अंधविश्वास… लुंदरुझारी गांव में डॉक्टरों की जगह तांत्रिक, लोगों को दिख रहे भूत
1 min readस्वास्थ्य सेवाओं की कमी से कई लोगों की मौत
भुवनेश्वर। 21वीं शदी में विज्ञान कहां से कहां तक पहुंच गया है। पर आज भी लोग अंधविश्वास के शिकार हो रहे हैं। प्रदेश के कुछ एसे गांव हैं जाहां सरकार पहुंच नहीं पाती और न ही कोई मौलीक सुविधा लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। जिसके कारण लोग आज भी अंधविश्वास के शिकार हो रहे हैं। इसका एक उदाहरण नयागढ़ और बौध जिले के सीमा बसे लुंदरुझारी गांव का है। ग्रमीण अब अंधविश्वास की चपेट में है। जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव में लगभग एक हजार आदिवासी रहते हैं। आपको बताते हैं कि अंधविश्वास के जादू ने कब और कैसे इस आदिवासी बहुल गांव को जकड़ लिया। दरअसल गांव में 5 महीने की गर्भवती महिला की अचानक मौत होने के बाद ग्रमीणों को आत्मा या भूत लोगों को दिखाई देने लगी है। भूत का डर इतना अधिक है कि कई निवासी गांव छोड़ कर जाने लगे हैं। कुछ लोगों ने जानकारी दी कि गांव में लोग बुरी आत्मा को देख बेहोश हो जाते हैं। एक ग्रमीण संतोष कान्हर ने दावा किया कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के बाद भी कुछ लोगों की मौत हो गई । इसलिए ग्रामीणों ने तांत्रीक की शरण लिया। उन्होंने कहा कि तांत्रीक के पास जेने पर कुछ लोगों का जान बच गया।
लगता है कि गांव में डॉक्टरों की जगह तांत्रीकों ने ले ली है। वहीं बौध जिला कलेक्टर (डीसी) लालतेंदु मिश्रा ने ग्रामीणों की आत्मा कहानी का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि अंध विश्वास और तर्कसंगत सोच की कमी के कारण ग्रामीणों को भूत दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन निवासियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सभी प्रयास कर रहा है, और साथ ही साथ एक जागरूकता अभियान भी चला रहा है। यहां यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि राज्य सरकार के विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-29 में बौध जिले में महिला रोगियों की कुल मृत्यु का अनुपात 56 प्रतिशत था। और ज्यादा मौत मलिाओं की प्रसव के दौरान हुआ है। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं की रैंकिंग में बौध जिले को राज्य में कम प्रदर्शन करने वाले जिलों में स्थान दिया गया है। सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की सुविधाएं लोगों तक न पहुंच ने के कारण लोगों में अंधविश्वास बढ़ने लगा है। जहां जहां अंधविश्वास है उन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। जब इस तरह की विफलताएं होती हैं, तो कुछ अलौकिक ताकतों पर विश्वास करना मनुष्यों की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। विशेषकर तब जब विशेषज्ञ उपचार के अभाव में किसी रोगी की मृत्यु हो जाती है। और भोला-भाला लोग तब स्वाभाविक रूप से आधुनिक चिकित्सा पर भरोसा खो देंगे और तांत्रिकों पर विश्वास बढ़ने लगेगा।