सर्प बिच्छुओं का डेरा लगा हुआ है। मेरे लाख प्रयासों के बाद भी मेरे पैतृक निवास स्थल में आवास को बनाने के बजाय सरपंच ने सड़क किनारे अपने खेत से लगे शासकीय भूमि पर आवास को बनाकर कब्जा कर लिया है।
शौचालय का निर्माण भी सड़क किनारे
मायाराम के नाम पर स्वीकृत शौचालय की भी उसके निवासरत भूमि पर बनाने के बजाय घर से दूर सड़क किनारे बना दिया गया है। जिसके कारण मायाराम को शौचालय बनने के बावजूद खुले मैदान में ही शौच जाना पड़ रहा है।
तीन पुत्रियों की हो चुकी है शादी
मायाराम मिर्धा के तीन पुत्रियाँ है तथा तीनों की शादी हो चुकी है। अपने अपने ससुराल में निवासरत हैं। पांच वर्षों पूर्व पत्नि की मृत्यु हो जाने के बाद से 90 वर्ष का मायाराम आज भी अकेला जीवन गुजार रहा है। दोपहर करीब 2 बजे मायाराम के घर पहुंचकर लड़खड़ाते हाथों से अपने लिए खाना बनाते देखा स्वयमं देखा। जर्जर मकान में रहकर जहरीले जीव जंतुओं के खतरे के सवाल पर उसने सब कुछ ऊपरवाले के हाथ मे होना बताया। इस संबंध में ग्राम के सरपंच अक्तिराम साहू से चर्चा किये जाने पर उन्होंने निवासरत स्थल को घास जमीन होने का हवाला देकर सड़क किनारे आवास को बनाया जाना बताया। वहीं अंतिम किश्त की राशि के आहरण के दौरान मायाराम के दामाद द्वारा उक्त राशि को लेकर भाग जाने के कारण रकम के मिलते तक आवास में ताला लगाने की बात कही गई ।
- शासकीय भूमि पर बना है आवास
ग्राम के पटवारी अनिल बरिहा से इस संबंध में पूछे जाने पर बताया गया कि शासकीय रिकार्ड के मुताबिक उक्त आवास शासकीय भूमि पर बनाया गया है। बहरहाल कारण जो भी हो किन्तु एक गरीब व्रिद्ध आदिवासी को विगत एक वर्ष से प्रधानमंत्री आवास योजना से पक्का मकान बनने के बाद भी कच्चे जर्जर मकान में खतरों के बीच समय गुजारना पड़ रहा है । उसे न तो किसी जनप्रतिनिधि से मिल पा रहा है और न ही शासन प्रशासन से ही मदद मिल पा रहा है ।
मेरे पास लिखित में अभी तक हितग्राही के द्वारा शिकायत नहीं आ पाई है जिसके कारण इस मामले को संज्ञान में नही लिया जा सका है। सरपंच द्वारा हितग्राही के प्रधानमंत्री आवास पर जबरिया ताला लगाया जाना नियमानुसार गलत है।
प्रदीप प्रधान, मुख्यकार्यपालन अधिकारी
जनपद पंचायत पिथौरा
आखिरी किश्त 27000 मायाराम के दामाद ने निकाल लिया व अपने गाँव घोघरा चले गया। इस कारण ताला लगाया। 2कमरा बनवाया हूं। 1 लाख 35 हजार का आवास स्वीकृत हुआ। सरकारी जमीन ना होने के कारण खेत में बनवाया।
क्या आपके पिता/दादा /नाना के साथ आप ऐसा कर सकते तो सरपंच अक्तीराम साहू ? सचिव को जवाब देते ही नहीं बना। गला ही अटक गया।
सचिव परसराम साहू का गैर जिम्मेदारना बयान कि मुझे क्या पता कि सरपंच व हितग्राही के बीच क्या लेन देन हुआ हैं। सचिव की भी मौन स्वीकृति सरपंच के साथ दिखाई दे रही है।
सरपंच के बयान पर पत्रकार शिखा दास ने पूछी कि क्या आप अपने दादा नाना एक 90वर्षीय वृद्ध के मानवाधिकार का हनन करने वाले सरपंच सचिव के खिलाफ आयोग को स्वत संज्ञान लेने की आवश्यकता दिख रही हैं । आखिरी किश्त 27000/मायाराम के दामाद ने निकाल लिया व अपने गाँव घोघरा चले गया। इस कारण ताला लगाया। 2 कमरा बनवाया हूं। 1लाख 35 हजार का आवास स्वीकृत हुआ। सरकारी जमीन ना होने के कारण खेत में बनवाया।
सचिव परसराम साहू का गैर जिम्मेदारना बयान कि मुझे क्या पता कि सरपंच व हितग्राही के बीच क्या लेन देन हुआ हैं। सचिव की भी मौन स्वीकृति सरपंच के साथ दिखाई दे रही है। सरपंच के बयान पर पत्रकार शिखा दास ने पूछी कि क्या आप अपने दादा/ नाना एक 90वर्षीय वृद्ध के मानवाधिकार का हनन करने वाले सरपंच सचिव के खिलाफ आयोग को मानवाधिकार आयोग को स्वतंसंज्ञान लेने की आवश्यकता दिख रही हैं । आखिरी किश्त 27000/मायाराम के दामाद ने निकाल लिया व अपने गाँव घोघरा चले गया इस कारण ताला लगाया। 2 कमरा बनवाया हूं। 1लाख 35 हजार का आवास स्वीकृत हुआ। सरकारी जमीन ना होने के कारण खेत में बनवाया सरपंच छिबरे का कहना है।
सचिव परसराम साहू का गैर जिम्मेदारना बयान कि मुझे क्या पता कि सरपंच व हितग्राही के बीच क्या लेन देन हुआ हैं7 सचिव की भी मौन स्वीकृति सरपंच के साथ दिखाई दे रही है। सरपंच अक्तीराम साहू ने एक और चौंकाने वाला बयान दिया हैं। अपनी सफाई में बहुत कुछ लीपापोती की कोशिश करते हुए कहा कि एफिडेविट में उक्त जमीन मायाराम की बेटी को दी जाये। यह मैं ने लिखा हैं यानि मायाराम की बेटी नामनी ,अपनी ही खेत पर क्यों दिया आपने कहने पर सरकारी जमीन का गाँ में नहीं होना कहा।