संगठन का नट बोल्ट कसने में जुटा सपा नेतृत्व, सामाजिक समीकरण को करेगी दुरुस्त
1 min read“उपचुनाव परिणाम से उत्साहित सपा मिशन-2022 के लिए पॉकेट पॉलिटिक्स से पावर बढ़ाने पर कर रहा मंथन”
लखनऊ। हाल ही में सम्पन्न उत्तर प्रदेश के 11 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव परिणाम से समाजवादी पार्टी में उत्साह का संचार हुआ है।पार्टी नेतृत्व जिला,प्रदेश संगठन का पुनर्गठन करने के साथ ही फ्रंटल संगठनों के गठन में मंथन कर रहा है।संगठन के पुनर्गठन में सामाजिक जातिगत समीकरण को साधने पर जोर दिया जाएगा।जब से नरेश उत्तम प्रदेश अध्यक्ष बने हैं यानी लगभग 3 वर्षों से प्रदेश कार्यकारिणी का गठन ही नहीं हुआ।समाजवादी पार्टी का एक बड़ा धड़ा प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर किसी तेज़तर्रार गैर यादव,गैर कुर्मी अतिपिछड़ी जाति के नेता को सौंपने के पक्ष में हैं।मिशन-2022 में विजय के लिए सपा नेतृत्व काफी गम्भीरता से मंथन कर रहा है।नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी तो दी गयी,पर ये अपने जाति के अंदर पैठ बनाने व सपा के साथ जोड़ने में बिल्कुल असफल रहे। समाजवादी पार्टी उपचुनाव में इगलास(सु) को अपनी गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ दिया था,शेष 10 पर अपना उम्मीदवार उतारा था।अन्दरखाने सपा नेता केवल रामपुर को जीतने के अलावा ज्यादा गम्भीर नहीं थे।हाँ, पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में लाने का मंसूबा जरूर रहा।रामपुर में आज़म खान की प्रतिष्ठा बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव कोई कोरकसर नहीं छोड़े।
ये सिर्फ रामपुर में ही प्रचार के लिए ही गये।यही नहीं,अक्टूबर में 2 दिनों तक रामपुर प्रवास भी किया।लेकिन सपा को आशा से अधिक 3 सीटों पर विजय मिली और 5 पर रनर रही।अगर अखिलेश यादव पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार के लिए गए होते तो 6-7 सीटों पर जीत मिल सकती थी।उपचुनाव परिणाम से भाजपा की चिंता बढ़ गयी है,वही सपा की 2022 में सत्ता में वापसी की संभावनाएं बढ़ गयी हैं।भाजपा ने उपचुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दिया था।हर क्षेत्र में 22 जून से ही एक कैबिनेट मंत्री व प्रदेश पदाधिकारी को लगा दिया गया था।चुनाव की घोषणा से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उपचुनाव वाले जिले में दौरा कर लिए थे और हर क्षेत्र में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ने चुनावी रैली भी किया। सपा नेतृत्व संगठन का नट बोल्ट कसकर संगठन को सक्रिय करेगा।संगठन में सोशल इंजीनियरिंग को साधने पर जोर रहेगा।प्रदेश के जातिगत समीकरण में मुस्लिम,यादव व जाटव के बाद कुर्मी,लोधी,निषाद, कश्यप,मौर्य/कुशवाहा/शाक्य/सैनी व अलग अलग क्षेत्रों में चौहान,जाट,बिन्द, किसान,गूजर, पाल,प्रजापति,पासी अच्छी संख्या में हैं।निषाद/कश्यप/बिन्द के बाद लोधी/किसान,कुशवाहा/सैनी/काछी/शाक्य/मौर्य,कुर्मी काफी निर्णायक हैं।गैर यादव व गैर जाटव जातियाँ हिंदुत्व की बयार में भाजपा के साथ बह गयीं पर,अब उनका मोहभंग हो रहा है।उपचुनाव में बसपा का प्रदर्शन बहुत की कमजोर रहा।दलित बुद्धिजीवी अब सपा में ही सामाजिक न्याय का भविष्य देख रहे है।दलितों का बसपा से मोहभंग हो रहा है।कारण,कांसीराम जी की मृत्यु के बाद मायावती ने मिशन को दरकिनार कर दिया।बसपा का मिशन कमीशन में तब्दील हो गया।कैडर की बजाय कैश को टिकट का मानक बना दिया गया। सपा के कुछ रणनीतिकार प्रदेश को 9 क्षेत्रों में बांटकर क्षेत्रीय स्तर पर संगठन गठित कर अलग अलग क्षेत्रों में यादव, दलित, निषाद, कश्यप, राजभर, कुशवाहा, पाल, लोधी, मुस्लिम, बिन्द को क्षेत्रीय अध्यक्ष व निषाद,यादव,लोधी,जाट,ब्राह्मण,मुस्लिम,राजभर ,चौहान, कुशवाहा, विश्वकर्मा या बिन्द को क्षेत्रीय प्रभारी बनाने व माइक्रो सोशल इंजीनियरिंग के तहत जिले व प्रदेश संगठन में जातिगत समीकरण को दुरुस्त करने का सुझाव दिया है। प्रमुख जातियों व वर्गों के साथ माइक्रो सोशल इंजीनियरिंग के तहत कम संख्या वाली सोनार,लोहार,बढ़ई, बरई, नाई, बारी, कसेरा, ठठेरा, आरख,बंजारा,बियार, गिरी, जोगी आदि में भी पार्टी की पकड़ मजबूत करने पर मंथन जारी है। बरेली, आगरा,बुंदेलखंड, विंध्य क्षेत्र, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, मध्य क्षेत्र में विभक्त कर अलग-अलग जातियों, वर्गों, समुदायों को क्षेत्रीय अध्यक्ष व प्रभारी बनाकर नेतृत्व विकसित करने व जोड़ने की कवायद की जा रही है।इस सम्बंध में सामाजिक न्याय चिन्तक लौटनराम निषाद का पॉकेट पॉलिटिक्स के सम्बंध में कहना है कि पार्टी पावर को बढ़ाने के लिए पॉकेट पॉलिटिक्स पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। सामाजिक न्याय चिन्तक चौ.लौटनराम निषाद का कहना है कि भाजपा की दोहरी व भेदभावपूर्ण नीतियों से पिछड़ों-दलितों में उभरा असन्तोष समाजवादी पार्टी के साथ तेज़ी से जुड़ रहा है।मायावती की पलटीमार राजनीति से दलित वर्ग का बुद्धिजीवी अखिलेश यादव के नेतृत्व में सामाजिक न्याय का भविष्य देख रहा है।निषाद, लोधी, यादव, जाटव, पासी, कश्यप, किसान समाज के साथ योगी सरकार दोयम दर्जे का व्यवहार कर रही है। पिछड़े-दलित वर्ग के हित से जुड़ी योजनाओं को प्रदेश सरकार ने खत्म दिया है,जिससे इन वर्गों व जातियों में उभरा असन्तोष विधानसभा चुनाव-2022 में सपा को जीताकर भाजपा के गुरुर को तोड़ देगा। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास व भयमुक्त-अपराध मुक्त-भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का भाजपा का नारा पूरी तरह फेल हो गया है।