अफवाह धारणाएं और सच्च..!
1 min readसाभार शिवनारायण क्राँति वीर की वाल से। वन्देमातरम्।।
शिखा दास
दूसरे विश्वयुद्ध में हिटलर के फासीवादी इरादों को नाकाम करने के लिए मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व करने वाले इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ और प्रखर वक्ता थे। सेना में अधिकारी रह चुके थे, चर्चिल एक इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे। वही एकमात्र प्रधानमंत्री थे जिसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बहुत कम लोग ही जानते हैं कि चर्चिल को बोलने में कुछ दिक्कत आती थी। इसके बावजूद वे बेहद प्रभावशाली और प्रेरक वक्ता थे, क्योंकि वे दिल से बोलते थे। अच्छा बोलने से ज़्यादा वे लोगों तो अपनी नेकनीयती से प्रभावित करते थे।
चर्चिल की एक बहुचर्चित पुस्तक है "Memoirs of Second World war" उनकी इस पुस्तक में कॉमरेड स्तालिन को लेकर एक संस्मरण भी दर्ज है जो उनके साथ साथ दुनियाभर के लोगों में स्तालिन के बारे प्रचलित अनेक गलतपहमियों का निराकरण हो जाता है।
वे लिखते हैं :
“आंग्ल-रूसी संधि (Anglo-Russian Treaty) पर हस्ताक्षर हेतु मैं मास्को गया था। मास्को छोड़ने के एक दिन पहले अचानक मेरे कमरे में स्तालिन और मलोटोव हाजिर हुए। स्तालिन ने कहा लड़ाई-वड़ाई तो काफी हुई, एक अच्छा सा समझौता भी हो गया है। आप तो कल चले ही जाएंगे, तो क्यों न आज हम थोड़ा मस्ती कर लें। आप मेरे मकान में चलिए”।
चर्चिल आगे लिखते हैं “मैंने सोचा रूस के महान तानाशाह जब अपने यहां आने का न्योता दे रहे हैं, तो जरूर आज कोई खास चीज देखने को मिलेगी”।
स्तालिन ने कहा, “आपको कोई बॉडीगार्ड ले चलने की जरुरत नहीं है, मेरे पास तो वैसे भी नहीं है, आप बस अकेले ही चले चलें मेरे साथ”।
हम क्रेमलिन के अन्दर जा रहे हैं, संतरियों का अभिवादन मिल रहा है। थोड़ी देर ही बाद एक छोटे, पीले से रंग के दोतल्ले मकान के सामने हमारी गाड़ी रुक गई। स्तालिन उस मकान की निचली मंजिल में मुझे ले गए। उन्होंने बताया, “ऊपरी मंजिल में मेरे गुरु यानी “लेनिन” रहते थे, इसलिए मैं उसका इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि हमने उसे एक म्युजियम बनवा दिया है। निचली मंजिल में तीन कमरे हैं, एक में मैं और मेरी पत्नी, दूसरे में बेटी रहती है और तीसरे में पार्टी सदस्यों के बैठकी चलती है।”
चर्चिल लिखते हैं, “मुझे तो यह सब सुन कर एक जोर का झटका लगा। महान रूस का महान तानाशाह केवल तीन कमरों के फ्लैट में रहता है। उन तीनों में से भी केवल एक ही कमरा उनके और उनकी पत्नी के लिए अलग से रखा हुआ है!”बहरहाल स्तालिन ने कहा, “मुझे कुछ वक्त के लिए इजाजत दे दें, मुझे आपके लिए खाना बनाना है।”
मैंने पूछ ही लिया, “आपके पास कोई रसोइया नहीं है..?”
स्तालिन ने कहा नहीं, “मैं और मेरी पत्नी मिलकर खाना बनाते हैं।” मेरे लिए फिर एक झटका! महान रूस का महान तानाशाह अपना खाना खुद बनाता है..!
चर्चिल आगे लिखते हैं कि इस पर मैंने उनसे कहा, “अच्छी बात है। तो फिर आज आपकी पत्नी अकेले ही खाना बना ले और आप मेरे पास बैठ जाएं।”
जैसे इतना ही शॉक काफी नहीं था, अभी तो और भी हैरान होना बाकी था। स्तालिन ने कहा, “माफी चाहता हूं, मैं लाचार हूँ। पत्नी घर पर नहीं हैं, कारखाने गई हैं काम करने। कपड़ा मिल में काम करती हैं। शाम को पांच बजे छुट्टी होगी, तब घर आएंगी।”
यह सुनकर मैं तो बिल्कुल चारों खाने चित्त हो गया। ग्रेट डिक्टेटर की पत्नी कारखाने में काम करती हैं!