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October 17, 2024

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अपनी मांगों को लेकर लमलोई गांव के प्रभावित ग्रामीणों ने ओसीएल का कन्वेयर बेल्ट किया बंद

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  • लांजिबेरना स्थित खदान का काम हुआ ठप, पुलिस प्रशासन लगी सुलह की कवायत में

राजगांगपुर : राजगांगपुर थाना अंतर्गत लमलोई के ग्रामीणों ने गुरूवार सुबह डालमिया भारत कंपनी में स्थानीय नियुक्ति सहित कन्वेयर बेल्ट से हो रहे प्रदूषण को लेकर लांजीबेर्ना चूना पत्थर खदान के कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया । जिससे लांजिबेर्ना सहित डालमिया भारत सीमेंट प्लांट का कार्य प्रभावित हुआ। ओसीएल के कन्वेयर बेल्ट को बंद करना यह कोई नई घटना नही है । पिछले दिनों जिस प्रकार जम्मू कश्मीर में आए दिन पत्थर बाजी की घटना होती थी उसी तरह ओसीएल के कन्वेयर बेल्ट को निशाना बनाया जाता है जिसे भी अपनी बात मनवानी है वह कन्वेयर बेल्ट को रोक देता ।

ऐसी ही घटना गुरूवार की सुबह हुई जब कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने नियुक्ति के मामले में स्थानीय युवाओं की उपेक्षा तथा प्रदूषण का आरोप‌ लगाते हुए कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया । इस मसले पर अगर गंभीरता से चिंतन किया जाय तो यह काम सरासर औद्योगिकीकरण के खिलाफ है इस प्रकार के आचरण से आने वाले समय मे कंपनियां क्षेत्र में निवेश करने से कतराएगी वही विकास भी बाधित होगा और रोजगार के साधन भी उपलब्ध नहीं हो पाएंगे ।

दूसरी ओर पिछले पांच दशकों से लांजिबेर्ना चूना खदान ओसीएल को कच्चा माल मुहैया करा रहा है ,ओसीएल प्लांट सीमेंट उत्पादन के लिए पूरी तरह लांजिबेर्ना खदान पर निर्भर है एक तरह से यह खदान ओसीएल की लाईफ‌लाईन है फिर भी आए दिन इस प्रकार की घटना ओसीएल प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन सहित सरकार की कार्यपद्धति पर‌,सवालिया निशाना उठाने के लिए काफी है । एक ओर‌ तो सरकार पूरी सुरक्षा सहित अनुकूल वातावरण प्रदान करने का ख्वाब दिखाकर कंपनियों ‌से एम ओ यू साईन करती है‌ दूसरी ओर कंपनी भी स्थानीय लोगों को विकास और‌ रोजगार का लालीपाप दिखाकर गुमराह करती है । समझने वाली बात यह है की कुछ दिनों से अचानक इस प्रकार के विरोध मे तेजी क्यूं आई यह खदान तो पांच दशक से है। जिसमें स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है वहीं आसपास के श्रेत्रों का विकास भी हुआ है हां कितना विकास हुआ है इस बात को लेकर मतभेद हो सकता है यह तो कंपनी प्रबंधन और प्रशासन को देखना चाहिए । लेकिन आए दिन इस प्रकार की घटना के पीछे प्रतिस्पर्धा और राजनीतिक कारणों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती ।जो भी हो घटना की खबर मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में लिया और विरोध कर रहे ग्रामीणों से बातचीत कर सुलह की कोशिश की । रही बात पुलिस की तो‌ पुलीस आए दिन इसी काम मे व्यस्त रहेगी तो शहर की कानून‌ व्यवस्था का हाल क्या होगा यह चिंता का‌ विषय हैं ‌।

वहीं अब तक बार बार हो रहे इस तरह के मामले पर कोई ठोस समाधान नहीं होना कंपनी प्रबंधन सहित प्रसासन की कार्यशैली प्रश्न चिन्ह जरूर लगाता है । वहीं इस प्रकार के मुद्दों पर स्थानीय राज नेताओं की चुप्पी बहुत कुछ बयान करती है । उसी तरह स्थानीय मुद्दों का समाधान करने का सार्थक प्रयास कही देखने को नहीं मिला। स्थानीय ग्रामीण रोजगार और‌ प्रदूषण के मुद्दे पर आए दिन कंपनी को घेरते हैं जो जायज भी है क्यो‌ की बिना आग के धुंआ नहीं निकलता । स्थानीय बेरोजगारी और प्रदूषण एक बडा मुद्दा है आप इसकी अनदेखी नही कर सकते । इन सभी मुद्दों पर कंपनी को अपनी स्थिति साफ करनी पडेगी ।अब देखना यह है की इस मसले का‌ स्थायी समाधान कब तक संभव हो पाता है ‌। फिलहाल के लिए लोगों को समझा-बुझाकर शांत कर दिया गया है परंतु यह स्थायी समाधान नहीं है ।

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