दुर्ग के कसारिडीह स्थित साई मंदिर के समिति के अध्यक्ष पर पूर्व सदस्य ने लगाए बड़े आरोप….कहा खुद को फयादा पहुंचाने के लिए मंदिर को बना दिया लाखों का कर्जदार…जाने का क्या है मामला
1 min readसाई मंदिर कसारिडीह दुर्ग को संचालित करने वाली सार्वजनिक श्री साई महोत्सव समिति पर समिति के पूर्व कार्यकारणी सदस्य ने वर्तमान अध्यक्ष-सचिव पर अनियमितता के गंभीर आरोप लागये है। पूर्व कार्यकारणी सदस्य ने रजिस्टार(फर्म-सोसायटी) एंव बैंक को पत्र लिख कर मंदिर में हो रहे अनियमितता के बारे में पत्र लिख कर सूचित किया है। उनका कहना है की श्री साई महोत्सव समिति एक रजिस्टर संस्थान होने के बावजूद सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही है। बार-बार सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने के बाद भी समिति के द्वारा किसी भी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इन मामलो की शिकायत समिति के संरक्षक ने जिलाधिश से भी की लेकिन उन्हें वहां से भी मायूसी ही हाथ लगी।
आपको बता दे की सन 2016 से समिति के अध्यक्ष पद पर कार्यरत श्रीकांत समर्थ पर गंभीर आरोप लगते रहे है। समिति के अध्यक्ष अभी प्रदेश की सत्ता में मौजूद राजनेतिक पार्टी के नेता है, साथ ही इनका दुर्ग की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव भी हैं। कहा तो यहा तक जाता है की इनकी नजदिकिया दुर्ग के रसूखदार राजनितिक परिवार से है, शायद यही कारण हैं कि अनियमितता के गंभीर आरोप लगने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारीयों के द्वारा कार्यवाही तो दूर जांच तक करने की जहमत नहीं किया जाता।
समान्य सभा में नहीं रखा जाता खर्चों का हिसाब
एक तो कार्यकारिणी की बैठक महीनों के अन्तराल में की जाती रही हैं। इन बैठकों में सदस्यों की बात तो सुनी जाती थी लेकिन बैठक की कार्यवाही रजिस्टर में इसे नोट नहीं किया जाता। वर्तमान अध्यक्ष के द्वारा मंदिर में किये गए किसी कार्य के खर्चे का अनुमोदन कार्यकारिणी से तो लिया जाता लेकिन सामान्य सभा से इसे अनुमोदित नहीं कराया जाता है। जबकि समिति के निर्देशिका के अनुसार समिति के अध्यक्ष के द्वारा व्यक्तिगत खर्च की सीमा भी निर्धारित हैं।
अनुमति के बैगर मंदिर के एफडि के विरुद्ध लिया गया बैंक से कर्ज
समिति के अध्यक्ष के द्वारा आम सभा के अनुमति के बगैर मंदिर के एफडि के विरुद्ध बैंक से कर्ज लिया गया है। यह कर्ज जिस कार्य के लिए गया है, वो भी महीनों बीत जाने के बावजूद पूरा नहीं हो पाया है। कर्ज के रूप में ली गई राशी का न तो समान्य सभा में हिसाब दिया जा रहा है, न ही ये बताया जा रहा है की जिस काम के लिए यह राशी कर्ज के रूप में लिया गया था, आखिर वो कब पूरा होगा।
प्रवेशद्वार निर्माण के नाम पर मंदिर पर चढ़ दिया लाखों का कर्ज
मंदिर के वर्तमान अध्यक्ष श्रीकांत समर्थ के द्वारा मंदिर के समिति के सामने भव्य मुख्यद्वार निर्माण का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन पैसों की कमी के कारण समिति के ज्यादा तर सदस्य मुख्यद्वार के निर्माण के पक्ष में नहीं थे। लेकिन इसके बावजूद अध्यक्ष श्रीकांत समर्थ के द्वारा समिति के द्वारा मंदिर के नाम से की गई फिक्स्ड डिपॉजिट पर लाखों का लोन ले लिया गया। इस वजह से मंदिर समिति पर लाखों का कर्ज चढ़ चुका है। अध्यक्ष के द्वारा लिए गए इस कर्ज का न तो सामान्य सभा में कई हिसाब दिया जा रहा। जबकि समिति की निर्देशिका के अनुसार सामान्य सभा के बैठक में मंदिर के मुख्यद्वार की कुल लागत, अब तक किए गए खर्च, कार्य की प्रगती, समिति के मद से किए गए खर्च, मुख्य द्वारा के निर्माण के लिए प्राप्त दान और उसके श्रोत, और समय सीमा जैसी सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए ।
2019 में हुए वार्षिक महोत्सव के खर्च का हिसाब केवल एक पन्ने में
मंदिर समिति के द्वारा लगातार 40 वर्षों से आयोजित कि जाने वाली वार्षिक महोत्सव का हिसाब हर साल सामान्य सभा की बैठक में दिया जाता था। लेकिन साल 2019 में मंदिर द्वारा आयोजित वार्षिक महोत्सव का हिसाब समिति के सदस्यों को अभी तक नहीं दिया गया है। एक साल बीत जाने के बाद अध्यक्ष के द्वारा वार्षिक महोत्सव का हिसाब एक सादे पन्ने पर लिख कर दिया गया है। जबकी नियमों के अनुसार विर्षिक महोत्सव का हिसाब पक्कें बिलों के साथ सामान्य सभा की बैठक में दिया जाना अनिवार्य है।
कार्यकाल समाप्त हो जाने के बावजूद समिति में नहीं हो रहे चुनाव
मंदिर समिति के नियमों के अनुसार 4 वर्षों के कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही समिति को दोबारा चुनाव कर सदस्यों का चुनाव करना होता है। इस हिसाब से समिति का कार्यकाल 23 अक्टूबर 2020 को ही पूरा हो चुका है, लेकिन 4 माह से अधिक बीत जाने के बावजूद समिति के द्वारा दोबारा चुनाव कराने की प्रक्रिया को शुरु नहीं किया गया। समिति के पूर्व सदस्य का आरोप है की अध्यक्ष के द्वारा कोरोना महामारी के नाम पर चुनाव नहीं कराया जा है। जबकी प्रदेश के साथ-साथ दुर्ग जिले में कोरोना का प्रकोप अब कम रह गया है। समिति के अध्य़क्ष जानबूझकर चुनावों से बच रहे हैं। और बिना निर्वाचित हुए पद पर बने रहना चाहते है।
बिंदुओं में जाने अन्य आरोप
- सूचना के अधिकार 2005 के तहत मांगी जा रही जानकारी विगत अक्टूबर माह से नहीं दी जा रही। कार्यालय में सूचना के अधिकार से संबधित पत्र तो लिया जा रहा है लेकिन किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।
- समिति का कार्यकाल 23 अक्टूबर 2020 को ख़त्म होन गया है, लेकिन उसके बावजूद न ही कार्यकारिणी को भंग किया गया है, न ही अभी तक समिति में दोबारा चुनाव करवाने से संबधित को सूचना जारी की गई है।
- कार्यकाल ख़त्म होने के पश्चात भी मंदिर की दान पेटी खोल कर अपनी इच्छानुसार पैसों को खर्च किया जा रहा हैं।
- नई कार्यकारणी के चुनाव की घोषणा अक्टूबर माह से क्यों नहीं की गयी।