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November 19, 2024

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खास खबर… उदंती सीतानदी प्रदेश का एक मात्र ऐसा टाईगर रिजर्व ज़हां एक भी बाघ नहीं

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  • वर्ष 2018 में ट्रेस कैमरा में तश्वीर कैद होने के बाद उदंती सीतानदी में चार बाघ होने का विभाग ने किया था दावा
  • चार वर्ष में कहा गायब हो गये उदंती से बाघ
  • न्यूज रिपोर्टर, शेख हसन खान

मैनपुर – गरियाबंद एंव धमतरी जिले के उदंती एंव सीतानदी अभ्यारण्य को वर्ष 2008-09 में मिलाकर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया, साथ ही उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व बाघ संरक्षित क्षेत्र 1842.54 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्रो में फैला हुआ है, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में मुख्य, साल, मिश्रित वन एंव पहाडी क्षेत्र पर बांस वन है।

इसके अलावा कुछ क्षेत्रो में सागौन के प्राकृतिक वन तथा मुख्यतः बीजा , शीशम, टिमसा, साजा, खम्हार, हूल्दू, कर्रा, अमलतात इत्यादी प्रजाति के पौधे पाये जाते है और पुरे देश में राजकीय पशु वनभैसों के लिए इस टाईगर रिजर्व को जाना जाता है। शासन द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व घोषित करने के बाद जंगल के भीतर वन्य प्राणियों की गणना करने के लिए लगाये गये। ट्रेस कैमरा बाघ की तश्वीर कैद होने की दावा के साथ वन विभाग द्वारा वर्ष 2018 में चार बाघ जिसमें एक मादा व तीन नर होने की बात की जा रही थी। और समय समय में वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बकायदा वन अफसराें के द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ होने का दावा किया जाता रहा है। साथ ही बाघों की गणना में बाघ के पंजे व उसके मल मिलने की भी बात सामने आते रहे हैं, लेकिन तहसील मुख्यालय मैनपुर में 29 सितम्बर को बाघ संरक्षण पर आयोजित कार्यक्रम में पहुचे मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी एवं क्षेत्र संचालक उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व राजेश पांडेय ने पत्रकारो से चर्चा करते हुए बताया कि कि उदंती अभ्यारण्य में एक भी बाघ नहीं है।

और ओडिसा के सोनाबेडा में चार पांच बाघ है जो इस क्षेत्र में हमेशा आते जाते रहे हैैं। उन्ही के पद चिन्ह मिले है, वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक के द्वारा उदंती में एक भी बाघ नही होने की बात बताने के बाद अब लोग यह सवाल कर रहे हैं। आज से चार वर्ष पहले 2018 में वन विभाग द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में चार बाघ होने की दावा किया जा रहा था, लेकिन चार वर्षो के भीतर ये बाघ कहा चले गये, जो लोगो को सोचने के लिए मजबूर करता है, जबकि शासन द्वारा उंदती सीतानदी टाईगर रिजर्व घोषित करने के बाद बाघो के सरंक्षण और संवर्धन के लिए समय समय पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे है, केन्द्र और राज्य सरकारे बाघों की संरक्षण के दिशा मे लगातार काम कर रही है, लाखों करोडो रूपये टाईगर रिजर्व क्षेत्रो में खर्च किया जा रहा लेकिन पिछले चार वर्षो के भीतर उदंती अभ्यारण्य के टाईगर की संख्या में वृध्दि होने के बजाए टाईगर ही गायब हो गये शायद पुरे छत्तीसगढ प्रदेश का एक मात्र उंदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व ऐसा अभ्यारण्य है, जिसमे बाघ नही है, बावजूद इसके हर साल बाघ के संरक्षण और संवर्धन के नाम पर उंदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में अनेक कार्यक्रम आयेाजित कर शासन द्वारा एक भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है जो कई सवालो को जन्म देता है और तो और स्थानीय क्षेत्रवासियों का भी मामना है कि पिछले कुछ वर्षों मे वन विभाग द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ होने का कोई पुख्ता प्रमाण भी सामने नही लाये है। वही विभागीय सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार जंगली जानवरो के पतासाजी के लिए वन विभाग द्वारा जंगल के भीतर लगाये गये कैमरे में भी बाघ की तश्वीरे कैद नही हो पाया है। हालांकि विभाग ने पिछले वर्ष भी बाघ के मल मिलने और उसे संग्रहित कर जांच के लिए देहरादुन भेजने की जानकारी मिली थी, लेकिन अब तक पिछले कुछ वर्षों में बाघ के होने के ठोस प्रमाण नही मिला है। उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र के एक बडे हिस्सा नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जिसके कारण वन विभाग द्वारा समय समय पर बाघों की गणना भी नही कर पाने की जानकारी मिली है।

उदंती सीतानदी में लगातार घट रही है वनभैंसों की संख्या चिंता का विषय

उदंती सीतानदी अभ्यारण्य को राजकीय दुर्लभ राजकीय पशु वनभैसों के लिए पुरे प्रदेश में जाना जाता है, और यहा एक मात्र मादा वनभैसा खुशी का भी कुछ माह पहले मौत हो जाने के बाद अब उदंती में एक भी मादा वनभैंसा नहीं बचा है। महज 06 से 07 नर वनभैसा होने की जानकारी विभाग के द्वारा दिया जाता है जिसमें से एक वनभैसा रामू पिछले कई वर्षो से लापता है, लेकिन अब तक इस लापता और उदंती से गायब हो चुके वनभैसा को वन विभाग ढुंढ नही पाया है, तो वही समय समय पर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र मे दुर्लभ प्रजाति के जिंदा वन्य प्राणी, तेन्दुआ के बच्चे, पेंगोलियन के तस्करो को भी वन्य प्राणियों के साथ तश्करी करते पकड़ा गया है और तो और पिछले तीन वर्षों के भीतर कई तेन्दुआ के खाल व वन्य प्राणियों के खाल वन विभाग सहित पुलिस विभाग ने इस क्षेत्र से तश्करी करते तश्करो से पकडकर जेल भेजा है, एक तरह से उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में वन्य प्राणी और जंगल सुरक्षित नजर नही आ रहे हैं। लगातार टाईगर रिजर्व क्षेत्र के भीतर अवैध अतिक्रमण के चलते जंगलो में हरे भरे कीमती वृक्षो की कटाई हो रही है। और वन विभाग द्वारा ही बकायदा अवैध अतिक्रमण और जंगल की अवैध कटाई करने वाले लोगो के उपर वन्य जीव संरक्षक अधिनियम 1972 के तहत लगातार कार्यवाही किया जा रहा है। वन विभाग ही जंगलो के भीतर अवैध अतिक्रमण और अवैध कटाई करने वालो को पकडकर जेल भेज रही है जो यह बताने के लिए काफी है,कि उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के भीतर न तो वन्य प्राणी सुरक्षित है और न ही कीमती जंगल जो पर्यावरण प्रेमियों को निराश कर रही है।

क्या कहते है मुख्य वन संरक्षक
मुख्य वन सरक्षंक वन्य प्राणी एंव क्षेत्र संचालक उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व राजेश पांडेय ने मैनपुर में पत्रकारो से चर्चा करते हुए बताया कि उदती सीतानदी अभ्यारण्य में वर्तमान में एक भी बाघ नहीं है। और बीच बीच में जो बाघ आते है वह ओडिसा सोनाबेडा जंगल का है।
राजेश पांडेय, मुख्य वन संरक्षक छ.ग शासन

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