मलुकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज के मुखारबिंद से ग्राम बांकी में भागवत कथा प्रारंभ
मनीष शर्मा,808565778
मुंगेली/मनुष्य को जब भी मौका मिले भागवत कथा का रसपान करना जरुरी है। इसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता हैं। शहर से लगे ग्राम बांकी में चल रहे संगीतमय भागवत कथा के दौरान कथावाचक ने कही। इस संगीतमय आयोजन को सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालू कथा स्थल पहुंच रहे हैं। संगीतमय आयोजन से पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातवारण से सराबोर हो गया है।ज्ञान,वैराग्य और भक्ति के माध्यम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। हमारा परम लक्ष्य धन वैभव प्राप्ति नही वरन ईश्वर प्राप्ति होनी चाहिए । ग्राम बांकी में जगतगुरु मलुकपीठाधीश्वर स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज ने उक्त बातें ज्ञान और वैराग्य की चर्चा करते हुए प्रथम दिवस बताया कि छत्तीसगढ़ की धरा बहुत ही पावन है यह भगवान श्रीरामचंद्र जी का ननिहाल है और भगवान श्रीकृष्ण जी की ससुराल है।द्वापरयुग में दक्षिण कौशल (छ ग) में नग्नजित नाम के राजा हुआ करते थे जिनकी एक पुत्री सत्या हुई।राजा सत्यजीत बहुत ही गौसेवक थे।उनके पास 7 बलिष्ट वृषभ हुआ करता था।एक रोज राजा सत्यजीत ने अपनी पुत्री सत्या को देखकर एक प्रतिज्ञा किए की उनके 7 बलिष्ट बृषभ को जो बीर पुरुष नाथ पहना देगा उसी के साथ अपनी पुत्री की विवाह कर देंगे। स्वयंबर में सैकड़ों लोगों ने अपना हाथ पैर तुडवाकर वापस लौट गए अंत मे भगवान श्रीकृष्ण ने सभी वृषभ को अकेले नाथ कर सत्या के साथ विवाह किए।इसलिए इस धरा में परमब्रह्म के दो अवतार भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण दोनों ने विचरण किया है।यहां के धूल में भगवान के दोनों अवतार के चरणरज मिला हुआ है।इसलिए छग की धरा परम पवित्र है।भागवत कथा के प्रारंभ में 108 कलश यात्रा के साथ जलयात्रा की शुरुआत हुई।कार्यक्रम के मुख्य यजमान ठाकुर मनोज सिंह बघेल ने भागवत महापुराण को लेकर कथा स्थल तक लेकर गए।सैकड़ों की संख्या में लोगों उपस्थित होकर भागवत कथा प्रवचन का लाभ उठाया ।