Recent Posts

December 23, 2024

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

शुभ मुहूर्त : जरूर देखिये 18 सितंबर से मलमास के 16 ‍शुभ मुहूर्त, कर सकते हैं कई बड़े कार्य

1 min read

अश्विन मास इस बार 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक रहेगा। हर साल पितृ पक्ष के बाद नवरात्रि प्रारंभ होती है। लेकिन, इस बार अश्विन मास में मलमास होने के कारण 1 महीने के अंतर पर नवरात्रि प्रारंभ होगी। अधिमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। इस मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं लेकिन, इस मास में लगभग 16 शुभ योग हैं।

अधिक मास की शुरुआत ही 18 सितंबर को शुक्रवार, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल नाम के शुभ योग में प्रारंभ होगी। ये दिन शुभ रहेगा। अधिक मास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग 1 दिन और पुष्य नक्षत्र 1 दिन तक आ रहा है।

सर्वार्थसिद्धि योग- ये योग इस माह में 10 बार आएगा। सितंबर की तारीख 21 और 26 एवं अक्टूबर की तारीख 1, 2, 4, 6, 7, 9, और 11 अक्टूबर में यह योग रहेगा। ये योग सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और हर काम में सफलता देने वाला होता है। अमृत सिद्धि योग- यह योग 2 अक्टूबर 2020 को अमृत सिद्धि योग रहेगा। अमृतसिद्धि योग में किए गए कार्यो का शुभ फल होता है।

  • द्विपुष्कर योग- तारीख 19 एवं 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग रहेगा।​​​​​​​ इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है, ऐसी शास्त्र में मान्यता है।पुष्य नक्षत्र- 11 अक्टूबर को रवि पुष्य नक्षत्र होगा। ये ऐसा दिन हैं जबकि कोई भी आवश्यक शुभ कार्य किया जा सकता है।

उक्त मत स्थानीय समय के मुताबिक है इसमें मतभेद हो सकता है। अधिक मास में विवाह तय करना, सगाई करना, कोई भूमि, मकान, भूमि, भवन खरीदने के लिए अनुबंध किया जा सकता है। खरीददारी के लिए लिए भी यह शुभ योग शुभ मुहूर्त देख कर खरीद सकते हैं।

3 साल में एक बार आता है अधिकमास

पंचांग के मुताबिक, मलमास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है. सूर्य वर्ष 365 दिन और 6 घंटे का माना जाता है, वहीं. चंद्रमा वर्ष 354 दिन का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर होता है. यह अंतर 3 साल में एक माह के बराबर हो जाता है. असी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक बार चंद्रमास आता है.

भगवान राम के नाम पर पड़ा ‘पुरुषोत्तम मास’

धार्मिक मान्यता है कि अधिकमास के अधिपति स्वामी भगवान विष्णु हैं और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है, इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. पुराणों में इस मास को लेकर कई धार्मिक रोचक कथाएं भी दी गई है. कहा जाता है कि भारतीय मनीषियों ने अपनी गणना पद्धति से हर चंद्र मास के लिए एक देवता निर्धारित किए. चूंकि अध‍िक मास सूर्य और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रकट हुआ, तो इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई देवता तैयार ना हुआ. ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे ही इस मास का भार अपने ऊपर लें. भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और यह मलमास के साथ पुरुषोत्तम मास भी बन गया।

2 thoughts on “शुभ मुहूर्त : जरूर देखिये 18 सितंबर से मलमास के 16 ‍शुभ मुहूर्त, कर सकते हैं कई बड़े कार्य

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *