खास खबर… मैनपुर में महिला बाल विकास विभाग वर्षो से प्रभारी अधिकारी के भरोसे, समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को योजनाओं का लाभ
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- दर्जनों आंगनबाडी भवन अधुरे, कैसा पुरा होगा सरकार के सुपोषण योजना का सपना पूरारा
- रामकृष्ण ध्रुव मैनपुर
मैनपुर – गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय मैनपुर के कई महत्वपूर्ण विभाग लंबे वर्षो से प्रभारी अधिकारी के भरोसे चल रहा है और तो और तीन तीन विभाग का प्रभार एक मात्र अधिकारी को सौपा गया है जिससे यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन की येाजनाओं का लाभ कितना बेहतर ढंग से लोगों को मिल पा रहा होगा। महज जिला मुख्यालय गरियाबंद से 47 किलोमीटर दुर तहसील मुख्यालय मैनपुर की यह स्थिति है कि मैनपुर स्थित एकीकृत बाल विकास परियोजना कार्यालय पिछले कई वर्षो से प्रभारी अधिकारी के भरोसे चल रहा है। साथ ही यह पांच सुपरवाईजर के पद रिक्त है, जिसके चलते दो दो सेक्टर और कही तो तीन सेक्टर को एक सुपरवाईजर पुरा कार्य संभाल रहे हैैं। परियोजना कार्यालय मे कम्प्यूटर आॅपरेटर, बाबू, चैकीदार, और अन्य महत्वपूर्ण पद भी वर्षो से रिक्त है।
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महज यह कार्यालय समय पर तो खुलता है और कार्यालय समय पर बंद होता है, लेकिन अधिकारी व प्रर्याप्त कर्मचारियाें के अभाव में शासन के योजनाआंे का लाभ नही मिल पा रहा है, जबकि महिला बाल विकास विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभागो में एक है। क्योंकि छोटे बच्चों और गर्भवती माताओं की सेहत और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी इस विभाग के कंधे पर है। छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल सरकार वनांचल ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को कुपोषण से दुर करने अनेक महत्वपूर्ण योजनाए संचालित कर रही है, लेकिन पूर्वकालीन अधिकारी और कर्मचारियों के कमी के चलते जितना लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है।
भले ही सरकारी आंकडे में कुपोषण की दर मैनपुर विकासखण्ड में कम हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती है। ग्रामीण ईलाको में आज भी दर्जनों स्थानों पर वर्षो से आंगनबाडी खोलने की मांग ग्रामीण कर रहे है, जब आंगनबाडी ही नहीं है, तो वंहा के बच्चों और गर्भवती माताओं को कैसे सुपोषण योजना का लाभ मिलेगा यह अपने आप में एक सोचनीय तथ्य है। मिली जानकारी के अनुसार मैनपुर एकीकृत बाल विकास परियोजना कार्यालय के अंतर्गत कुल नौ सेक्टर है, जिसमें उरमाल, अमलीपदर, गोहरापदर, शोभा, झरगांव, ध्रुर्वागुडी, इदागांव, मैनपुर, जिडार है। सभी सेक्टरों में एक सुपरवाईजर की तैनाती होना चाहिए लेकिन यहा मात्र चार सुपरवाईजर के पद ही वर्तमान में है जिसके कारण दो दो सेक्टर को एक सुपरवाईजर संभाल रहे है, और तो और एक सुपरवाईजर तीन सेक्टर को भी देख रहे है।
मैनपुर विकासखण्ड में दर्जनों आंगनबाडी भवन अुधेरे
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मिली जानकारी के अनुसार मैनपुर विकासखण्ड अंतर्गत कुल 323 आंगनबाडी संचालित हो रहा है जिसमें 26 मिनी आंगनबाडी है और 220 आंनगबाडी भवन है जिसमें से 38 अति जर्जर आंगनबाडी बताया जाता है। कई आंगनबाडी केन्द्रो में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था नही है, ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाडी में बिजली, नही है जबकि भीषण गर्मी में भी आंगनबाडी संचालित किया जाता है। दुरस्थ वनांचल क्षेत्रों के आंगनबाडी तक समय पर रेडी टॅू ईट भी नही मिलने की शिकायते समय समय पर उच्च अधिकारियों के सामने ग्रामीणों के द्वारा किया जाता है। और तो और मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के उरमाल सेक्टर में देवभेाग विकासखण्ड क्षेत्र के समूह के द्वारा रेडी टू ईट की सप्लाई किया जा रहा है, जिसकी भी शिकायत कई बार क्षेत्र के लोगो के द्वारा किया जा चुका है, लेकिन इस ओर अब तक कार्यवाही नही हो पाई है। वही दुसरी ओर विकासखण्ड क्षेत्र में दर्जनों आंगनबाडी भवन अधुरे पडे हुए है, जिसके निर्माण कार्य वर्षो से अधुरा है और इसे पुरा कराने निर्माण एजेंसी द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा है।
कार्यालय भवन बेहद जर्जर बारिश मे झरने की तरह कमरे के अंदर गिरता है पानी
तहसील मुख्यालय मैनपुर स्थित महिला बाल विकास परियोजना कार्यालय की हालत बेहद जर्जर हो गई है भवन की छत की स्थिति इतना खराब हो गया है कि बारिश के इन दिनो में कार्यालय के भीतर कमरों में पानी झरने की तरह गिरता है और यहा कार्य करने वाले कर्मचारियों को बेहद परेशानियों का सामना करना पडता है। इस समस्या से विभाग के स्थानीय कर्मचारियों ने कई बार अपने आला अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करा चुके है, लेकिन इस समस्या की ओर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है। जानकारी के अनुसार यह भवन का निर्माण लगभग 20-22 वर्ष पहले किया गया था और भवन की हालत बेहद खराब हो गई है, यह भवन कब टुटकर गिर जाए कहा नही जा सकता ।
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क्या कहते है अधिकारी
महिला बाल विकास विभाग के जिला अधिकारी जगरानी एक्का ने चर्चा में बताया कि मैनपुर में कार्यालय 2016 से प्रभारी परियोजना अधिकारी के द्वारा संचालित किया जा रहा है, सुपरवाईजर की भी कमी है, जिसकी जानकारी समय समय पर विभाग को भेजी गई है।
जगरानी एक्का जिला अधिकारी गरियाबंद